मुंबई 02 अगस्त, रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल ने आज नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती की घोषणा करते हुये कहा कि बैंकों ने दरों में पहले की गयी कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों को नहीं दिया है तथा वे ऋण पर ब्याज अभी भी घटा सकते हैं। ब्याज दर में लाभ हस्तांतरण के संबंध में आरबीआई ने एक अध्ययन समूह का भी गठन किया है। आरबीआई ने जारी बयान में कहा “अप्रैल 2016 में सीमांत लागत आधारित ऋण दर प्रणाली (एमसीएलआर) लागू करने के बाद से नीतिगत दरों में कटौती का बैंकों द्वारा दिया गया लाभ संतोषजनक नहीं रहा है। इसलिए रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों के लाभ के हस्तांतरण की दृष्टि से एमसीएलआर प्रणाली के अध्ययन के लिए एक आंतरिक अध्ययन समूह का गठन किया है।” इसमें कहा गया है कि समूह बैंक के ऋण दर को सीधे बाजार आधारित मानदंड से जोड़ने की संभावनाओं पर भी विचार करेगा। अध्ययन समूह इस साल 24 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट सौंप देगा। श्री पटेल ने संवाददाताओं के प्रश्न के उत्तर में कहा कि बैंकों ने नये ऋणों पर तो जनवरी 2015 से ब्याज दरों में की गयी कटौती का ज्यादातर लाभ ग्राहकों को दिया है, लेकिन पुराने ऋणों पर ग्राहकों को पूरा लाभ नहीं मिला है। साथ ही आवास ऋण और वाहन ऋण जैसे प्रतिस्पर्द्धि सिगमेंट में ब्याज दरों में ज्यादा कटौती हुई है जबकि अन्य सिगमेंट में पूरा लाभ नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि बैंकों के पास अब भी ब्याज दर घटाने का विकल्प है, विशेषकर उन सिग्मेंटों में जिनमें लाभ हस्तांतरण अब तक कम रहा है। बयान में कहा गया है कि एमसीएलआर लागू करने के बाद बैंकों की आधार दर में ज्यादा कमी नहीं आयी है जो चिंता का विषय है। अधिकतर पुराने ऋण में ब्याज दर आधार दर के अनुरूप तय होती है। बयान के अनुसार, आधार दर में कमी नहीं होने से वास्तविक अर्थव्यवस्था को नीतिगत दरों में कटौती का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। अब भी ज्यादातर सिग्मेंटों बैंकों की फ्लोटिंग ब्याज दर आधार दर से तय होती है। आरबीआई नीतिगत दरों में कटौती का लाभ हस्तांतरण आधार दर में भी होना सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार करेगा।
बुधवार, 2 अगस्त 2017
बैंकों ने दरों में कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों को नहीं दिया है : आरबीआई
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