कांग्रेस के छह सदस्य लोकसभा से पांच दिन के लिए निलम्बित - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 25 जुलाई 2017

कांग्रेस के छह सदस्य लोकसभा से पांच दिन के लिए निलम्बित

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नयी दिल्ली 24 जुलाई, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने आज अशोभनीय व्यवहार करने पर कांग्रेस के छह सदस्यों गौरव गोगोई, अधीर रंजन चौधरी, एम के राघवन, सुष्मिता देव, के सुरेश और रंजीता रंजन को सदन से पांच दिन के लिए निलम्बित कर दिया, गोरक्षा के नाम पर लोगों को पीट-पीट कर मारे जाने के मुद्दे पर कार्य स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से सदन में चर्चा कराने की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों के देर तक हंगामा करने और कागजात फाड़कर अध्यक्ष के आसन की तरफ फेंके जाने को अशोभनीय करार देते हुए श्रीमती महाजन ने इन सदस्यों को नियम 374 ए के तहत पांच दिन के लिए निलम्बित कर दिया। श्रीमती महाजन ने सदस्यों के इस बर्ताव पर गहरा क्षोभ और चिंता जताते हुए कहा,“ आज सदन में शून्यकाल के दौरान कुछ सदस्यों ने दलितों, अल्पसंख्यकों और उनसे सम्बन्धित मामलों में कथित अत्याचार के बारे में चर्चा करने की मांग की थी । इस पर मैंने कहा कि मैं सदस्यों द्वारा नियमों के तहत नोटिस दिये जाने पर सभी मुद्दों पर चर्चा कराने को तैयार हूं। संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने भी कहा था कि सरकार भी इन सभी मुद्दों पर चर्चा कराने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद श्री गोगोई ने आसन के सामने मेज से कागज छीन लिए और उन्हें आसन की ओर लहराया। श्री सुरेश ने भी मेज से कागज छीने और उन्हें फाड़कर आसन की ओर उछाला। श्री चौधरी, श्रीमती रंजन, सुश्री देव और श्री राघवन ने भी कागजात फाड़े और उन्हें आसन की ओर फेंका। उन्होंने कहा कि सदस्यों का यह आचरण बेहद अशोभनीय है। इससे सदन के नियमों का उल्लंघन हुआ है और यह इसकी गरिमा को कम करता है। इन सदस्यों ने जानबूझकर सदन के कामकाज में लगातार बाधा डाली, जिससे सदन में बड़ी अव्यवस्था फैल गयी। ” अध्यक्ष ने कहा,“ इसलिए मैं लोकसभा के कामकाज की प्रक्रिया और आचार के नियम 374 ए के तहत श्री गोगोई, श्री के सुरेश, श्री चौधरी, श्रीमती रंजन, कुमारी देव और श्री राघवन का नाम लेने के लिए बाध्य हूं । मैंने जिन सदस्यों का नाम लिया है, वे नियम 344 ए के प्रावधान के तहत सदन की लगातार पांच बैठकों के लिए सदन से स्वत: निलम्बित माने जाएंगे। वे सदन से तुरन्त बाहर चले जाएं।” इससे पहले सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामपंथी दलों के सदस्यों ने सदन का निर्धारित कामकाज रोककर गोरक्षा के नाम पर पीट-पीटकर हो रही हत्याओं पर चर्चा कराने की माँग की। अध्यक्ष ने इसकी इजाजत नहीं दी और कहा कि इस संबंध में सदस्य शून्यकाल के दौरान अपनी बात रख सकते हैं और उन्होंने प्रश्नकाल शुरू कर दिया। इस पर इन दलों के कुछ सदस्य अध्यक्ष के आसन के पास आकर नारेबाजी करने लगे और पूरा प्रश्नकाल इसी नारेबाजी के बीच चला। इस दौरान कुछ सदस्य सदन के बीचोबीच जमीन पर बैठ गये। संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा कि सरकार हर विषय पर चर्चा के लिए तैयार है। हर चर्चा का समय कार्यमंत्रणा समिति तय करती है और उसी के अनुरूप सरकार इस मामले में भी चर्चा कराएगी। उन्होंने विपक्षी सदस्यों से अपनी सीटों पर जाने और प्रश्नकाल चलने देने का अनुरोध किया लेकिन श्री कुमार और श्रीमती महाजन के अनुरोध का विपक्षी सदस्यों पर कोई असर नहीं पड़ा और वे नारेबाजी करते रहे। इसके बाद हंगामे के बीच ही शून्यकाल की कार्यवाही शुरू हुई तो कांग्रेस के नेता श्री खडगे ने गोरक्षा-हत्या, दलितों और महिलाओं पर किये जा रहे अत्याचार का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्होंने नियमों के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव दिया है। गोरक्षा के नाम पर हो रही हत्याओं के कारण अल्पसंख्यकों और कमजोर वर्ग में आतंक फैल गया है। सरकार इस तरह की बर्बर और शर्मनाक हत्याओं को रोकने में असफल रही है। प्रधानमंत्री कई बार यह कह चुके हैं कि गोरक्षा के नाम पर हत्या करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। उन्होंने माँग की कि इस मुद्दे पर सदन में चर्चा करायी जाए और प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री सदन में रहकर इस बारे में सभी सदस्यों की बात सुनें। इसके बाद भी ये सदस्य हंगामा करते रहे और कुछ सदस्यों ने कागज फाड़कर अध्यक्ष के आसन की तरफ उछाल दिये। इस पर सत्ता पक्ष के कुछ सदस्य विरोध करते हुए अपनी सीटों पर खड़े हो गए। संसदीय कार्यमंत्री ने बार-बार विपक्षी सदस्यों से शांति बनाये रखने की अपील की। श्री कुमार ने कहा कि विपक्ष को इस विषय में बोलने के लिए नोटिस देना चाहिये और संयम रखना चाहिये। कागज फाड़े जाने से क्षुब्ध लोकसभा अध्यक्ष ने सत्ता पक्ष के सदस्यों से बैठने की अपील करते हुये कहा “मुझे भी देखने दीजिये ये किस हद तक गिर सकते हैं।“ उन्होंने कहा कि चर्चा के लिए कोई मना नहीं है, लेकिन ऐसे चर्चा नहीं होती। उन्होंने बार-बार विपक्षी सदस्यों से सहयोग की अपील की, लेकिन सदस्य शांत नहीं हुये और हंगामा करते रहे । इस पर उन्होंने करीब पौने एक बजे सदन की कार्यवाही भोजनावकाश के लिए अपराह्न दो बजे तक स्थगित कर दी।

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