नयी दिल्ली 26 जुलाई, समूचे विपक्ष ने आज राज्यसभा में सदन के नेता अरूण जेटली के विपक्षी नेताओं के बारे में दिये गये एक बयान पर कडी आपत्ति जतायी तथा इसे कार्यवाही से निकाले जाने की मांग की जिससे प्रश्नकाल की कार्यवाही 20 मिनट से भी अधिक समय तक बाधित रही। श्री जेटली ने शून्यकाल के दौरान विपक्षी नेताओं के शोरगुल पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था कि सदस्य व्यवस्था के प्रश्न और नियम 267 के नाम पर शून्यकाल का इस्तेमाल टीवी चैनल पर आने के लिए करते हैं। शून्यकाल केवल टीवी चैनल के लिए रह गया है। इसके बाद विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी। स्थगन के बाद जैसे ही सभापति हामिद अंसारी ने प्रश्नकाल शुरू करना चाहा विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि विपक्षी सदस्य सदन में आम लोगों से जुडे मुद्दे उठाते हैं और ये मुद्दे टीवी पर चेहरा दिखाने के लिए नहीं उठाये जाते। उन्होंने कहा कि नेता सदन का यह बयान आपत्तिजनक है और इसे सदन की कार्यवाही से निकाला जाना चाहिए। समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल ने कहा कि नेता सदन ने सभी विपक्षी नेताओं पर आरोप लगाया है कि वे गंभीर नहीं हैं। श्री जेटली के बयान की जांच कर इसे कार्यवाही से निकाला जाना चाहिए। सदन में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने भी कहा कि पूरे विपक्ष पर निशाना साधना अनुचित है और यह उसकी आवाज दबाने के समान है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी राजा और द्रमुक की कनिमोझी ने भी यह मामला उठाया। श्री अंसारी ने कहा कि उस समय उप सभापति ने व्यवस्था दी थी कि वह इस मामले को देखने के बाद कोई निर्णय लेंगे। लेकिन विपक्षी नेता अपनी मांग पर अडे रहे जिसके चलते सदन की कार्यवाही दस - दस मिनट के लिए दो बार स्थगित करनी पड़ी। संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि यह मामला शून्यकाल का था और उसी समय समाप्त भी हो गया था। अब विपक्ष जानबूझकर प्रश्नकाल नहीं चलने देना चाहता। इसके बावजूद विपक्ष के अपनी मांग को लेकर अडिग रहने पर सभापति हामिद अंसारी ने कहा कि रिकार्ड की जांच की जायेगी। उन्होंने सदस्यों से शांत रहने और प्रश्नकाल चलने देने की अपील की।
गुरुवार, 27 जुलाई 2017
जेटली के बयान पर विपक्ष का राज्यसभा में हंगामा
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