अरुण कुमार (बेगूसराय) शुभ माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सरस्वती पूजा मनाया जाता है।माँ वीणापाणि,सरस्वती ज्ञान,संगीत और कला की देवी मानी जाती हैं।धार्मिक ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन शब्दों की शक्ति ने मनुष्य के जीवन में प्रवेश किया था। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सृष्टि को वाणी देने के लिए ब्रह्मा जी ने कमण्डलसे जल लेकर चारों दिशाओं में छिड़का था।इस जल से हाथ में वीणा धारण कर जो शक्ति प्रकट हुई वह सरस्वती देवी कहलाई।उनके वीणा के तार को छेड़ते ही तीनों लोकों में ऊर्जा का संचार हुआ और सबको उन शब्दों में वाणी मिल गई।वह दिन बसंत पंचमी का दिन था,इसलिए बसंत पंचमी को देवी सरस्वती का दिन माना जाता है।बसंत पंचमी के दिन पिले रंग के कपड़े धारण करने चाहिए और मां सरस्वती की पूजा पीले और सफेद रंग के फूलों से करना चाहिए।
बसंत पंचमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त:-
पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 7:15 बजे से दोपहर 12:52 बजे तक।पंचमी तिथि का प्रारंभ काल माघ शुक्ल पंचमी शनिवार 9 फरवरी की दोपहर 12:25 बजे से शुरु पंचमी तिथि समाप्ति का समय,रविवार 10 फरवरी को दोपहर 2:08 बजे तक।
माँ सरस्वती की पूजा विधि:-
सुबह स्नान करके पीले या सफेद वस्त्र धारण कर प्रातः काल पूर्वाभिमुख बैठकर माँ शारदे की प्रतिमा अथवा तस्वीर सन्मुख स्थापित कर स्वयं अथवा सुयोग्य ब्राह्मणों के द्वारा उनका ध्यान कर पंचोपचार पूजन कर ॐ ऐं वाग्वादिनी सरस्वत्यै नमः या ॐ ऐं ह्रीं सरस्वत्यै भुवनेश्वर्यै नमः अथवा ॐ ऐं सरस्वत्यै नम: मंत्र का जाप 10008बार या यथा सामर्थ या कम से कम 108 बार जाप अवश्य ही करना चाहिये।इससे भगवती सरस्वती प्रसन्न होती हैं।इस तरह पूजा अर्चना करने से मातेश्वरी की कृपा प्राप्त हो कार्य सिद्ध होता है,यह विद्यार्थियों के लिये विशेष श्रेयस्कर है।
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