पूर्णिया : राम मंदिर अब धर्म का विषय नहीं रहा, हो रही वोट बैंक की राजनीति : शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 25 मई 2019

पूर्णिया : राम मंदिर अब धर्म का विषय नहीं रहा, हो रही वोट बैंक की राजनीति : शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती

- देश में हिन्दु धर्म और आस्था के साथ हो रही राजनीति
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कुमार गौरव । पूर्णिया : देश में इन दिनों लोकसभा चुनाव में किस पार्टी को कितनी सीेटें मिली और कौन सरकार बनाएगा इस बात पर तो चर्चा का दौर जारी है लेकिन धर्म और कर्म के ऊपर किसी भी प्रकार की चर्चा तक नहीं है। चुनाव से पहले राम मंदिर एक धर्म का मुद्दा बन गया था लेकिन चुनाव समाप्त होते ही यह मुद्दा विलुप्त हो गया। अब धर्म सिर्फ वोट बैंक की राजनीति बन कर रह गई है। यह बात गोवर्धन मठ पुरी के सद्गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने शनिवार को जिला स्कूल रोड स्थित वीरेंद्र मोहन ठाकुर के आवास पर दीक्षांत सह धर्म सभा समारोह के दौरान कही। शंकराचार्य ने कहा कि देश के आजाद होने से वर्तमान समय तक रामजन्म भूमि का मुद्दा क्यों नहीं सुलझ पाया इस पर विशेष रूप से चर्चा की जानी चाहिए। शंकराचार्य ने कहा वो हमेशा रामजन्म भूमि पर राम मंदिर के निर्माण के पक्षधर रहे हैं। लेकिन देश के कुछ राजनेता रामजन्म भूमि को राजनीति और वोट बैंक बना कर रख दिया है। शंकराचार्य ने कहा जब इस बात का विरोध किया तो मुझे धोखे से दो बार विषपान तक करा दिया गया। लेकिन भगवान श्रीराम की कृपा से मुझे कुछ नहीं हुआ। उसके बाद भी मुझे पांच बार शीशे का चूर्ण धोखे से दूध में मिला कर पिला दिया गया लेकिन मेरी मृत्यु नहीं हुई। 

...विहिप व आरएसएस का हुआ राजनीतिक इस्तेमाल :
शंकराचार्य ने कहा राम मंदिर का ढांचा तोड़ने के लिए साम, दाम, दंड व भेद सभी तरह के उपाय किए गए थे। इसके लिए विश्व हिन्दू परिषद व आरएसएस को इस्तेमाल में लाया गया। जब घटना हुई तो राजनेताओं ने सभी दोष विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस के ऊपर मढ़ दिया और खुद बच गए। उन्होंने कहा खतरा सिर्फ राम मंदिर पर ही नहीं है बल्कि पूरे हिन्दू धर्म पर मंडरा रहा है। हिन्दू धर्म और हिन्दू धर्मावलंबियों को समाप्त करने की बहुत बड़ी साजिश हो रही है। देश में दूसरे धर्मावलंबियों की संख्या अधिक और हिन्दूओं की संख्या लगातार कम हो रही है। यदि समय पर नहीं चेता गया तो एक दिन हिन्दू धर्म और हिन्दू सिर्फ कागज के पन्नों पर ही सिमट कर रह जाएंगे। शंकराचार्य ने कहा देश का प्रतिनिधि बनाना या प्रतिनिधित्व करना अलग बात है लेकिन हिन्दू धर्म के नाम पर राजनीति करना और मंदिर का मुद्दा बना कर शासन करना यह अशुद्धि और दुराचार है। शंकराचार्य ने कहा शंकराचार्य के नाम पर कुछ लोग राजनीति कर रहे हैं। कुछ लोग नकली शंकराचार्य बन कर हिन्दू आस्था और विश्वास के साथ विश्वासघात करने में लगे हैं। ऐसे शंकराचार्य किसी राजनीति पार्टी के महज प्रवक्ता और प्रचारक बने हुए हैं। जरूरत है ऐसे शंकराचार्यों से सावधान होने की। उन्होंने कहा धर्म के नाम पर राजनीति करना महापाप ही नहीं धार्मिक अपराध भी है। 

