दुमका : स्व. सतीश चन्द्र झा की 10 वीं पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि सह काव्यांजलि सभा का आयोजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 17 जून 2018

दुमका : स्व. सतीश चन्द्र झा की 10 वीं पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि सह काव्यांजलि सभा का आयोजन

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दुमका (आदित्य आर्यन) लब्ध - प्रतिष्ठ  साहित्यकार / कवि स्व सतीश चन्द्र झा की 10 वीं  पुण्यतिथि के अवसर पर शहर के कवियों/  साहित्यकारों ने क्वार्टर पाड़ा, दुमका  स्थित सतीश चौरा में उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की क्वार्टर पाड़ा स्थित 'सतीश चौरा' में क्रार्यक्रम की शुरुआत सतीश बाबू के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ किया गया। दो सत्रों में आयोजित पुष्पांजलि सह काव्यांजलि कार्यक्रम के दूसरे चरण में उपस्थित गणमान्यों ने उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे साहित्यकार अनंत लाल खिरहर ने मंच के क्रियाकलापों की सराहना की तथा कहा कि सतीश स्मृति मंच ने जिस तरह साहित्यिक इन्द्रधनुषी छटा बिखेरी  है, नि:सन्देह उसे अक्षुण्ण बनाए रखने की जरूरत है। मंच का संचालन कर रहे वरिष्ठ पत्रकार, कवि व साहित्यकार  अमरेन्द्र सुमन ने सतीश बाबू का स्मरण करते हुए दुमका की धरती पर उन्हें मील का पत्थर कहा। श्री सुमन ने कहा कि जो  साहित्यिक विरासत सतीश बाबू ने छोड़ रखा है,  मंच उसे जोग पाने व ऊर्जाशील बनाए रखने में  सफल हो पा रहा है । अमरेन्द्र सुमन ने कहा कि यह मंच नवांकुरों के लिए वटवृक्ष है जहाँ से साहित्यिक उर्जा प्राप्त की जा सकती है। कविता सत्र में उपस्थित कवियों ने बारी-बारी से अपनी-अपनी रचनाओं की प्रस्तुति कर  शमां ही बांध दिया। नवोदित कवि रोहित अम्बस्ट ने श्रृंगार रस से सजे गीत  'प्यार में तेरे सनम दिल हार आया हूं' का सस्वर पाठ कर जहां एक ओर समां बांध दिया वहीं पीयुष राज ने वर्तमान समाजिक व्यवस्था पर चोट करती कविता 'शादी अब तय होती है पैसों की आग में' का पाठ कर अपनी महत्वपूर्ण उपस्थित दर्शायी।

सुकंठ गायक उत्तम कुमार दे ने छोटी-छोटी ख्वाहिशें जो पूरी करे वो मां है' जैसे सुरेले गीत की प्रस्तुति कर श्रोताओं को भावुक कर दिया । सांप्रदायिक सौहार्द की मिशाल पेश करती अंजनी शरण की कविता सुबह- सुबह जाग कर जब देता है अज़ान....काफी प्रभावशाली रही। पर्यावरण पर केन्द्रित संतोष पाल की कविता " जीवित होता है हर साल भूतहा तालाब" को श्रोताओं ने खूब सराहा। एस पी कॉलेज दुमका के सेवानिवृत्त शिक्षक व वरीय कवि डॉ. रामवरण चौधरी द्वारा सस्वर पाठ की गई कविता "इस जीवन के सूनेपन में घूट घूट कर जीना है"  ने श्रोताओं को भावुक कर दिया। राजेश पाठक की ' सलामत रहे भारत हमारा, यह हमारा धरम हो गया है ' ने श्रोताओं के बीच देशभक्ति का संचार किया।  मूलतः गीतकार  कमलकांत प्रसाद सिन्हा की प्रस्तुति ' कभी दूरियां भी हमें पास ला देती है, अक्सर दूरियां तड़पाती है ' को श्रोताओं का भरपूर समर्थन मिला। ऋतुराज ने सतीश बाबू के दोहे का पाठ कर उन्हें स्मारित किया। वरीय कवि शंभूनाथ मिस्त्री व पत्रकार वीरेंद्र कुमार झा ने कविता के व्याकरणीय पहलुओं पर प्रकाश डाला। सर्वजीत झा ने सतीश बाबू के साहित्यिक विरासत को याद करते हुए उनके परिवार के सदस्यगणों द्वारा विरासत को जोग पाने में सक्षम रहने की संभावना व्यक्त की। मंच के सचिव कुंदन कुमार झा ने शहर में ऐसे कार्यक्रम होते रहने की आवश्यकता पर बल दिया।  इससे पूर्व आगत अतिथियों का स्वागत विद्यापति झा ने किया। सम्मेलन के अंत में आशीष कुमार झा ने उपस्थित कवियों/श्रोताओं के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सबो का आभार व्यक्त किया। मंच के तत्वावधान में आयोजित पुष्पांजलि सह काव्यांजलि सभा में शहर के कवियों सहित बंशीधर पंडित, पवन कुमार झा, चंपा देवी, अर्णव झा, अदिति झा, नूतन झा आदि उपस्थित थे।

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