केन्द्र और राज्य सरकार भले ही अस्पताल में सुविधा और स्वच्छता को लेकर कड़े निर्देश दिए हो, लेकिन जिला अस्पताल में बैठे आलाधिकारियों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। ऐसा ही कुछ नजारा रायबरेली के जिला अस्पताल के प्राइवेट वार्ड का है। जो असुविधाओं से पूरी तरह ग्रस्त है। आप को बता दें के प्राइवेट वार्ड एसी में मरीज को भर्ती करने का चार्ज 333 रुपये प्रतिदिन के आसपास का है। लेकिन अगर सुविधाओं की बात करें तो एसी का तार अलग निकला पड़ा है। साफ सफाई बगैर धूल खा रही एसी के आगे के हिस्से का पता ही नहीं है।जिसे देखकर लगता है कि काफी समय से यह खराब पड़ी हुई हैं। जिस पर अस्पताल प्रशासन का ध्यान आज तक नहीं गया। इतना ही नहीं कमरे में लगे बिजली के बटन भी जले पड़े हुए हैं। खिड़की पर दाग धब्बों के निशान मिलेंगे। बात करें हम अगर सफाई कर्मचारी की तो सुबह इक बार आकर सफाई कर देता है वह भी अपने मन के अनुसार झाड़ू लगा दिया तो कभी पोछां नहीं। वार्ड के अंदर बने बाथरूम को देखकर शायद जिला अस्पताल को स्वच्छ रखने का दावा करने वाले आलाधिकारियों को भी शर्म आ जाए। बाथरूम में लगी टोटी से पानी टपकता रहता! एसी वार्ड के अंदर बने इक छोटे से कमरे में अस्पताल का टूटा फूटा समान कबाड़ के रुप में पड़ा है। जहाँ तक इस कमरे का तात्पर्य मरीज के परिजन से जुड़ा होगा। लेकिन कबाड़ से भरे इस कमरे में मच्छरों ने अपना आशियाना बना लिया है। एसी 3 वार्ड की हालत तो और भी खराब है। बिजली के सारे प्वाइंट जले पड़े हैं। लगी हुई एसी कबाड़ है। बस दिखावे के लिए है कि आप जिला अस्पताल में मरीज के लिए पैसे देकर प्राईवेट वार्ड ले रहे हैं। वार्ड के लिए रुपये देने के बाद भी अस्पताल प्रशासन अन्देखा कर रहा है। इतना ही नहीं वार्ड ब्वॉय और नर्स को बुलाने के लिए मरीज के परिजन को कई चक्कर लगाने पड़ते हैं तब जाकर इक बार वह आते हैं। वार्ड के अंदर मरीज के लिए आक्सीजन की कोई सुविधा नहीं है।
सवालिया घेरे में हैं जिम्मेदार अधिकारी- जिला अस्पताल के प्राइवेट वार्ड में फैली असुविधाएं जिम्मेदार अधिकारियों पर सवालिया निशान खड़ी करती हैं। जब पेसेंट के परिजनों से रुपये लिए जाते हैं तो सुविधाएं मुहैया क्यों नहीं कराई जाती। क्या सरकार से इन वार्ड के देखभाल और सही रखरखाव के लिए बजट नहीं आता?अगर आता है तो इतनी असुविधाएँ क्यों है? सवाल यह भी खड़ा होता है क्या जिला अस्पताल के प्राईवेट वार्ड में कभी सीएमओ, सीएमएस ने विजिट किया है, अगर किया है तो क्यों वार्ड की ऐसी स्थिति बनी है या फिर अस्पताल प्रशासन जानबूझकर इसे नजरअंदाज कर रहा है।'
करीब एक महीने पहले स्वास्थ्य मंत्री ने किया था दौरा- आपको बता दें कि करीब एक महीने पहले स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर सिद्धार्थ सिंह ने रायबरेली जिला अस्पताल का औचिक निरीक्षण किया था। जिसमें अस्पताल प्रशासन ने खूब सुर्खियां बटोरी। मंत्री जी को अस्पताल में मरीजों से मिलवाया गया। अस्पताल को दिखाया गया। लेकिन क्या मंत्री जी को अस्पताल का प्राइवेट वार्ड दिखाया गया जो इस समय अपनी असुविधा के आंसुओं से रो रहा है। और चीखकर अस्पताल प्रशासन की करतूतों को उजागर कर रहा है। रूपये मांगने को लेकर डॉक्टर के खिलाफ मंत्री जी से एक शख्स ने शिकायत भी थी, जिसमें मंत्री जी ने सबूत का हवाला देकर कहा था कि कार्रवाई करुंगा सबूत दीजिए जो कि सोशल मीडिया पर काफी वायरल भी हुआ था। अब सवाल यह उठता है जिला अस्पताल के प्राइवेट वार्ड कि यह फोटो सबूत और साक्ष्य दोनों हैं देखने वाली बात यह है कि अस्पताल की इस स्थिति के लिए जिम्मेदार लोगों पर क्या कार्रवाई होती है,या फिर प्राइवेट वार्ड ऐसी असुविधाओं का दंश झेलता रहेगा।


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