गुजरात में राज्य सभा की 3 सीटों में से एक पर 8 अगस्त को मचे घमासान में अंततः कांग्रेस के अहमद पटेल अपनी सीट बचाने में सफल रहे. कांग्रेस की जीत को कुछ राजनीतिक विश्लेषक गुजरात के आसन्न विधानसभा चुनाव से भी जोड़ कर देख रहे हैं,मैं समझता हूँ विधानसभा चुनाव से राज्य सभा चुनाव को जोड़ना अभी जल्दीबाजी होगी.गुजरात राज्य सभा के तीन सीटों में से दो पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की जीत तो पहले ही तय थी ,क्योंकि बहुमत के आंकड़े भाजपा के पास थे.एक सीट जिस पर कांग्रेस के रणनीतिकार कहे जाने वाले अहमद पटेल को अपनी मौजूदा सीट बचाने की जद्दोजहद थी ,भाजपा के अतिउत्साह,अति आत्मविश्वास ,अति रणनीति,अति आक्रामक और अति जल्दबाजी ने अहमद पटेल के जीत का मार्ग प्रशस्त किया.अहमद पटेल ने खुद स्वीकार किया कि यह चुनाव उनके जीवन का सबसे कठिन चुनाव था.उच्च सदन की 3 में से 2 सीटें जीत कर भाजपा विजयी मुद्रा में है लेकिन अहमद पटेल की जीत से सदमा भी है और उससे भी बड़ी बात यह कि भाजपा उच्च सदन में अभी भी बहुमत से दूर है.
राज्य सभा में मौजूदा कुल 245 सीटें हैं जिसमें से 233 सदस्य चुनाव जीत कर आते है और 12 सदस्यों को राष्ट्रपति नामांकित करते हैं. फिलहाल उच्च सदन में भाजपा 57 ,कांग्रेस 57 ,जनता दल (यू) 10 ,एआईएडीएमके 13 ,समाजवादी पार्टी 18,तृणमूल कांग्रेस 12 ,बीजू जनता दल 8,बहुजन समाज पार्टी 5, राष्ट्रीय जनता दल 3,डीएमके 4,सीपीआईएम 8 ,झारखंड मुक्ति मोर्चा 1 तथा अन्य विभिन्न पार्टियां 46 सदस्यों के साथ राज्य सभा में अपनी मौजूदगी बनाये हुए हैं. तीन सीटें फ़िलहाल खाली है.इन आंकड़ों को देखने से स्पष्ट है कि भाजपा राज्य सभा में अभी भी बहुमत से दूर है.राज्य सभा का अगला चुनाव अब 2018 में होना है ,यानि बहुमत के लिए जरूरी 123 के आंकड़े पाने हेतु भाजपा को 2018 तक इंतजार करना होगा.
** विजय सिंह**
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