नयी दिल्ली ,03 अगस्त, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश में विभिन्न भाषाओं के संरक्षण में योगदान देने वाले 40 भाषाविदों और संपादकों को यहां सम्मानित किया है। श्री सिंह ने भारतीय भाषा जन सर्वेक्षण के तहत प्रकाशित होने वाले 50 विशाल खण्डों के निर्माण में योगदान देने वाले इन भाषाविदों को एक सर्टिफिकेट देकर उन्हें सम्मानित किया और देश की भाषाई विविधता को बचाए रखने में उनके योगदान की सराहना की । इनमें 12 महिला भाषाविद और संपादक हैं ।इस अनोखी परियोजना के संपादक प्रसिद्ध अंग्रेजी एवं गुजराती लेखक डॉ जी एन डेवी हैं जो गत 16 सालों से इस परियोजना को मूर्त रूप दे रहे हैं। अब तक इस परियोजना के 37 खंड प्रकाशित हो चुके हैं। श्री सिंह ने अपने संबोधन में मशहूर शायर इकबाल को जिक्र करते हुए कहा कि भारत भाषाई दृष्टि से इतना विविध है और उसकी आपसी एकता ऐसी है कि उसकी हस्ती मिटती नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश हैं जहाँ इतनी भाषाएँ है और त्रिभाषा फार्मूला काम करता है ।1961 की जनगणना में देश में कुल 500 भाषाएं एवं बोलियां थी लेकिन अब सर्वेक्षण से पता चला कि 970 भाषाएँ हैं ,120 भाषाओं में रेडिओ कार्यक्रम होते हैं और 65 भाषाओं में पत्रिकाएं निकलती हैं. उन्होंने कहा कि भाषाविदों के सन्दर्भ में हम नोम चामस्की जैसे विदेशी भाषाविदों के महत्व का जिक्र तो करते हैं लेकिन पाणिनी आनंदवर्धन अभिनव गुप्त आदि के महत्त्व को उस तरह रेखांकित नहीं करते आैर यह हमारी औपनिवेशिक मानसिकता का परिणाम है . उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर हमें भाषाओं में रोजगार के अवसर बढ़ाने चाहिए । श्री डेवी ने समारोह में 2024 तक विश्व की छह हज़ार भाषाओं के बारे में ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट प्रकाशित करने की महत्वाकांक्षी परियोजना की भी घोषणा की । उन्होंने कहा कि 2022 तक इस परियोजना का पहला खंड आ जायेगा । समारोह में प्रसिद्ध समाज शास्त्री आशीष नंदी ने भारतीय भाषों में विमर्श के दस खंड का लोकार्पण भी किया । समारोह को प्रसिद्ध विदुषी एवं राज्यसभा की पूर्व मनोनीत सदस्य डॉ कपिला वात्स्यायन ने भी संबोधित किया ।
गुरुवार, 3 अगस्त 2017
मनमोहन सिंह ने 40 भाषाविदों को किया सम्मानित
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