पटना, 27 जुलाई, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिवमंडल ने आज अपनी बैठक के बाद यहां निम्नलिखित बयान प्रेस को जारी किया. भारतीय जनता पार्टी का बिहार में सत्ता में आना यहां की सेक्युलर राजनीति के लिए एक दुःखुद राजनीतिक घटना है। इस घटना से बिहार के धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक एवं प्रगतिषील व्यक्तियों की भावना को गहरा सदमा पहुँचा है। मुख्यमंत्री नीतीष कुमार ने भाजपा को अपनी सरकार का सहयोगी बनाकर न सिर्फ 2015 के विधान सभा चुनाव में साम्प्रदायिकता विरोधी जनादेष का अनादर किया है बल्कि राज्य और देष की साम्प्रदायिक, दक्षिणपंथी एवं प्रतिक्रियावादी शक्तियों के मजबूत बनाने का काम किया है। भारतीय जनता पार्टी अपनी केन्द्रीय सरकार की सहायता से गैर-भाजपा राज्य सरकारों को अस्थिर करने और तोड़ने का योजनाबद्ध तरीके से प्रयास कर रही है। कल नीतीष कुमार के इस्तीफे के बाद केन्द्र सरकार के इषारे पर बिहार के राज्यपाल ने अलोकतांत्रिक तरीके से भाजपा-जदयू सरकार का गठन करवाया। नयी सरकार के गठन के लिए अन्य किसी राजनीतिक दल की सलाह और सुझाव नहीं मांगा। 2015 में बड़ी आषा के साथ राज्य में जनता ने राजद-जदयू-कांग्रेस गठबंधन की धर्मनिरपेक्ष सरकार पाँच वर्षों के लिए बनायी। लेकिन महागठबंधन के नेता राजनीतिक अवसरवादिता, परिवारवाद और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर आपस में ही लड़ गये और उन्होंने महागठबंधन को छिन्न-भिन्न कर दिया तथा महागठबंधन को भाजपा की साजिष का षिकार बनाने का मौका दे दिया। बिहार में नीतीष के नेतृत्व में साम्प्रदायिकता विरोधी महागठबंधन की सरकार बनाने का जनता ने जनादेष दिया था। अगर नीतीष कुमार उस जनादेष का उल्लंघन करके साम्प्रदायिक शक्तियों के साथ राज्य में सरकार चलाना चाहते हैं तो नैतिकता का तकाजा है कि इसके लिए उन्हें फिर से जनादेष प्राप्त करना चाहिए।
गुरुवार, 27 जुलाई 2017
बिहार : धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक भावना को गहरा सदमा : भाकपा
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