रांची 03 जुलाई, पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय ने जनजातीय परामर्शदात्री परिषद (टीएसी) के कार्यकलाप एवं गतिविधियों पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि आदिवासी हितों की रक्षा के लिए गठित परिषद का उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है। श्री सहाय ने आज यहां कहा कि आदिवासी हितों की रक्षा के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित टीएसी का उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है। उन्होंने आवश्यक रुप से टीएसी की नियमावली बनाने की मांग करते हुए कहा कि इसके अभाव में परिषद का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की प्रतिनिधि संस्था के रूप में टीएसी को जाना जाता है। परिषद् का चेयरमेन आदिवासी समुदाय से ही बनाया जाना चाहिए ताकि आदिवासियों के हितों की रक्षा को लेकर किसी प्रकार की भ्रम की स्थिति न रहे। श्री सहाय ने कहा कि टीएसी एक परामर्शी संस्था है। परिषद की ओर से राज्य सरकार को टीएसी महज अनुशंसा कर सकती है। टीएसी की अनुशंसा पर सरकार अपना निर्णय लेने को स्वतंत्र है। मुख्यमंत्री को टीएसी की अध्यक्षता करने से परिषद का उदेश्य पूरा नहीं हो सकता। बैठक में मुख्यमंत्री सरकार का ही पक्ष रखेंगे। इससे परिषद सदस्यों की राय गौण हो जाएगी और आदिवासी समुदाय के हितों का संरक्षण प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि यदि टीएसी के चेयरमेन मुख्यमंत्री के अलावा किसी ओर को बनाया जाता और नियमावली बनी होती तो सीएनटी.एसपीटी एक्ट को लेकर लोगों को आंदोलन नहीं करना पड़ता ।
सोमवार, 3 जुलाई 2017
जनजातीय परामर्शदात्री परिषद का उद्देश्य नहीं हो रहा पूरा : सुबोधकांत सहाय
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