नीतीश ने विश्वास मत जीता, पक्ष में 131 और विपक्ष में 108 मत पड़े - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 28 जुलाई 2017

नीतीश ने विश्वास मत जीता, पक्ष में 131 और विपक्ष में 108 मत पड़े

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पटना 28 जुलाई, बिहार विधानसभा में आज नीतीश मंत्रिमंडल ने विश्वास मत जीत लिया और उसके पक्ष में 131 और विपक्ष में 108 मत पड़े। विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने सदन में घोषणा की कि विश्वास मत के प्रस्ताव के पक्ष में 131 मत पड़े जबकि इसके विरोध में 108 मत मिला। इसके बाद उन्होंने सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की। इससे पूर्व विपक्षी सदस्यों के शोरगुल और नारेबाजी के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विश्वास मत का प्रस्ताव पेश किया था। प्रस्ताव पर करीब एक घंटा 45 मिनट तक हुई चर्चा के बाद जब मत विभाजन कराया गया तब पक्ष में 131 मत जबकि विपक्ष को 108 मत पड़े। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुलबारी सिद्दीकी ने सभाध्यक्ष से गुप्त मतदान कराने की मांग की। सभाध्यक्ष ने जब उनकी मांग नहीं मानी तब राजद के सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गये। विश्वासमत पर हुई चर्चा पर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि अहंकार में जीने वाले लोग भ्रम पाले हुए है और एक पार्टी के अस्तित्व को ही नकार रहे हैं। उन्हें पता होना चाहिए कि विधानसभा चुनाव में जनादेश काम करने के लिए मिला था। उन्होंने कहा कि उनके सामने कई कठिनाइयां आयीं लेकिन उन्होंने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए पारदर्शिता के साथ बिहार के लोगों की सेवा करने की कोशिश की जबकि दूसरे पक्ष की ओर से गठबंधन धर्म के विपरीत आचरण होता रहा और इसे वह झेलते रहे। श्री कुमार ने कहा कि यह सही है कि उन्होंने श्री तेजस्वी यादव से इस्तीफा नहीं मांगा था बल्कि उनपर लगे आरोपों के संबंध में सफाई देने के लिए कहा था। इस पर श्री यादव ने उनसे पूछा था कि वही बतायें कि वह लोगों के बीच जाकर क्या कहें। तब उन्होंने श्री यादव से कहा था कि वह उनके ऊपर लगे आरोपों के संबंध में बिंदुवार जवाब दें। राजद के कुछ सदस्यों ने जब कहा कि क्या आप कोर्ट है इस पर श्री कुमार ने कहा कि जनता की अदालत सबसे बड़ी अदालत होती है। उन्होंने कहा कि जब श्री यादव ने सफाई नहीं दी तब उन्हें लग गया कि श्री यादव के पास कहने के लिए कुछ भी नहीं है या वह जवाब देने की स्थिति में नहीं हैं। 


श्री कुमार ने कहा कि वह हमेशा से मानते रहे हैं कि सत्ता राजभोग के लिए नहीं होती है। जब उन्होंने समता पार्टी का गठन किया और तब से लेकर जनता दल यूनाईटेड (जदयू) तक उन्होंने कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उनका अपना रास्ता है जिससे वह भटक नहीं सकते । उन्होंने कहा कि उनके लिए अब राजद के साथ चलना मुश्किल था इसलिए उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया । मुख्यमंत्री ने कहा कि इस्तीफे के समय ही उन्होंने कहा दिया था कि वह राज्यहित में फैसला लेंगे। भाजपा के साथ सरकार बनाने का फैसला राज्यहित में ही दिया है। उन्होंने कहा कि पहली बार केन्द्र और बिहार में एक गठबंधन की सरकार है इसलिए दोनों सरकारें अब मिलकर काम करेगी और राज्य का तेजी से विकास होगा । श्री कुमार ने सांप्रदायिक शक्तियों से समझौता करने के उनके ऊपर लगे आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि धर्मनिरपेक्षता का पाठ उनको देश में कोई नेता नहीं पढ़ा सकता है। धर्मनिरपेक्षता एक विचार है लेकिन कुछ लोग इसका इस्तेमाल भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने और अपने पाप को छुपाने के लिए करते हैं। उन्होंने कहा कि जब उनकी सरकार वर्ष 2005 में बनी थी तब उन्होंने 1984 के भागलपुर दंगे के कई मामलों की फिर से जांच करायी। दंगा पीड़ितों को मिलने वाली मुआवजा राशि भी बढ़ायी गयी और जिनके जमीन पर कब्जा कर लिया गया था, उसे मुक्त कराया गया। इसी तरह उनकी सरकार ने अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए कई कार्य किये हैं । मुख्यमंत्री ने कहा कि राजद के सत्ता में वापस आने के बाद एक बार फिर गांवों में माहौल खराब हो गया था और लोग परेशान थे। उन्होंने कहा कि राजद के लोग अहंकार में न रहें। वह (नीतीश) मर्यादा का पालन करते हैं और अकारण नहीं बोलते हैं लेकिन जब कोई उन्हें विवश करेगा तो वह उसका जवाब देंगे और उसे आईना दिखायेंगे। श्री कुमार ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी सरकार की नीति जीरो टॉलरेंस की रही है और आगे भी रहेगी। उन्होंने कहा कि राज्य में हर तबके के हितों की रक्षा होगी और न्याय के साथ विकास के संकल्प को पूरा किया जायेगा । इससे पहले उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राजद के लोग मुख्यमंत्री पर जनादेश के अपमान का आरोप लगा रहे हैं जबकि श्री तेजस्वी यादव ने इस्तीफा दे दिया होता तो चार साल के बाद उन्हें सत्ता में आने का अभी मौका नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में जनादेश सुशासन और भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए मिला था न कि सिर्फ सरकार चलाने के लिए। 

