पटना 31 जुलाई, पटना उच्च न्यायालय ने श्री नीतीश कुमार के बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के दावे को दरकिनार करते हुये श्री कुमार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोग से फिर से सरकार बनाने का आमंत्रण दिये जाने के निर्णय को चुनौती देने वाली राजद की याचिका आज खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायाधीश ए. के. उपाध्याय की खंडपीठ ने यहां राष्ट्रीय जनता दल (राजद) विधायक सरोज यादव, चंदन यादव तथा अन्य की ओर से इस मामले दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई के बाद इसे खारिज कर दिया। अदालत ने राज्यपाल द्वारा सरकार बनाने के लिए श्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को आमंत्रित करने के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि नीतीश सरकार ने 28 जुलाई को बिहार विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया है इसलिए अब इस मामले में कुछ भी नहीं बचा है। न्यायालय में बिहार सरकार की ओर से पेश हुये महाधिवक्ता ललित किशोर, रज्यपाल के अधिवक्ता वाई. गिरी और केंद्र सरकार अपर सॉलिसिटर जनरल एस. डी. संजय ने अपनी दलील में कहा, “इस मामले में राज्यपाल ने अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल करते हुये उस दल या दलों के समूह को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया, जिसके बारे में उन्हें विश्वास था कि वह विधानसभा में बहुमत साबित कर लेगा।” अधिवक्ताओं ने दायर याचिका में एस. आर. बोम्मई मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय के हवाले पर कहा “इस मामले में न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि किसी भी सरकार के बहुमत में होने का आकलन करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका उसका सदन में बहुमत साबित करने की प्रक्रिया है।”
याचिका खारिज होने के बाद राजद विधायक सरोज यादव ने संवाददाताओं से कहा कि वह पटना उच्च न्यायालय के निर्णय को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे। उल्लेखनीय है कि याचिका में 26 जुलाई को श्री नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद सरकार बनाने के लिए सबसे अधिक (80) विधायकों वाली पार्टी राजद के दावे को नजरअंदाज कर श्री कुमार की अगुवाई वाले गठबंधन राजग को मौका देने के राज्यपाल के निर्णय को चुनौती दी गई थी। श्री कुमार ने इस्तीफा देकर पहले महागठबंधन से नाता तोड़ा और उसके कुछ घंटे के भीतर ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राजग के सहयोग से सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। याचिकाकर्ताओं ने एस. आर. बोम्मई मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुये अदालत से अनुरोध किया था कि बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी राजद को सरकार बनाने का मौका देने के लिए राज्यपाल को निर्देश दिया जाये।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें