बिहार : कर्नाटक में लोकतंत्र की हत्या के खिलाफ माले का राज्यव्यापी प्रतिवाद. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 18 मई 2018

बिहार : कर्नाटक में लोकतंत्र की हत्या के खिलाफ माले का राज्यव्यापी प्रतिवाद.

  • राजधानी पटना में कारगिल चैक पर हुई प्रतिवाद सभा.
  • 24 घंटे के भीतर बहुमत सिद्ध करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागतयोग्य.

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पटना 18 मई 2018, भाकपा-माले के राज्यव्यापी आह्वान पर आज पटना सहित राज्य के प्रमुख जिला केंद्रों पर कर्नाटक में जनादेश की लूट व लोकतंत्र की हत्या के खिलाफ विरोध दिवस का आयोजन किया गया. पटना के अलावा आरा, अरवल, सिवान, दरभंगा, समस्तीपुर, नालंदा, बेगूसराय, गोपालगंज, पटना जिले के मसौढ़ी, दुल्हिनबाजार, बिहटा, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर, भागलपुर आदि केंद्रों पर प्रतिरोध सभा का आयोजन किया गया.राजधानी पटना में कारगिल चैक पर माले कार्यकर्ताओं ने पहले प्रतिरोध मार्च निकाला और फिर कर्नाटक की घटना के खिलाफ विरोध सभा आयोजित की. इसका नेतृत्व पार्टी की केंद्रीय कमिटी की सदस्य काॅ. सरोज चैबे व शशि यादव, पटना नगर के सचिव अभ्युदय, पार्टी के वरिष्ठ नेता आर एन ठाकुर, शंभूनाथ मेहता, मुर्तजा अली, जितेन्द्र कुमार, सुधीर कुमार, रामकल्याण सिंह, बीके शर्मा एडवोकेट जावेद अहमद आदि नेताओं ने किया. जबकि प्रतिरोध सभा का संचालन राज्य कमिटी के सदस्य काॅ. रणविजय कुमार ने किया. प्रतिरोध सभा को संबोधित करते हुए माले नेताओं ने कहा कि कर्नाटक में चुनाव परिणाम के बाद जो हुआ वह लोकतंत्र, संविधान और न्यायपालिका को शर्मसार करने वाला है. वहां के राज्यपाल ने पूरी तरह भाजपा-आरएसएस के दबाव में किया और सारी संवैधानिक प्रक्रियाओं को किनारा कर दिया. भारी खरीद-फरोख्त के जरिए भाजपा कर्नाटक में सरकार बनाने की कोशिश कर रही है, जो लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है.

उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ, जब भाजपा ने जनादेश की लूट की हो. इसके पूर्व गोवा, बिहार, मणिपुर आदि राज्यों में भी उसने यही काम किया है. जब तक भाजपा के लोग सत्ता में हैं, देश में संविधान व लोकतंत्र असुरक्षित है. ऐसी ताकतों को निर्णायक तौर पर शिकस्त देना होगा. माले नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले का स्वागत किया, जिसमें कर्नाटक में भाजपा को बहुमत साबित करने के लिए दिया गया समय 15 दिन से घटा दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार और 24 घंटे के अंदर बहुमत सिद्ध करने के निर्देश के बाद भी भाजपा का लोकतंत्र विरोधी सत्ता का अहंकार जाने का नाम नहीं ले रहा. प्रोटेम स्पीकर के जरिए विधायकों के सपथ ग्रहण की परिपार्टी को वह खत्म करने पर तुली है. कर्नाटक में 8 बार विधायक रहने वाले को प्रोटेम स्पीकर बनाने की बजाए 3 बार के भाजपा विधायक को प्रोटेम स्पीकर बनाया जा रहा है. सत्ता के नशे में डूबी भाजपा आज तमाम संवैधानिक संस्थाओं को पंगु बना देना चाहती है. माले नेताओं ने यह भी कहा कि सिंगल लार्जेस्ट पार्टी के जिस तर्क पर कर्नाटक में भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया है, बिहार मंे सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते राजद को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि कर्नाटक चुनाव ने वर्तमान चुनाव प्रणाली की कई विसंगतियों को भी उजागर किया है. कर्नाटक में भाजपा ने 104 सीटें 36 प्रतिशत मत लाकर जीती है, जबकि कांग्रेस 38 प्रतिशत मत लाकर भी महज 78 सीट जीत पाई. कर्नाटक चुनाव में वीवीपीएटी और ईवीएम के बीच गैप के भी मामले प्रकाश में सामने आए हैं. इसलिए आज ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव करवाने की मांग के साथ-साथ समानुपातिक प्रतिनिधित्व की मांग भी उठायी जानी चाहिए. माले नेताओं ने कहा कि भाजपा द्वारा देश में फासीवाद थोपने के प्रयाासों का हमारी पार्टी लगातार विरोध जारी रखेगी.

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