पटना 21 जनवरी, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि सामाजिक कुरीतियों का खात्मा जन जागरुकता से ही संभव है। श्री मोदी ने यहां ऐतिहासिक गांधी मैदान में बाल विवाह और दहेज प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ बनी मानव श्रृंखला में शामिल होने के बाद कहा कि सामाजिक कुरीतियों की खात्मा कानून के साथ-साथ ऐसे ही जागरुकता अभियान के जरिए संभव है। उन्होंने कहा कि कानून दंडित तो कर सकता है लेकिन हृदय परिवर्तन नहीं। जब समाज जाग उठता है तो किसी भी प्रकार का सुधार और बदलाव संभव हो जाता है। सती प्रथा जैसी कुरीति का अंत भी केवल कानून से नहीं बल्कि सामाजिक जनचेतना से ही संभव हो पायी थी। उप मुख्यमंत्री ने मानव श्रृंखला को सफल बनाने के लिए बिहारवासियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि दहेज और बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है जिसका खात्मा केवल कानून से संभव नहीं है। वर्ष 1872 में बंगाल के समाज सुधारक केशवचन्द्र सेन के प्रयास से स्पेशल मैरेज एक्ट बना था जिसके तहत शादी के लिए लड़की की उम्र 14 और लड़के की 18 वर्ष तय की गई थी। 57 वर्षों के बाद 1929 में शारदा एक्ट के जरिए लड़की और लड़के विवाह की उम्र में बढ़ोत्तरी कर 18 और 21 वर्ष कर दी गई। उन्होंने कहा कि यदि केवल कानून बना देने से बाल विवाह पर रोक लग जाती तो करीब डेढ़ सौ साल पहले बने कानून के बावजूद बिहार जैसे राज्य में आज भी सौ में 39 लड़कियां बाल विवाह का शिकार नहीं होती। श्री मोदी ने कहा कि दहेज प्रथा बाल विवाह की मूल वजह है। उन्होंने कहा कि बच्ची की उम्र ज्यादा होने पर दहेज देना पड़ेगा इसलिए लोग बाल विवाह कर देते हैं। वहीं, बाल विवाह की वजह से ही शिशु मृत्यु और मातृत्व मृत्यु की दर भी आज इतनी अधिक है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि अच्छा होता कि विपक्षी पार्टियां राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस भी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ मानव श्रृंखला में शामिल होकर अपना समर्थन देते। उन्होंने कहा कि पिछले साल जो लोग शराबबंदी के पक्ष में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ खड़े थे वे आज विरोध कर अभियान का मजाक उड़ा रहे हैं। वहीं, पिछले साल विपक्ष में होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने जहां मानव श्रृंखला में हिस्सा लिया था वहीं शराबबंदी का भी पुरजोर समर्थन किया था।
रविवार, 21 जनवरी 2018
सामाजिक कुरीतियों का खात्मा जन जागरुकता से ही संभव : सुशील कुमार मोदी
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