- पूरे राज्य का एक चैथाई तसर उत्पादन दुमका जिला में ही होता है। आने वाले समय में दुमका को तसर सिटी के नाम से जाना जाएगा, जिसके लिए तसर कृषकों को ज्यादा से ज्यादा प्रयास करना होगा।
दुमका (अमरेन्द्र सुमन) सीएसबी के सौजन्य से टीएसपी व वन्य हस्तकरघा रेशम एवं हस्तशिल्प निदेशालय द्वारा तसर रेशम उत्पादकों का एक दिवसीय कार्यशाला इंडोर स्टेडियम, दुमका में दिन बुधवार को संपन्न हुआ। कार्यशाला का उद्घाटन अर्जुन के पौधे में पानी डालकर दुमका डीसी मुकेश कुमार ने किया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए डीसी मुकेश कुमार ने कहा कि पूरे राज्य का एक चैथाई तसर उत्पादन दुमका जिला में ही होता है। आने वाले समय में दुमका को तसर सिटी के नाम से जाना जाएगा, जिसके लिए सभी तसर कृषक को ज्यादा से ज्यादा प्रयास करना होगा। संबंधित विभाग को निदेश देते हुए डीसी श्री कुमार ने कहा कि जिस प्रकार पूरे देश में भिन्न-भिन्न ब्राण्ड का समान मिलता है, ठीक उसी प्रकार दुमका को मयूराक्षी तसर साड़ी के नाम से जाना जायेगा। इस दिशा में प्रयास करना होगा। मंच से घोषणा करते हुए डीसी ने कहा कि बहुत जल्द विकास भवन को तसर उत्पादन के लिए सुरक्षित कर लिया जाएगा। संबंधित विभाग को निदेश देते हुए उन्होंने फिर कहा कि पोस्टर, पम्पलेट इत्यादि सरल हिन्दी व संबंधित क्षेत्रीय भाषा में छपवाई जाए जिससे तसर कृषक व काॅलेज के छात्र-छात्राओं को तसर उत्पादन के बारे में आसानी से जानकारी प्राप्त हो सके तथा अधिक से अधिक वे जानकारियों का लाभ उठा सकें। मिशन निदेशक रांची, अनिल कुमार सिंह ने कहा कि तसर कृषकों को जमकर मेहनत करने की जरुरत है ताकि अधिक से अधिक तसर फसल की उपज संभव हो सके। दुमका जिला का नाम सबसे आगे हो, ऐसे प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार से मिलने वाली हर प्रकार की सुविधाओं का लाभ मिलेगा। आत्मा निदेशक ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि इसी माह में तसर, कोकुन व धान के फसल की खेती एवं रख-रखाव की जानकारी देने के लिए प्रखण्डस्तर पर कार्यशालाओ का आयोजन किया जायेगा। इस कार्यशाला के माध्यम से किसानों को तसर, कोकुन व धान की खेती के नियमों व रख-रखाव की जानकारी दी जायेगी। कृषि पदाधिकारी, दुमका ने कहा कि खरीफ फसल एवं धान की खेती का समय आ चुका है। सरकार की योजना के अंतर्गत डोभा, तालाब एवं नहर का निर्माण किया जायेगा, जिससे सभी किसान इसका लाभ उठा सकेंगे। उन्होने कहा कि गांव का पानी गांव में ही बचाये। अगर हम वर्षा जल संचय करते हैं तो रवि फसल 40 प्रतिशत तक खेती कर सकते है। सरकार द्वारा चलायी जा रही विशेष फसल योजना के तहत मूंगफली की खेती के लिए मुफ्त बीज देने की घोषणा की गयी है, जिससे तेलहन के क्षेत्र में भी आगे बढ़ सकेंगे। कार्यशाला की शुरुआत करते हुए सहायक उद्योग निदेशक (रेशम) संताल परगना ने कहा कि कीट पालकों द्वारा फसल लगाने का समय शुरु हो चुका हे हमें पिछले साल से भी ज्यादा खेती इस साल करना है इसमें आप सबका साथ बहुत जरुरी है। इसी महीने धान की खेती के साथ-साथ तसर एवं कोकुन की भी खेती करनी है। उन्होंने तसर कृषक से कहा कि किसी भी प्रकार से तसर एवं अंडे को बचाना है। कार्यशाला में मंच का संचालन जीवानन्द यादव ने किया। इस अवसर पर डीसी, दुमका ने तसर कीठपालकों चुतूर हांसदा (आलूबेड़ा), नियूस किस्कू (आलूबेड़ा), जोनेल वासुकि (डेकाजोर), बदानी हांसदा जोन हेम्ब्रम व सीताराम मुर्मू ( सभी अग्र परियोजना केन्द्र शिकारीपाड़ा), सुशील मुर्मू चोड़का मरांडी कालीदास हेम्ब्रम मिस्त्री मुर्मू ( सभी अग्र परियोजना केन्द्र काठीकुण्ड) के बीच कीट वितरण किया। कार्यशाला में मिषन निदेशक रांची अनिल कुमार सिंह, निदेशक सीटीआर एण्ड टीआई, रांची अजीत कुमार, सहायक उद्योग निदेषक (रेशम) संताल परगना दुमका सुधीर सिंह, आत्मा निदेशक देवेस कुमार सिंह, जिला कृषि पदाधिकारी सुरेन्द्र कुमार सिंह, क्षेत्रिय कृषि वैज्ञानिक अनुसंधान के सहायक राजू लिन्डा भारी संख्या में तसर कृषक आदि उपस्थित थे।
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