बिहार में मंजूर तीन हजार योजनाओं का काम शुरू ही नहीं हुआ : नंदकिशोर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 21 जुलाई 2017

बिहार में मंजूर तीन हजार योजनाओं का काम शुरू ही नहीं हुआ : नंदकिशोर

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पटना 21 जुलाई, भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के वरिष्ठ नेता नंदकिशोर यादव ने बिहार की नीतीश सरकार पर विकास कार्यों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुये आज कहा कि पिछले तीन वर्ष के दौरान मंजूरी की गई तीन हजार से अधिक विकास योजनाओं का काम आजतक शुरू नहीं हो सका है। श्री यादव ने यहां कहा कि राज्य सरकार द्वारा पिछले तीन वर्षों के दौरान मंजूर की गई तीन हजार से अधिक विकास योजनाओं का धरातल पर कहीं अता-पता नहीं है। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर सात निश्चय के नाम पर राज्य सरकार ने नई-नई योजनाओं की कवायद शुरू कर दी है। पिछले तीन वर्षों के भीतर राज्य सरकार ने 13500 योजनाओं को मंजूरी दी है। भाजपा नेता ने कहा कि आपसी खींचतान और वर्चस्व को लेकर महागठबंधन में छिड़ी आंतरिक लड़ाई का सीधा असर सरकार के कामकाज पर पड़ रहा है और हालत इतनी खराब हैं कि कई विभाग आवंटित राशि खर्च करने में फिसड्डी साबित हो रहे हैं। 

श्री यादव ने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान ग्रामीण कार्य विकास विभाग की 3028 योजनाओं को सरकार ने मंजूरी दी थी लेकिन 2772 योजनाओं की फाइल सचिवालय में धूल फांक रही है। चालू वित्त वर्ष में यह विभाग अब तक मात्र 10.36 प्रतिशत राशि ही खर्च पाया है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान सरकार ने 13500 से अधिक योजनाओं को मंजूरी दी है। लघु जल संसाधन विभाग की 131, भवन निर्माण विभाग की 27, पथ निर्माण विभाग की 44 तथा पीएचईडी की सात योजनाओं का कार्य तक शुरू नहीं हुआ है। भाजपा नेता ने कहा कि इन योजनाओं के प्रति सरकार की गंभीरता का अनुमान इस से लगाया जा सकता है कि वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में बजटीय प्रावधान के आलोक में लघु जल संसाधन विभाग ने 5.30 प्रतिशत, भवन निर्माण विभाग 5.48 प्रतिशत, पथ निर्माण विभाग 25.03 प्रतिशत और पीएचईडी केवल 4.52 प्रतिशत राशि ही खर्च कर सका है। श्री यादव ने कहा कि एक ओर जहां पुरानी योजनाएं अधर में लटकी हुई हैं, वहीं दूसरी ओर विभागों पर सात निश्चय का लबादा डाल दिया गया है, जिसका निर्धारित अवधि के भीतर लक्ष्य पूरा कर पाना असंभव है। उन्होंने कहा कि पथ निर्माण विभाग तो योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए अब तक कैलेंडर भी नहीं बना पाया है क्योंकि इसकी योजनाओं की फाइल को कई विभागों से गुजरना पड़ता है। 

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