पटना 11 फरवरी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने आज कहा कि समाज में एकता नहीं रहने के कारण दुनिया के सबसे उन्नत देशों में गिना जाने वाले भारत पर कुछ मुट्टीभर लोगों ने सैकड़ों वर्षों तक राज किया। श्री भागवत ने यहां स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुये कहा, “दुनिया के बेहतरीन चिकित्सक, अभियंता और व्यापारी भारत में ही मिलते हैं। इसके बावजूद हमारी हालत खराब है। इसका मुख्य कारण समाज में एकता का नहीं होना है। एक समय था जब भारत विश्व का सबसे उन्नत देश था लेकिन समाज में एकता नहीं रहने के कारण कुछ मुट्ठीभर आये लोगों ने यहां सैकड़ों वर्ष तक राज किया।” आरएसएस प्रमुख ने संघ के महत्व पर बल देते हुये कहा कि संघ एक संगठन के रूप में चलता है और उनका लक्ष्य पूरे समाज को संगठित करना है। उन्होंने कहा कि उन्हें संघ की नहीं बल्कि देश की चिंता है और जो लोग संघ का विरोध करते हैं वह भी अंदर से इसकी इज्जत करते हैं। जबतक उन्नति की चाहत नहीं होगी तबतक देश का विकास नहीं हो सकेगा। श्री भागवत ने कहा कि यदि हर व्यक्ति अपना काम स्वयं करने लगे तो देश प्रगति के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने देश की विविधताओं को हथियार बनाकर भारत को गुलाम बना लिया था। उन्होंने कहा कि स्वयं के बारे में जानने पर यदि गौरव का भाव जागृत हो तो वही उन्नति का पहला कदम होगा।
इससे पूर्व मुजफ्फरपुर में भी संघ प्रमुख ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया और कहा कि सेना छह महीने में जितने जवान तैयार करेगी, संघ तीन दिन में तैनात कर देगा। यदि कभी देश को जरूरत हो और संविधान अनुमति दे तो स्वयंसेवक मोर्चा संभालेंगे। उन्होंने कहा कि संघ सैन्य नहीं बल्कि एक पारिवारिक संगठन है लेकिन संघ में सेना की तरह अनुशासन है। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक मातृभूमि की रक्षा के लिए हंसते-हंसते बलिदान देने को तैयार रहते हैं। श्री भागवत ने भारत-चीन युद्ध की चर्चा करते हुए कहा कि जब चीन ने हमला किया तो सिक्किम सीमा क्षेत्र के तेजपुर से पुलिस-प्रशासन के अधिकारी डरकर भाग खड़े हुए। उस समय संघ के स्वयंसेवक ही सीमा पर सेना के आने तक डटे रहे। स्वयंसेवकों ने तय किया कि यदि चीनी सेना आयी तो बिना प्रतिकार के उन्हें अंदर प्रवेश करने नहीं देंगे। स्वयंसेवकों को जब जो जिम्मेवारी मिलती है उसे वे बखूबी निभाते हैं। संघ प्रमुख ने कहा कि प्रत्येक दिन शाखाओं में शामिल होने वाला व्यक्ति की जीवन के किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट पहचान बनेगी। वे हर क्षेत्र में पूरी निष्ठा और ईमानदारी से अपना कार्य करेंगे। चाहे वह आजीविका को लेकर व्यापार करें या प्रशासनिक सेवाओं में जायें। उन्होंने स्वयंसवेकों से व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन में सजगता से आचरण की शुद्धता का उदाहरण प्रस्तुत करने का आह्वान किया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें