अरुण कुमार (आर्यावर्त) अंतरराष्ट्रीय फैमिली डाक्टर्स दिवस पर ग्लोकल हॉस्पिटल में जागरूकता शिविर का आयोजन रविवार को किया गया।ग्लोकल के सभा हाल में आयोजित इस अवेयरनेस प्रोग्राम का आयोजन हॉस्पिटल के सभाकक्ष में किया गया।जिसमें बड़ी संख्या में मरीजों के परिजनों ने भाग लिया।मौके पर संबोधित करते हुए ग्लोकल हॉस्पिटल के डॉक्टर प्रभाकर कुमार ठाकुर ( MBBS, MD, DM (GASTO) ने कहा कि खानपान में गड़बड़ी के कारण आजकल हेपेटाइटिस बीमारी की शिकायतें आ रही है।इससे बचने के लिए टीकाकरण कराना जरूरी है जो किसी भी उम्र में लिया जा सकता है।इसके तीन डोज हैं जिसे नियमित रूप से पूरा कराना अनिवार्य होता है।उन्होंने कहा कि हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमण से फैलने वाली बीमारी है जो रक्त से,दूषित सुई के प्रयोग से,शारीरिक संबंध बनाने से,संक्रमित महिलाओं से गर्भ में पल रहे बच्चों में संक्रमण होने का खतरा रहता है।इन बातों को ध्यान रखकर हेपिटाइटिस बी और सी से बचा जा सकता है।
क्या है हेपेटाइटिस रोग :-
लीवर की सूजन को हेपेटाइटिस कहते हैं।इसके विभिन्न कारण होते हैं.
वायरल हेपेटाइटिस – हेपेटाइटिस ए,बी,सी,डी एवं ई.।
अल्कोहलिक हेपेटाइटिस-(शराब के सेवन से)
नन अल्कोहलिक स्टीटो हेपेटाइटिस (मधुमेह मोटापे एवं अन्य कारणों से)
वायरल हेपेटाइटिस क्या है एवं इसके प्रकार :-
आमतौर पर हेपेटाइटिस पांच प्रकार के होते हैं जो वायरस से संक्रमण होता है. जिसे हेपेटाइटिस ए,बी,सी,डी,ई कहते हैं।इनमें से हेपेटाइटिस ए और ई का संक्रमण दूषित खान-पान से होता है।इनसे बचने के लिए स्वच्छ भोजन एवं पेयजल का प्रयोग करना चाहिए।
हेपेटाइटिस के प्रमुख लक्षण :-
आंख व पेशाब का पीलापन (जोंडिस), भूख की कमी, पेट दर्द, उल्टी, कमजोरी कभी-कभी बुखार और खुजली की भी शिकायत होती है. इन लक्षणों के पाए जाने पर रोगी को तुरंत चिकित्सकों से सलाह लेनी चाहिए. बीमारी होने पर डाक्टर की सलाह से खानपान और नियमित दवा का सेवन करना चाहिए
गंभीर लक्षण :-
जॉन्डिस के अलावा पेट फूलना,बेहोशी की शिकायत,रक्त निकलना,पेशाब का कम होना गंभीर संक्रमण को बताता है।गर्भवती महिलाओं को स्क्रीनिंग व टीकाकरण कराना चाहिए।
बचाव :-
स्वच्छ भोजन व पेयजल,दूषित रक्त एवं संक्रमित सूई के प्रयोग से बचना चाहिए।गर्भधारण करने वाली महिलाओं की स्क्रीनिंग एवं टीकाकरण कराना चाहिए।हेपेटाइटिस बी के टीकाकरण बीमारी होने से पहले कराया जाता है।टीकाकरण किसी भी उम्र में कराया जा सकता है,टीका कम खर्चीला एवं आसानी से उपलब्ध है।टीके की तीन सूई का डोज होता है।
दूरगामी खतरे :-
हेपेटाइटिस बी एवं सी (एक्यूट हेपेटाइटिस) के दूरगामी खतरे की संभावना रहती है।क्योंकि कुछ रोगियों में हेपेटाइटिस बी एवं सी के अलावा लिवर सिरोसिस एवं कैंसर पायी गई है।इसलिए सही समय पर लिवर का इलाज कराना आवश्यक माना गया है।
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