अमित शाह ने किया राहुल गांधी पर पलटवार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 17 मई 2018

अमित शाह ने किया राहुल गांधी पर पलटवार

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नई दिल्ली, 17 मई, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को कर्नाटक में सरकार बनाने के अपनी पार्टी के निर्णय को सही बताते हुए कांग्रस अध्यक्ष राहुल गांधी पर इस राजनीतिक घटनाक्रम को 'संविधान का मजाक' कहने पर निशाना साधा। शाह ने अपने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, "लोकतंत्र की हत्या उस समय हुई थी जब व्याकुल कांग्रेस ने कर्नाटक के कल्याण के लिए नहीं बल्कि तुच्छ राजनीतिक फायदे के लिए जनता दल-सेकुलर को 'अवसरवादी' ऑफर दिया। शर्मनाक!" उन्होंने कहा कि कर्नाटक में लोगों का जनादेश भाजपा के पक्ष में था क्योंकि कांग्रेस पार्टी 122 सीट से सिमटकर 78 पर आ गई और भाजपा 40 से बढ़कर 104 पर पहुंच गई। उन्होंने कहा, "कर्नाटक में लोगों का जनादेश किसके पास है? भाजपा जिसने 104 सीटें जीती या कांग्रेस जो 78 सीटों पर सिमट गई, जिसके खुद के मुख्यमंत्री और मंत्रियों को बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा। या फिर जेडीएस जिसने महज 37 सीट जीतीं और उसके कई उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।"

सरकार बनाने के लिए भाजपा को आमंत्रित करने के राज्यपाल वजुभाई वाला के निर्णय पर कांग्रेस द्वारा सवाल उठाने की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस थी जिसने आपातकाल लगाया था और धारा 356 का दुरुपयोग किया था। उन्होंने कहा, "कांग्रेस के अध्यक्ष को अपनी पार्टी के सवर्णमयी इतिहास की शायद जानकारी नहीं है। राहुल गांधी की पार्टी की विरासत भयानक आपातकाल, अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग, अदालतों, मीडिया और सिविल सोसाइटी के कद को घटाने की रही है।" राहुल गांधी ने येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण समारोह को 'संविधान का मजाक' करार दिया था क्योंकि उनका कहना है कि बहुमत कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर के पास है लेकिन इन्हें न बुलाकर भाजपा नेता को सरकार बनाने का अवसर दे दिया गया। राहुल के बयान के बाद अमित शाह ने उनपर निशाना साधा। राहुल ने कहा था, "भाजपा की अतार्किक जिद कि वह पर्याप्त संख्याबल नहीं होने के बावजूद भी सरकार बनाएगी, हमारे संविधान का मजाक बनाना है।" उन्होंने कहा था, "आज सुबह, जब भाजपा अपनी खोखली जीत की खुशी मनाएगी, भारत लोकतंत्र के हारने का शोक मनाएगा।" राज्यपाल वजुभाई वाला ने कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के बीच गुरुवार सुबह नौ बजे येदियुरप्पा को पद एवं गोपनियता की शपथ दिलाई। सर्वोच्च न्यायालय ने इससे पहले शपथ ग्रहण समारोह पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

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