नयी दिल्ली, 29 जनवरी, हिन्दी के प्रसिद्ध कवि विश्वनाथ प्रसाद तिवारी और अंग्रेजी एवं उड़िया के मशहूर लेखक जयंत महापात्र समेत चार लेखकों को भारतीय साहित्य में उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए साहित्य अकेडमी का फेलो बनाया गया है। साहित्य अकेडमी का यह सर्वोच्च सम्मान है। अकेडमी की जनरल कौंसिल की 90 वीं बैठक में श्री तिवारी, श्री महापात्र के अलावा डोगरी की मशहूर लेखिका पद्मा सचदेव और असमिया के लेखक नागें सैकिया को इस सम्मान के लिए चुना गया। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रह चुके तिवारी साहित्य अकेडमी के अध्यक्ष भी रह हैं। उनकी 50 से अधिक पुस्तकें निकल चुकी हैं। वह 1978 से दस्तावेज पत्रिका का प्रकाशन कर रहे हैं जिसके अब तक 150 अंक निकल चुके हैं। उन्हें व्यास सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान और महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान मिल चुका है। श्री महापात्र ओडिशा के एक सरकारी कालेज में भौतिकी के शिक्षक रहे। उनकी 30 से अधिक पुस्तकें निकल चुकी हैं। उन्हें साहित्य अकेडमी पुरस्कार के अलावा उत्कल विश्वविद्यालय से डी लिट की मानद उपाधि मिल चुकी है। श्रीमती सचदेव की हिन्दी में 15 तथा डोगरी में 10 किताबें आ चुकी हैं। उन्हें सरस्वती सम्मान तथा साहित्य अकेडमी पुरस्कार मिल चुके हैं। श्री सैकिया की 125 किताबें निकल चुकी हैं। वह राज्यसभा के सदस्य तथा उसके उप सभापति भी रह चुके हैं। इसके अलावा वह अमर असम तथा नूतन दैनिक के संपादक भी रहे हैं। उन्हें साहित्य अकेडमी पुरस्कार मिल चुका है। साहित्य अकेडमी के फेलो की अधिकतम संख्या 21 होती है। किसी फेलो के निधन के बाद रिक्त स्थानों को भरा जाता है।
मंगलवार, 29 जनवरी 2019
विश्वनाथ और जयंत को साहित्य अकेडमी का फेलो
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