मधुबनी : पति के लम्बी उम्र के लिए वटसावित्री पूजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

बुधवार, 16 मई 2018

मधुबनी : पति के लम्बी उम्र के लिए वटसावित्री पूजन

for-husband-vat-savitri-vrat-in-mithila
मधुबनी (आर्यावर्त डेस्क) 15 मई  : पति के लम्बे उम्र की कामना से किया जाने वाला व्रत वटसावित्री का विधिवत पूजन सुहागिनों ने किया. इस अवसर पर वटवृक्ष के नीचे सुबह से ही महिलाओं की भीड़ देखी गई. हाथ में पूजा की थाल लिए बांस के बने पंखे के साथ फलों, व्यंजनों से युक्त होकर पूजन किया गया. सनद रहे कि वटवृक्ष बहुत दिनों तक जीवन्त रहता है. इसलिए इस पेड़ के नीचे यह पूजन किया जाता है. इस पूजन में सत्यवान और सावित्री की कथा सुनाई जाती है. जिसमें उल्लेख है कि किस प्रकार सावित्री ने यमराज से अपने पति का प्राण वापस लिया. उसके सतित्व पर आधारित इस कथा का मर्म सांसारिक जीवन में लोगों को प्रेरित करता है. पूजन कर सुहागिन व्रत धारण किये रहतीं हैं और मिष्ठान भोजन ही करती है. नवविवाहिताओं के लिए यह पर्व विशेष उल्लास का तो होता ही है. घर की बुजुर्ग महिलायें उन्हें पूजन करने की विधि परम्परागत रूप से बताती है. ज्ञात हो कि इस पूजन में पुरोहित की जरूरत नहीं पड़ती. नवविवाहिताओं का उल्लास और परिवार का सहयोग देखते ही बनता है. भीषण धूप के बावजूद महिलाओं ने वटवृक्ष के नीचे इस पूजन को सम्पन्न किया. वहीं बदले परिवेश में गमला में भी वटवृक्ष लगाकर पूजन किया जाता है. वहीं कई इलाकों में आम के पेड़ों की भी पूजा होती है.

कोई टिप्पणी नहीं: