विश्व मजदूर दिवस पर “नाटक जनता पागल हो गयी है” का मंचन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 3 मई 2018

विश्व मजदूर दिवस पर “नाटक जनता पागल हो गयी है” का मंचन

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नई दिल्ली।  सत्ता की पूंजीवादी-भोगवादी संस्कृति के खिलाफ और रंगकर्मियो को सामाजिक आर्थिक-सुरक्षा के पक्ष में मजदूर दिवस पर प्रसिद्ध नाटक 'जनता पागल हो है है' का मंचन हुआ।  “विकल्प सांझा मंच” नयी दिल्ली द्वारा सफदर हाशमी मार्ग, मंडी हाउस, पर हुी प्रस्तुति को  “सांझा सपना” संस्था के रंगकर्मियो द्वारा किया गया । शिवराम द्वारा लिखित यह नाटक हिन्दी का पहला नुक्कड़ नाटक माना जाता है। इसे सबसे ज्यादा खेले गए  नाटक का सम्मान भी प्राप्त है।  इस प्रस्तुति के निर्देशक युवा रंगकर्मी आशीष मोदी थे।  नाटक की मुख्य भूमिकाए क्रमश: नेता-अभिजीत, पागल-महफूज आलम, जनता- विक्रांत, पूंजीपति-रजत जोरया ,पुलिस अधिकारी- संदीप, सिपाही-हर्ष, शास्वत और सनी द्वारा निभाई गई , वहीं सहायक भूमिकाओं में आशीष मोदी ,अपेक्षा और यश भी शामिल रहे। प्रसिद्ध नाटककार राजेश चन्द्र  ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि  मई दिवस दुनिया के मज़दूरों-मेहनतक़शों का यह दिन उनके अधिकारों की प्राप्ति के लिये किये गये बहादुराना संघर्षों और शहादतों को याद करते हुए एकजुट होने और उस निर्णायक संघर्ष के लिये संकल्प लेने का दिन है। यह संकल्प तब तक कायम है जब तक दुनिया में बराबरी क़ायम नहीं हो जाती और इन्सानों द्वारा इन्सानों का शोषण सम्भव नहीं रह जायेगा।रंगकर्मी ईश्वर शून्य ने कहा कि रंगमंच के क्षेत्र में व्याप्त जिस संस्कृति की बात की जा रही है, वह पूंजीवाद और साम्राज्यवाद का ही एक उत्पाद है और उसका काम जनता के बुनियादी अधिकारों के लिये किये जाने वाले आन्दोलनों को तोड़ना और उसके असन्तोष को सहमति में बदल कर शासक वर्गों की सुरक्षा करना है। इस तरह देखें तो एक मज़दूर और एक रंगकर्मी में बहुत अन्तर नहीं है।  इस अवसर पर “ट्रस्ट” संस्था द्वारा राजेश तिवारी के निर्देशन मे “कलंक” नाटक की प्रभावशाली प्रस्तुति भी दी गई , और “अस्मिता थिएटर” द्वारा जाने माने रंगकर्मी अरविंद गौर के निर्देशन मे क्रांतिकारी गीतो की प्रस्तुति भी दी गई। 

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