पटना 12 अगस्त, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने बिहार के भागलपुर जिले में एक हजार करोड़ रुपये के चर्चित सृजन घोटाला मामले की केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराये जाने की मांग करते हुए आज कहा कि पशुपाल घोटाले से बड़े इस घोटाले में उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी सीधे तौर पर संलिप्त हैं और उन्हें बर्खास्त कर तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिए । श्री यादव ने यहां महागठबंधन की सरकार में रहे वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दिकी की उपस्थिति में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वर्ष 2005 में महिलाओं के लिए कार्य करने वाली स्वयं सेवी संस्था सृजन ने भागलपुर में कामकाज शुरु किया था और उसी समय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता श्री मोदी उप मुख्यमंत्री बने थे । उन्होंने कहा कि श्री मोदी वर्ष 2005 से वर्ष 2013 तक उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री के पद पर रहे थे और इसी अवधि में सृजन के माध्यम से लगभग एक हजार करोड़ रुपये का घोटाला किया । राजद अध्यक्ष ने कहा कि श्री मोदी उप मुख्यमंत्री के अलावा वित्त विभाग के भी मंत्री थे और यह उनकी जिम्मेवारी थी कि वित्तीय नियम का कड़ाई से पालन कराया जाये । उन्होंने कहा कि सरकारी खाते में जमा राशि को सृजन के खाते में डाल दिया गया जो वित्तीय नियम का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन है ।
श्री यादव ने कहा कि लोगों को यह बताया जाना चाहिए कि आखिर किसके आदेश से सरकारी खाते से रकम निकालकर एक स्वयंसेवी संस्था के खाते में डाला गया । उन्होंने इस संस्था की संस्थापक मनोरमा देवी का श्री मोदी के अलावा कई अन्य भाजपा नेताओं के साथ तस्वीर दिखाते हुए कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह , सैयद शहनवाज हुसैन और भाजपा दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी से उनके अंदरुनी संबंध थे । राजद अध्यक्ष ने कहा कि वर्ष 2005 से 2013 तक बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में शामिल उच्च पद पर बैठे लोगों ने ही बिहार सरकार के अधिकारियों पर सरकारी खजाने से राशि की निकासी कर स्वयंसेवी संस्था में जमा कराये जाने का दबाव बनाया था । उन्होंने कहा कि भागलपुर में पदस्थापित रहे कई आयुक्त और जिलाधिकारियों ने भी अपनी पत्नी के माध्यम से सृजन से आर्थिक लाभ उठाया था । श्री यादव ने कहा कि भागलपुर के तत्कालीन आयुक्त के.पी.रमैया ने तो बाद में जद यू के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था । उन्होंने कहा कि इतने बड़े घोटाले की जांच बिहार पुलिस से संभव नहीं है इसलिए सीबीआई से इसकी जांच करायी जानी चाहिए ।
राजद अध्यक्ष ने कहा कि वर्तमान में करायी जा रही जांच सिर्फ लीपापोती है । उन्होंने कहा कि लोगों की आंख में धूल झोंकने के लिए सरकार ने अपने पसंदीदा अधिकारियों को भेजकर जांच करा रही है ताकि दोषियों को बचाया जा सके । जल्दबाजी में दो दिनों में ही प्रारंभिक रिर्पोट की जानकारी राज्य के मुख्य सचिव ने मीडिया को दे दी । उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपना चेहरा बचाने के इरादे से अपने पसंदीदा अधिकारियों से इसकी जांच करवा रहे हैं । श्री यादव ने कहा कि सरकारी खजाने से पैसा निकालकर स्वयंसेवी संस्था के खाते में जमा कराया जाना वित्तीय नियम का घोर उल्लंघन है । उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने वर्ष 2013 में बिहार सरकार को इसकी जांच कराये जाने को कहा था । उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के आदेश के बाद बिहार सरकार ने इसकी जांच भी करायी थी । राजद अध्यक्ष ने कहा कि मामले की जांच कराये जाने के लिए भागलपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी ने एक कमेटी का गठन किया था । इस कमेटी ने घोटाले की जांच में किन तथ्यों को उजागर किया यह अभी भी लोगों को मालूम नहीं है । उन्होंने कहा कि सरकार कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक किये जाने के साथ साथ इसके आधार पर दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुयी, इसका भी खुलासा करे । वह इस मामले को सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के सामने भी वह उठायेंगे ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें