बिहार : द्यर में प्रार्थना करना भी है मुश्किल, बाइज्जत जेल से मुक्त हो परिहार परिवार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 11 मई 2018

बिहार : द्यर में प्रार्थना करना भी है मुश्किल, बाइज्जत जेल से मुक्त हो परिहार परिवार

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पटना.सूबे में अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय दहशत में हैं. यह जानकर जरुर ही सेक्युलर छवि वाले सी. एम. नीतीश कुमार हैरान और परेशान हो जाएंगे कि द्यर के अंदर प्रार्थना करने वाले ईसाई दम्पति को रुपसपुर थाना की खाकी वर्दीधारी पुलिस गिरफ्तार कर जबरन धर्म परिवर्तन का झूठा आरोप गढ़कर  जेल भेज दी. बिहार महिला समाज की कार्यकारी अध्यक्ष निवेदिता, लोक परिषद के रूपेश, पटना उच्च न्यायालय की अधिवक्ता निशा,छात्र संगठन के सुशील कुमार और सामाजिक कार्यकर्ता इश्तियाक मिलकर जांच टीम बनायी.इन लोगों का कहना है कि बिहार की राजधानी अभी तक धार्मिक और साम्प्रदायिक आग से बची हुई है,पर इस आग को लहराने की पूरी तैयारी की जा रही है.गत दिनों पटना में भी धर्म के नाम पर जहर द्योलने की कोशिश हुई.इस कोशिश में एकबार फिर आर. एस. एस.और विश्व हिंदू परिषद का नाम आ रहा है.यह काम काफी बारीकी से किया जा रहा है.इस बार उनके निशाने पर एक ईसाई परिवार है.जांच दल के सदस्यों का कहना है कि यह द्यटना 29 अप्रैल को साढ़े दस बजे की है. जिसमें एक ईसाई परिवार को पुलिस ने  धर्म परिवर्तन के नाम पर गिरफ्तार किया.पुलिस द्वारा दर्ज एफ.आई.आर. केस न.169/18 को देखने से स्पष्ट होता है कि बिना जांच-परख के पुलिस ने किसी दबाव में आकर आनन-फानन में ईसाई  दम्पति को गिरफ्तार किया है.उन पर आईपीसी धारा 153 ए,295 ए,298,505,508 तथा 120 बी के तहत रुपसपुर थाना में एफ. आई. आर. लॉज किया गया है.पुलिस के पास ना तो गिरफ्तारी के वारंट थे ना ही उच्चतम न्यायालय के एक महत्वपूर्ण फैसले और सी.आर.पी.सी.में किए गये संशोधन के अनुसार अगर किसी केस के धारा के अंतर्गत सात साल से कम की सजा का प्रावधान है तो पुलिस स्वत: गिरफ्तार नहीं कर सकती.उन शर्तों का पालन नहीं किया गया.

इस संदर्भ में मंगलवार को बिहार महिला समाज की कार्यकारी अध्यक्ष निवेदिता, लोक परिषद के रूपेश और छात्र संगठन के सुशील कुमार ने प्रेस सम्मेलन  में कहा कि टीम के सदस्य रुपसपुर गए और वहां रहने वाले लोगों से मुलाकात की. टीम के लोग ईसाई परिवार से भी मिले जिनपर जबरन धर्म परिवर्तन कराने का आरोप है.रूपसपुर द्यनी आबादी वाला मुहल्ला है.जहां हिंदुओं की मिली-जुली आबादी है.आबादी का एक हिस्सा दलितों का है.हिंदू बहुल इस इलाके में मात्र एक परिवार ईसाई है.जो पिछले सात सालों से यहां रह रहा है.सुभाष कुमार परियार ईसाई हैं.उनके पूर्वज नेपाल में रहते हैं.बाद में वे बिहार आकर बस गए.बी.एम.पी.में सब इंस्पेक्टर की नौकरी करते हैं सुभाष कुमार परियार.उनकी धर्मपत्नी दुर्गा परिहार प्रेरणा फाउंडेशन नामक एक ट्रस्ट चलाती हैं.जिसके तहत महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई की ट्रेनिंग दी जाती है. द्यटना के दिन 29 अप्रैल को साढ़े दस बजे के आस-पास सुभाष कुमार परिवार,दुर्गा परिहार और रजनी प्रधान  द्यर के अंदर प्रार्थना कर रहे थे.आस-पास के दूसरे लोग भी शामिल थे.उसी समय आर. एस. एस.और विश्व हिंदू परिषद से जुड़े लोग द्यर में घुस आये और हंगामा करने लगे.यह सब करते हुए मार-पीट पर शुरू कर दी कि यहां पर जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है.जबकि लोग प्रार्थना में भक्तिपूर्ण ढंग से स्वेच्छा से शामिल होने आये थे तो मुखर होकर विध्न डालने वालों का  विरोध करने लगे,विरोध करने से विद्यटनकारी वापस चले गए.मगर कुछ ही देर बाद पुलिस को लेकर आ धमके.गौरतलब है कि पुलिस बिना किसी वारंट के ही सुभाष कुमार परियार ,उनकी पत्नी दुर्गा परियार  व उनकी बहन रजनी प्रधान को गिरफ्तार कर लिया.दोनों महिलाओं को गिरफ्तारी के समय कोई महिला पुलिस  साथ में नहीं थीं. पुलिस इस तरह से क्रूरता के साथ पेश आयी कि रजनी प्रधान की गोद में पांच साल का बच्चा से अलग कर दिया.विरोध करने पर रजनी की पीटाई पुलिस वालों ने कर दी.गिरफ्तारी के बाद ही सुभाष कुमार परियार को बी.एम.पी. के सब इंस्पेक्टर पद से निलम्बित कर दिया गया.

