बिहार : राज्यस्तरीय युवा महिला भूमि अधिकार सम्मेलन संपन्न - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 15 जून 2018

बिहार : राज्यस्तरीय युवा महिला भूमि अधिकार सम्मेलन संपन्न

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पटना (आर्यावर्त डेस्क) 15 जून, । आज एकता महिला मंच बिहार द्वारा आयोजित राज्यस्तरीय युवा महिला भूमि अधिकार सम्मेलन संपन्न हो गया। दिनभर भूमि में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने को लेकर जोरदार मंथन किया गया। इससे पूर्व ए.एन.सिन्हा इंस्टीच्यूट,पटना में राज्यस्तरीय युवा महिला भूमि अधिकार सम्मेलन का उद्घाटन एकता महिला मंच की राष्ट्रीय अध्यक्ष जिल कर हैरिस, एकता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रदीप प्रियदयर्षी, एकता महिला मंच की राष्ट्रीय संयोजिका श्रद्धा कष्यप, लैण्डलेसा के विनय ओहदार,पद्मश्री सुधा वर्गीस आदि ने मिलकर दीप प्रज्जवलित किया। मौके पर एकता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रदीप प्रियदयर्षी ने कहा कि यह सम्मेलन महिलाओं की भूमि में भागीदारी और महिलाओं को कृषक का दर्जा मिले को ही केन्द्र बिन्दु बनाया गया है। इसी में महिलाओं का कल्याण और विकास निहित है। पद्मश्री सुधा वर्गीस ने कहा कि समाज के हाषिए पर रहने वाले मुसहर समुदाय को राष्ट्र के मुख्यधारा में लाने को सरकारी प्रयास होना चाहिए। महिलाओं के बारे में जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि खेती में महिलाओं की भागीदारी अधिक है फिर भी महिलाओं को मुआवजा मिलता नहीं है।आज महिला और लड़कियों पर शोषण एवं दमन तेज है। आखिर कैसे पीड़ित लोग आने वालों को सुरक्षा दे सकती हैं यह अहम सवाल है। लेैण्डलेसा के विनय ओहदार ने कहा कि खेती में 60 से 70 प्रतिशत महिलाएं कार्यषील हैं। केवल 30 से 40 प्रतिषत पुरूष लोग कृषि में लगे हैं उनको किसान का दर्जा प्राप्त है।  सरकार से मांग की गयी कि महिलाओं को किसान का दर्जा दें। आवासीय भूमिहीनों का चर्चा करते हुए विनय ओहदार ने कहा कि सरकार कहती है कि हम भूमिहीनों को जमीन देंगे। उनके अनुसार गैर मजरूआ, आम गैरमजरूआ, मालिक गैरमजरूआ, सिंलिग एक्ट, भूदान की जमीन और जमीन खरीदकर देने का प्रावधान है। इसके बावजूद भारी संख्या में लोग भूमिहीन हैं। अभियान बसेरा और दखल देहानी भी कार्यक्रम है।

एकता महिला मंच की राष्ट्रीय अध्यक्ष जिल कर हैरिस ने कहा कि एकता परिषद बिहार और एकता महिला मंच बिहार के साझा प्रयास से बिहार में जल,जंगल और जमीन को लेकर काफी कार्य किया गया है। 2007 में जमुई से पटना तक 7 अक्टूबर 2001 में भूमि अधिकार पदयात्रा की गयी। 2004 में पटना में महिलाओं की जानदार बैठक की गयी। 2005 में महिलाओं को जमीन के पट्टा देते समय महिलाओं का नाम उल्लेख करने की मांग की गयी। 2007 में उत्तर बिहार में बाढ़ की तबाही के बावजूद भी भारी संख्या में लोग जनादेष 2007 में पदयात्रा सत्याग्रह में शमिल हुए। 2008 में सिंधु सिन्हा के नेतृत्व में भोजपुर में महिलाओं के द्वारा सामूहिक खेती का नवाचार हुआ। जो सार्थक साबित हुआ। महिलाएं समूह बनाकर खेती करती हैं। 2012 में जन सत्याग्रह में एक पहर खाना खाकर पदयात्रा सत्याग्रह में शामिल हुए। उन्होंने आगे कहा कि जनादेष 2007 में 30 प्रतिषत महिलाओं ने पदयात्रा में भाग लियेे और 2012 में जन सत्याग्रह में 35 प्रतिषत महिलाओं ने पदयात्रा में शामिल हुए। राष्ट्रीय अध्यक्ष जिल कर हैरिस ने आहृवान किया कि 2 अक्टूबर 2018 में जनांदोलन 2018 में 50 प्रतिषत महिलाएं भाग लेकर बिहारी एकता की मिषाल पेष करें। आगे कहा कि जनांदोलन के 6 माह पूर्व 5 दिषाओं से लोग निकलेंगे। महाराष्ट्र से दलित यात्रा, झारखंड से आदिवासी यात्रा, अहमदाबाद से भूमिहीन यात्रा,पंजाब से किसान यात्रा और त्रिवेन्द्रम से महिला यात्रा निकलेगी। बिहार विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चैधरी ने कहा कि वक्त की  मांग है कि जो जमीन को जोते - बोये वही जमीन का मालिक होवे। उन्होंने कहा कि लोगों के पास जमीन नहीं है  तो कैसे शौचालय बनाएंगे? कागज पर शौचालय बन रहा है। लूट खसौट जारी है। हर घर नल का जल पहुंचाने का वादा पूरा नहीं हो रहा है। मौके पर श्रद्धा कष्यप अमर कुमार भारती, दयामंती देवी, ज्ञांति देवी, गणेष दास, कस्तूरबा बहन, मंजू डूंगडूंग आदि ने भी संबोधित किया। धन्यवाद ज्ञापन पुष्पा लकड़ा ने किया।

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