यू.पी.ए.सरकार के कार्यकाल में सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 लागू हुआ
कुर्सेला। प्रायः यह सुनने एवं देखने में आता है कि क्षेत्र के नाम पर दो थानों आमने-सामने आ जाते हैं और आपस में ही तू-तू,मैं-मैं करने लगते हैं। एक थानाध्यक्ष प्रभावित व्यक्ति से कहते हैं कि यह जगह मेरे थाना क्षेत्र के अधीन नहीं है। इसी तरह दूसरे थाने के थानाध्यक्ष भी कहते हैं कि मेरे थाने के हिस्से में नहीं पड़ता है। प्रभावित व्यक्ति पेंडुलम की तरह घुमते रह जाता है। ठीक इसी तरह सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 का आवेदन देने जाने वाले व्यक्ति के साथ हुआ। यह मामला कटिहार जिले के कुर्सेला प्रखंड कार्यालय का है।
सूचना का अधिकार का आवेदन देने
प्रगति ग्रामीण विकास समिति के जिला समन्वयक गए थे कटिहार जिले के कुर्सेला प्रखंड-सह-अंचल कार्यालय में सूचना का अधिकार का आवेदन देने। दो थानों के बीच में थानाध्यक्ष द्वारा क्षेत्र के नाम पर विवाद खड़ा करना। ठीक इसी तरह कुर्सेला प्रखंड और कुर्सेला अंचल के बड़ा बाबू ने सूचना का अधिकार का आवेदक लेने में शुरू कर दिए। तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त कार्यालय से सूचना का अधिकार के तहत जानकारी मांगी गयी कि सहरसा,मधेपुरा और सुपौल जिले में कोसी बाढ़ के दौरान मरने वालों की सूची दें। आपदा प्रबंधन विभाग से मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने एवं राहत संबंधी जानकारी देने की मांग की गयी थी। इसी तरह नरेगा की जानकारी मांगी गयी। बहुत ही सुगमता से लिखित आवेदन पर उपलब्ध कराया गया।
आखिर अंचल पदाधिकारी के नाम से लिखित आवेदन में था क्या ?
सूचना का अधिकार-2005 के तहत सूचना प्राप्त करने के लिए आवेदन। कुर्सेला अंचल के ही अंचल पदाधिकारी ही लोक सूचना पदाधिकारी हैं। आवेदक नन्दू कुमार ऋषि हैं। मांगी गई सूचना का ब्यौरा है कि महादलितों को जमीन खरीदकर आवासीय जमीन देने हेतु सरकार की ओर से आयी राशि की जानकारी दें। वित्तीय वर्ष 2015-2016, 2016-2017, 2017-2018 और 2018-2019 में सरकार के द्वारा प्राप्त राशि। उक्त वित्तीय वर्ष में जमीन खरीदने में राशि व्यय। वित्तीय वर्ष में कितने महादलितों के लिए खरीदी गयी। वित्तीय वर्ष में राशि वापिसी।
इस आवेदन के चक्कर में अंचल और प्रखंड के बड़ा बाबू
अनुभवी जिला समन्वयक ने लिखित सूचना का अधिकार का आवेदन अंचल पदाधिकारी के नाम से लेकर आए थे। अव्वल अंचल कार्यालय के बड़ा बाबू को आवेदन दिया गया। आवेदन पढ़ने के बाद बड़ा बाबू कहे कि यह आवेदन प्रखंड कार्यालय के बड़ा बाबू को जाकर दें। प्रखंड कार्यालय के बड़ा बाबू आवेदन का अवलोकन करने के बाद कहा कि यह अंचल कार्यालय का है। अंचल कार्यालय के बड़ा बाबू ने कहा कि सीओ साहब के नाम से आवेदन है तो काटकर बीडीओ साहब लिख दें। एक काम करें कि डाटा आॅपरेटर को आवेदन दिखला दें। डाटा आॅपरेटर का निर्णय मान लिया जाएगा। डाटा आॅपरेटर ने निर्णय दिया कि जब अंचल और प्रखंड के बड़ा बाबू आवेदन नहीं ले रहे हैं तो अच्छा होगा कि सूचना का अधिकार का आवेदन को रजिस्ट्री करके भेज दें।
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