श्री मोदी ने कहा कि राजद में मोहम्मद शहाबुद्दीन जैसे अपराधी हैं जिसे पार्टी ने अभी तक निलंबित नहीं किया है। वहीं, बलात्कार के आरोपी विधायक राजवल्लभ यादव से राजद के प्रमुख बात करते हैं। जनादेश इन सबके लिए नहीं मिला था। वैसे भी समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि जिंदा कौमें पांच साल तक इंतजार नहीं करतीं। उन्होंने कहा कि राजद के साथ रहकर शहाबुद्दीन जैसे अपराधियों पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय 167 विधायकों वाली पार्टी राजद वर्ष 2010 के चुनाव में 22 सीट पर सिमट कर अर्श से फर्श पर आ गयी थी। उन्होंने कहा कि जनादेश बेनामी संपत्ति को बचाने के लिए नहीं मिला था। इस पर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव समेत राजद के अन्य नेताओं ने कड़ी आपत्ति जतायी और कुछ देर तक इसको लेकर हंगामा भी किया। शोरगुल के बीच ही श्री मोदी ने कहा कि राजद के लोग बतायें कि नाबालिग करोड़ों रुपये की संपत्ति का मालिक कैसे बन गया। इससे पूर्व विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि विधानसभा चुनाव में जनादेश महगठबंधन के पक्ष में और भाजपा के खिलाफ मिला था लेकिन मुख्यमंत्री ने जनादेश का अपमान कर जनता को धोखा दिया है। यह लोकतंत्र की भी हत्या है। उन्होंने कहा कि छल, कपट और नकारात्मक राजनीति हुयी है और यह सब पहले से नियोजित था। श्री यादव ने कहा कि श्री कुमार को जब भाजपा के साथ ही जाना था तो उन्होंने 16 जून 2013 से 26 जुलाई 2017 के बीच का समय क्यों बर्बाद किया। इस बीच चार सरकारें बनी और विकास को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि क्या यह सब कुछ सिर्फ एक व्यक्ति विशेष की छवि बनाने के लिए नहीं किया गया। इसका जवाब भाजपा, जदयू और श्री जीतन राम मांझी को देना चाहिए। विपक्ष के नेता ने कहा कि भाजपा के लोग और श्री कुमार को बताना चाहिए कि क्या वर्ष 2013 में भाजपा ने कोई भ्रष्टाचार किया था जिसके कारण उसे सत्ता से बाहर किया गया था। उन्होंने कहा कि 91 विधायकों वाली भाजपा को श्री कुमार ने दूध की मक्खी की तरह निकालकर फेंक दिया था लेकिन 80 विधायकों वाले राजद के मंत्रियों को बर्खास्त करने की हिम्मत नहीं जुटा सके। सबको पता है कि राजद के लोग स्वाभिमानी हैं जबकि भाजपा सत्ता की लालची है। श्री यादव ने श्री कुमार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि विकास पुरुष का जनाधार क्या है यह इसी से पता चलता है कि जब भी उनकी पार्टी अकेले लड़ी तो उन्हें मुंह की खानी पड़ी। वर्ष 1995 में जब समता पार्टी बिहार विभाजन से पहले राज्य की 324 विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ी तब उसे मात्र सात सीटें ही मिलीं। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में जदयू को केवल दो सीट पर ही संतोष करना पड़ा। जदयू के लोग बतायें कि इस परिणाम के पीछे श्री कुमार की छवि का असर था या उनके काम का। विपक्ष के नेता ने कहा कि जदयू को पिछले विधानसभा चुनाव में राजद और कांग्रेस ने सिर्फ हारने से ही नहीं बल्कि उसके राजनीतिक वजूद को भी बचाया था। उन्होंने कहा कि श्री कुमार काफी पहले से भाजपा के साथ जाने की योजना बना रहे थे और इसके लिए वह बहाना तलाश रहे थे। 


