नैनीताल 15 जून, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट केदारनाथ के पुनर्निर्माण में करोड़ों रुपये की अनियमितता का मामला सामने आने पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने इस मामले को गंभीरता लेते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव को उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (उरेडा) के अधिकारियों के साथ साथ सभी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने को कहा है। अदालत ने मुख्य सचिव को कहा है कि एक माह के अंदर मामला दर्ज किया जाए। अधिवक्ता सुशील वशिष्ठ ने इस संदर्भ में एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि केदारनाथ धाम में 2013 में आयी आपदा के दौरान भारी तबाही हुई थी। सरकार की ओर से केदारनाथ की चार परियोजनाओं की जिम्मेदारी उरेडा को दी गयी और उसे नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया था। अधिवक्ता कुर्बान अली ने बताया कि उरेडा को जिन परियोजनाओं की जिम्मेदारी दी गयी उनमें केदारनाथ-एक, केदारनाथ-दो, गौरी छीना परियोजना एवं रूद्रप्रयाग हाइड्रो इलैक्ट्रिकल परियोजना शामिल हैं। इन परियोजनाओं के निर्माण के दौरान भारी अनियमिततायें सामने आयी हैं। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि रूद्रप्रयाग के जिलाधिकारी ने भी मामले की जांच की और उनकी जांच में भी भारी वित्तीय अनियमितायें होने की पुष्टि हुई है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि कंपनी के द्वारा मरम्मत के नाम पर तमाम गड़बड़ियां की गयी हैं। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि कंपनी को 30 करोड़ का भी भुगतान कर दिया गया। मामले की सुनवाई के बाद वरिष्ठ न्यायाधीश राजीव शर्मा एवं न्यायाधीश लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लिया है और प्रदेश के मुख्य सचिव को उरेडा के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ एक माह के अंदर प्राथमिकी दर्ज करने को कहा है।
शनिवार, 16 जून 2018
मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट केदारनाथ में करोड़ों की वित्तीय अनियमितता
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