नयी दिल्ली, 03 अगस्त, गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के बोझ तले दबे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को राहत दिलाने के लिए रिजर्व बैंक को व्यापक नियामक अधिकार दिए जाने से संबंधित बैंक विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2017 आज लोकसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया, नये कानून के तहत रिजर्व बैंक को यह अधिकार मिल जायेगा कि वह फंसे कर्ज की वसूली के लिये जरूरी कारवाई शुरू करने संबंधी निर्देश बैंकों को दे सके। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की फंसी कर्ज राशि यानी गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) छह लाख करोड़ रुपये से अधिक के 'ऊंचे अस्वीकार्य स्तर' पर पहुंच जाने के मद्देनजर यह कानून लाया गया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि आर्थिक विकास को सहारा देने के लिए देश में एक मजबूत बैंकिंग व्यवस्था की दरकार है। औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए उनके द्वारा जारी किए गए कुल ऋण का 13.11 प्रतिशत के चिंताजनक स्तर पर पहुंच चुका था। लिहाजा इस चलन पर रोक लगाने के लिए रिजर्व बैंक को व्यापक अधिकार देने की आवश्यकता महूसस की गई। मौजूदा संशेाधन विधेयक इसी उद्देश्य से लाया गया है। श्री जेटली ने कहा कि आर्थिक उदारीकरण के मौजूदा समय में बैंकों की कर्ज वसूली के लिए बने कानून अप्रासंगिक हो गये थे। ऐसे में इसके स्थान पर एक नया सशक्त कानून लाना बहुत जरूरी था। उन्हाेंने इस शंका काे निर्मूल बताया कि नया कानून आने के बावजूद कर्ज न/न चुकाने वाले बड़े कारोबारियों को पर कोई असर नहीं होगा। उन्हाेंने कहा कि नयी व्यवस्था के तहत अबतक 12 बड़े डिफॉल्टराें के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। आगे इसके शिकंजे में और भी बड़े लोग आएंगे। बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2017 में बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 में संशोधन करने का प्रावधान है। यह बैंकिंग विनियमन (संशोधन) अध्यादेश, 2017 की जगह लेगा। इस साल मई महीने में यह अध्यादेश लागू किया गया था।
गुरुवार, 3 अगस्त 2017
बैंकिग नियमन संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित
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