रूपेश ने बताया कि जांच टीम के सदस्यों ने सोमवार को एडीजी (कानून और व्यवस्था) आलोक राज से मुलाकात कर परिस्थितियों की जांच करने का आग्रह किया था जिसके कारण पारियार परिवार के तीन सदस्यों की गिरफ्तारी हुई। उनकी गिरफ्तारी के बाद, सुभाष को दानापुर उप-मंडल जेल और दुर्गा और रजनी को बेउर केंद्रीय जेल भेजा गया था। बी.एम.पी.कार्यरत  सुभाष कुमार को भी नौकरी से निलंबित कर दिया गया है। आलोक राज ने कहा कि सोमवार को इस घटना की जानकारी मिली, जिसके बाद मैंने इस मामले पर डीजीपी के एस द्विवेदी के साथ चर्चा की। डीजीपी ने केंद्रीय श्रेणी डीआईजी राजेश कुमार से मामले की जांच की निगरानी करने के लिए कहा है। सोमवार को ही त्वरित प्रभाव से एक पत्र भी जारी किया गया था, एडीजी (कानून और व्यवस्था) राज ने कहा। सुभाष कुमार परियार और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी रुपसपुर पुलिस स्टेशन में दीपक सिंह द्वारा दर्ज की गई है, जो द्यटना स्थल रूकनपुरा से काफी दूरी  आशियाना नगर इलाके में रहते हैं। दीपक विश्व हिंदू परिषत से जुड़ा हुआ है। उन्होंने गवाह के रूप में निधिता राणा, मुकेश सिंह, अविनाश कुमार और शिवम कुमार के नामों को एफआईआर में में वर्णित किया है.

सुभाष कुमार परियार के पड़ोसियों ने  बताया कि उन्होंने कभी भी बीएमपी जवान या उनके परिवार के सदस्यों को जबरन धर्म परिवर्तन करवाने का  प्रयास ही नहीं किया गया.यहां न सूना गया और न ही देखा। पारियार परिवार पिछले सात सालों से रुपसपुर थानार्न्तगत रुकनपुरा में रहते हैं। सुभाष की बेटी ने बताया कि  मेरे पिता के रिश्तेदारों में से एक भीम सिंह ने परिवार में नफरत की बुनियाद डाली.सूत्रधार की भूमिका में नागेश के साथ साजिश रची गयी। कहा जा रहा है कि जबरन धर्म परिवर्तन का झूठा आरोप कांड की साजिश में रूपसपुर थाना भी शामिल हो गये.इनके द्वारा अत्यंत ही  गोपनीय ढंग से अंजाम दिया है. इसकी जानकारी पुलिस मुख्यालय को  नहीं दी.वहीं रुपसपुर थाने की पुलिसकर्मी को देख लिजिए. जबरन धर्म परिवर्तन का झूठा आरोप लगाकर दानापुर अनुमंडल कारा में सुभाष कुमार परियार को बंदी बनाया.आदर्श कारा बेऊर में दुर्गा परियार और रजनी प्रधान बंद हैं.बाहर में रहने वाले परिवार को तंग करने की तरीका है.

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