संतो को दो फाड़ में बाटना चाहते है स्वामी स्वरुपानंद: निरजंन ज्योति - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 6 फ़रवरी 2019

संतो को दो फाड़ में बाटना चाहते है स्वामी स्वरुपानंद: निरजंन ज्योति

मोदी और योगी के राज में ही राम मंदिर बनेगाए, जब सही समय आएगा तो मंदिर बनेगा जो शक्तियां कई पीढ़ियों तक शत्रु थीं, अब वे संधि करके हिंदुओं एवं साधु-संतों के खिलाफ षड्‍यंत्र कर रही हैं

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प्रयागराज (सुरेश गांधी) । द्वारकाशारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती कांग्रेस की साजिश में आकर संतो में फूट डालना चाहते है। यह लोग कभी राम मंदिर के लिए लड़े ही नहीं। ये लोग राम मंदिर के लिए कभी प्रयासरत थे ही नहीं और ना ही होंगे। यह लोग केवल कांग्रेस के लिए आंदोलन कर रहे है, ना कि राम मंदिर के लिए। अगर राम मंदिर के लिए आंदोलन करना होता तो अब तक चुप क्यो बैठे थे। इन लोगों ने कभी चाहा ही नहीं कि राम मंदिर बने। अफसोस है कि जो शक्तियां कई पीढ़ियों तक शत्रु थीं, अब वे संधि करके हिंदुओं एवं साधु-संतों के खिलाफ षड्‍यंत्र कर रही हैं। ये बाते प्रयागराज में चल रहे कुंभ में कल्पवास कर रही केन्द्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने सीनियर रिपोर्टर सुरेश गांधी से विशेष बातवीत में कहीं। यह निरंजनी की अनुकंपा और संतों का आशीर्वाद है, जिसके फलस्वरूप उन्हें महामंडलेश्वर की पदवी और जिम्मेदारी मिली है। पूर्व की तरह राजनीति और अध्यात्म दोनों ही क्षेत्रों के दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया जाएगा। जहां तक राम मंदिर का सवाल है, मामला अभी अदालत में है, प्रधानमंत्री जी भी कह चुके हैं कि अदालत के फैसले के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।

साध्वी ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर वहीं बनेगा, जहां राम का जन्म हुआ। उन्हीं शिलाओं और ईंटों से बनेगा जो पूजित हुई हैं। उसी मॉडल पर बनेगा जो देशभर के घरों में पूजित हुआ है। उन्होंने कहा कि 42 एकड़ भूमि राम जन्मभूमि न्यास की है। न्यास के अध्यक्ष ने जब सरकार को पत्र लिखकर इसे लौटाने की मांग की तो प्रधानमंत्री ने इस पत्र के भेजे जाने के 15 दिन के भीतर त्वरित कार्रवाई करके उच्चतम न्यायालय में इसके लिए अर्जी दी और भूमि लौटाने की अनुमति मांगी। हम इसके लिए प्रधानमंत्री का आभार प्रकट करते हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण में देरी पर सरकार के खिलाफ गुस्सा स्वाभाविक है, लेकिन मोदी सरकार के बिना भी मंदिर का निर्माण संभव नहीं है। लोकसभा चुनाव के दौरान राम जन्मभूमि के लिए आंदोलन करना एक चुनावी मुद्दा हो सकता है। इसलिए साधु संत जागरण के काम करेंगे। आने वाले चार महीनों में आंदोलन का कोई काम नहीं होगा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक कारणों से समाज को बांटकर वोटों की कटाई का प्रयास हो रहा है। ऐसे लोग हमारे भेदों को उभारकर अपना काम साधना चाह रहे हैं। उनकी पहचान छुपी नहीं है। हमारी कमियों के कारण षडयंत्र पनप रहा है। हमारा भेद न रहे, कोई अलग न कर सके और एकजुट रहना है। संत समाज को दिशा देने का काम करते रहें। क्योंकि हिन्दू समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की नई-नई योजनाएं हो रही हैं। हिन्दू समाज को कपट युद्ध के बारे में बताना होगा। हमारा समाज अज्ञानी है उसे जानकारी देनी होगी। टीवी कैमरे के सामने भारत तेरे टुकड़े होंगे... कहने वाले सबरीमाला में महिला-पुरुष भेदभाव की बात कर रहे हैं। 

इसके पहले मकर संक्रांति के दिन नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री और उत्तर प्रदेश के फतेहपुर से सांसद साध्वी निरंजन ज्योति को निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर बालकानंद गिरी की मौजूदी में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ तेरह अखाड़ों के प्रतिनिधियों ने चादर उढ़ाकर महामंडलेश्वर की पदवी दी। इस दौरान उनका पट्टाभिषेक भी किया गया। बता दें, साध्वी निरंजन ज्योति इस पट्टाभिषेक के बाद अखाड़े की सोलहवीं महिला महामंडलेश्वर बन गईं। इस पदवी के लिए साध्वी निरंजन ज्योति के अलावा कई संतों के आवेदन आए थे। बाद में योग्यता के आधार पर केंद्रीय मंत्री को महामंडलेश्वर बनाने का फैसला लिया गया। अब तक निरंजनी अखाड़े में संतोषी गिरि, संतोषानंद सरस्वती, मां अमृतामयी, योग शक्ति सहित 15 महिला महामंडलेश्वर बन चुकी हैं। साध्वी निरंजन ज्योति निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर परमानंद गिरी की शिष्या भी हैं। कार्यक्रम में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी के अष्टकौशल महंत नरेंद्र गिरि जी महाराज सहित सचिव श्रीमहंत रवींद्र पुरी, श्रीमहंत आशीष गिरि, श्रीमहंत दिनेश गिरि, जूना के संरक्षक महंत हरिगिरि, श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती सहित बड़ी संख्या में अखाड़े के संत, महंत, नागा संन्यासी और श्रद्धालु मौजूद थे। बाद में सभी ने भंडारा में प्रसाद ग्रहण किया। इससे पहले महिला संत निर्भयानंद पुरी को महामंडलेश्वर की पदवी सौंपी गई थी। निरंजन ज्योति से पहले निरंजनी में संतोषी गिरि, संतोषानंद सरस्वती, मां अमृतमयी, योग शक्ति सहित पंद्रह महिला महामंडलेश्वर शामिल थीं। 

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