तैयारी को लेकर आज अखिल भारतीय किसान महासभा और खेग्रामस की हुई संयुक्त बैठक.अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर किया जा रहा है यह घेराव.
पटना 31 जनवरी 2019, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर आगामी 18 फरवरी को आयोजित विधानसभा मार्च की तैयारी को लेकर आज पटना में भाकपा-माले विधायक दल कार्यालय में अखिल भारतीय किसान महासभा व अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा-खेग्रामस की राज्य कार्यकारिणी की संयुक्त बैठक आयोजित हुई. बैठक की अध्यक्षता किसान महासभा के बिहार राज्य अध्यक्ष विशेश्वर प्रसाद यादव व खेग्रामस के बिहार राज्य सचिव गोपाल रविदास ने संयुक्त रूप से की. जबकि बैठक में खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा भी शामिल थे. बैठक में खेग्रामस व किसान नेताओं के अलावा भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल व पोलित ब्यूरो सदस्य अमर भी शामिल हुए. इनके अलावा विधायक व किसान नेता सुदामा प्रसाद, पूर्व विधायक व सिवान के चर्चित किसान नेता अमरनाथ यादव, पूर्व विधायक व भोजपुर के चर्चित किसान नेता चंद्रदीप सिंह, किसान सभा के वरिष्ठतम नेता केडी यादव, पूर्व विधायक अरूण सिंह, किसान महासभा के बिहार राज्य सचिव रामाधार सिंह, खेग्रामस व जहानाबाद के लोकप्रिय नेता प्रदीप कुमार, पटना जिला किसान महासभा के नेता उमेश सिंह, राजेन्द्र पटेल आदि उपस्थित थे. बैठक के उपरांत खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा ने कहा कि 18 फरवरी को होने वाले विधानसभा मार्च में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति में शामिल किसान संगठन और वामपंथी दलों से जुड़े खेत मजदूर संगठन संयुक्त रूप से मार्च करेंगे. आज बिहार में भाजपा-नीतीश राज में गरीबों को बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए उजाड़ा जा रहा है. इस पर अविलंब रोक लगाने, गरीबों को वास-चास की जमीन उपलब्ध कराने तथा मुकम्मल भूमि सुधार लागू करने के सवाल पर यह मार्च हो रहा है, जिसमें दसियों हजार खेत मजदूर व ग्रामीण मजदूर शामिल होंगे. जिले-जिले में इसकी तैयारी आरंभ हो गई है. विधायक व किसान महासभा के नेता सुदामा प्रसाद ने कहा कि विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगह लड़ाई जाएगी. 18 फरवरी को जब विधानसभा का सत्र चल रहा होगा, हजारों की संख्या में मजदूरों व किसानों का जुटान पटना में होगा. बटाईदार किसानों सहित सभी किसानों के सभी प्रकार की कर्ज माफी, धान खरीद की गारंटी करने, संपूर्ण बिहार को सूखाग्रस्त घोषित करने, महाजनी व बैंक ऋण समाप्त करने आदि मांगों को प्रमुखता से उठाया जाएगा. अन्य वक्ताओं ने कहा कि बिहार सरकार जल प्रबंधन में बिल्कुल विफल रही है, जिसके कारण सिंचाई के साथ-साथ पीने के पानी का भी संकट हो गया है. कदवन जलाशय का काम पटना-दिल्ली में एनडीए की सरकार रहने के बावजूद पूरा नहीं हुआ, जिसके कारण 11 लाख क्युसेक सोन नदी का पानी बहकर बर्बाद हो गया और धान का कटोरा वाला पूरा क्षेत्र सूखाग्रस्त रहा. नहरें व राजकीय नलकूप ठप्प हैं. किसानों का धान समर्थन मूल्य पर खरीदा नहीं जा रहा है, फसल सहायता योजना, सुखाड़ इनपुट सब्सिडी की राशि किसानों के खातों में नहीं भेजी जा रही है. उड़ीसा, तेलांगना की तरह बिहार सरकार कृषि इनपुट सब्सिडी भी नहीं दे रही रही है. ये सब मुद्दे विधानसभा मार्च के प्रमुख मुद्दे होंगे.

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