श्री यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री पर कभी भी उनकी पार्टी का कोई दबाव नहीं था। मुख्यमंत्री भी अक्सर उन्हें और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी को कहते थे कि अब आप लोग ही बिहार के भविष्य हैं। संघ और भाजपा के खिलाफ आप लोगों को ही आगे लड़ना है। उन्होंने कहा कि जब वह उप मुख्यमंत्री बने तो युवा जिनकी आबादी सबसे ज्यादा है, वे काफी खुश हुए। उन्हें लगा कि एक युवा नीति निर्धारण तंत्र का हिस्सा बना है लेकिन उसे झूठे मुकदमें में फंसा दिया गया है। विपक्ष के नेता ने कहा कि उनके जैसा शायद ही कोई युवा होगा जो शुरुआती राजनीति में इस तरह के मुकदमे झेल रहा हो। इस घटना से स्वच्छ राजनीति की चाह में जो युवा इसमें शामिल होना चाहते थे वे सब दुखी हैं। ईमानदारी से काम करने वाले एक युवा को किसी ने छवि बचाने के लिए तो किसी ने राजनीति चमकाने के लिए झूठे मामलों में फंसा दिया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने उनसे कभी भी इस्तीफे के बारे में नहीं कहा था बल्कि उन्होंने सिर्फ यह कहा था कि वह आरोपों के बारे में स्पष्टीकरण दे दें। यह उनके लिए भी ठीक होगा। श्री यादव ने कहा कि उनके खिलाफ जो प्राथमिकी दर्ज की गयी है उसमें कई गड़बड़ियां हैं। उनके वकीलों ने भी उन्हें इस बारे में सार्वजनिक तौर पर कुछ भी कहने से मना किया था। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि दो साल में उन्होंने कौन सा अपराध किया है। सच्चाई यह है कि सिर्फ व्यक्तिगत छवि बनाने के लिए श्री कुमार ने यह ढकोसला किया है । विपक्ष के नेता ने कहा कि श्री कुमार पर भी हत्या और आर्म्स एक्ट के मामले दर्ज हैं। इस पर श्री लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि आरोप के आधार पर ही इस्तीफा देना है तो मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री दोनों त्यागपत्र दे दें तथा किसी तीसरे को नेता चुन लिया जाये। उन्होंने कहा कि श्री कुमार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं और प्राथमिकी के आधार पर इस्तीफा देने की बात कहते हैं तो अब तो केन्द्र में उनकी ही सरकार है तो वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कहकर ऐसा कानून क्यों नहीं बनवा देते, जिसमें किसी पर एफआईआर होता है तो उसे पद पर रहने का अधिकार नहीं हो। श्री यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज पाटिल और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के खिलाफ भी मुकदमें हैं तो क्या श्री कुमार उनसे भी इस्तीफा मांगेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को यह भी बताना चाहिए कि क्या वह शराबबंदी को पूरे देश में लागू कराने के लिए प्रधानमंत्री से आग्रह करेंगे। उन्हें यह भी बताना चाहिए कि शराबबंदी कानून को जो भाजपा के लोग तालिबानी कानून बताते थे उस भाजपा के साथ क्या शराबबंदी के मामले पर भी कोई सौदेबाजी हुयी है। विपक्ष के नेता ने कहा कि राजद प्रमुख पर पुत्र मोह के कारण महागठबंधन सरकार नहीं बचाने का आरोप लगाया जा रहा है, जो सच नहीं है। यदि राजद अध्यक्ष को पुत्र मोह ही होता तो उन्हें मुख्यमंत्री बनवा देते लेकिन सच तो यह है कि उनको पुत्र प्रेम से ज्यादा भाई प्रेम था इसलिए उन्होंने सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद श्री कुमार को मुख्यमंत्री बना दिया। श्री यादव ने कहा कि चारा घोटाले के कारण श्री लालू प्रसाद यादव यदि पहले से दागी हैं और राजद भ्रष्ट पार्टी थी तो फिर श्री कुमार ने उनके साथ क्यों गठबंधन किया। उन्होंने कहा कि विचारधारा की बात करने वाले श्री कुमार ‘संघ’ (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) मुक्त भारत का अभियान छेड़ने की बात करते थे, आज वह रणछोड़ हो गये हैं और संघ के सामने झुक गये हैं। आज वह महात्मा गांधी के हत्यारों के साथ गले मिल रहे हैं और अब वह हे राम से जय श्री राम कहने लगे हैं। इससे पूर्व विश्वासमत के प्रस्ताव के पक्ष में भाजपा के वरिष्ठ नेता नंद किशोर यादव और विपक्ष में कांग्रेस के नेता सदानंद सिंह तथा भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (लेनिनवादी) के विधायक महबूब आलम ने अपने विचार रखे। 

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