बिहार : ईसाई समुदाय का दु:खभोख 14 फरवरी से शुरू होकर 30 मार्च को खत्म - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 30 मार्च 2018

बिहार : ईसाई समुदाय का दु:खभोख 14 फरवरी से शुरू होकर 30 मार्च को खत्म


  • प्रभु येसु ख्रीस्त को सलीब पर से उतारतर कब्र में रखा गया

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पटना.ईसाई समुदाय का दु:खभोग 14 फरवरी को 'राख बुधवार' से प्रारंभ हुआ.राख बुधवार को उपवास और परहेज का दिन था.बुधवार और शुक्रवार को चर्च में क्रूस रास्ता और पवित्र किया जाता.इसमें भक्तगण भक्तिभाव से शिरकत करते.इस तरह का सिलसिला 30  मार्च को येसु ख्रीस्त की मौत के साथ सम्पन्न हो गया. आज संसारभर में गुड फ्राइडे मनाया गया.विभिन्न चर्च में विशेष धार्मिक कार्यक्रम किया गया.  येसु के विरोधियों ने उनको सलीब पर चढ़ाया. इसके बाद उन्होंने दोपहर में प्राण त्याग दिये.उनके शहादत दिवस पर ईसाई समुदाय उपवास परहेज रखे . इसके साथ दु:खभोग के अंतिम शुक्रवार को क्रूस रास्ता तय किये . मौके पर सलीब पर लटके अंगों पर चुम्बन लिये . विरोधियों के इशारे पर येसु को सलीब पर लिटाकर  पैर में और दोनों हाथ में किल ठोंक दिये.सिर पर कांटों का ताज जकड़ दिया.इसके बाद पंजरे में भाला फोंक दिया.वहां से रक्त और पानी बहने लगे.वहां पर भक्तगण चुम्बन लिये.कुर्जी चर्च परिसर में सात हजार भक्तों का जमावाड़ा रहा. पवित्र बाइबल में उल्लेख है कि येसु कहते थे.मृत्यु के तीन दिनों के बाद पूर्ण पराक्रम के साथ 'जी' उठेंगे.शुक्रवार, शनिवार के बाद रविवार को तड़के येसु ख्रीस्त 'जी' उठेंगे.अभी ईसाई समुदाय गमगीन हैं और येसु के 'उठने की अभिलाषा में हैं.

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