...हर किसी ने बनाया राम मंदिर को चुनावी मुद्दा : 
पीएम जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, चंद्रशेखर, बीपी सिंह, राजीव गांधी, नरसिम्हा राव, अटल बिहारी बाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी तक राम मंदिर को सिर्फ आज तक चुनावी मुद्दा ही बनाया गया लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया। शंकराचार्य ने कहा यदि राम मंदिर के आसपास मस्जिद का निर्माण हुआ तो समझिए कि देश में तीन तीन पाकिस्तान बन जाएंगे। भाजपा और आरएसएस का गठजोड़ चल रहा है। आरएसएस भाजपा के उकसाने पर ही कुछ कर पाता है। देश की हालत यह है कि चुनाव से पहले देश का मालिक जनता होती है लेकिन जैसे ही चुनाव समाप्त होता है राजनेता जनता पर हुकुमत चलाने लगते हैं और नेता जनता के ऊपर भारी पड़ने लगता है। जनता को हर काम और बात सरकार की अनुमति से ही करना पड़ता है। 

...गौ का भोजन बनाने वालों की संख्या अधिक व रक्षक कम : 
शंकराचार्य ने भक्तों के सवाल के जवाब में कहा गौ रक्षा जब तक सैद्धांतिक और संवैधानिक रूप नहीं लेता है तब तक गौ माता की हत्या होगी। गौ कुछ लोगों के लिए भोजन का संसाधन बन गई है इसलिए गौ माता की हत्या हो रही है। शंकराचार्य ने कहा गौ की रक्षा इसलिए नहीं हो पा रही है कि गौ का भोजन बनाने वालों की संख्या ज्यादा है और रक्षक की संख्या विलुप्त होने के कागार पर है। यह सब राजनेताओं द्वारा धर्म को राजनीति बनाने के कारण हुआ है। उन्होंने कहा दिग्विजय सिंह जैसे लोग जब तक देश में हैं तब तक शंकराचार्यों का अस्तित्व खतरा में रहेगा और गौ माता की हत्या होगी। नरेंद्र मोदी के उकसाने पर ही रामजन्म भूमि और राम मंदिर का मुद्दा उठाया गया लेकिन यह सिर्फ चुनावी मुद्दा ही बन कर रह गया। इसके लिए कई शंकराचार्य और बाबा को उकसाया गया था। लेकिन चुनाव समाप्त होते ही राम मंदिर का मुद्दा कहां गया यह किसी को पता तक नहीं है। 

...साईं बाबा की प्रतिमा मस्जिद, गुरूद्धारा या चर्च में क्यों नहीं लगाई जाती : 
साईं बाबा के घर में मूर्ति स्थापना को लेकर शंकराचार्य ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा वर्तमान समय में देश की शिक्षा नीति पू्र्ण रूप से भ्रष्ट और व्यापारीकरण हो चुका है। जिस कारण बचे खुचे हिन्दू समाज में विकृति फैल रही है। शंकराचार्य ने कहा जिसको धर्म और आस्था का ज्ञान नहीं है वहीं सांई बाबा की मूर्ति अपने घर में स्थापित करते हैं। लोग आस्था और विश्वास के नाम पर अपने धर्म को खुद ही नष्ट करने में लगे हैं। यदि सांई बाबा किसी भी जाति या धर्म के नहीं थे तो मस्जिद, गुरूद्धारा या चर्च में उनका मूर्ति क्यों नहीं लगाई जाती है। इसलिए कि वे लोग अपने धर्म के प्रति काफी अास्थावान व सजग हैं। आज इसी अंधविश्वास के कारण लोगों के घर में रामलला की जगह सांई बाबा की मूर्ति लग रही है और राम मंदिर मात्र एक चुनावी व राजनीति मुद्दा बन कर रह गया है। वहीं शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती की मौजूदगी में संध्या पूर्णिया सिटी स्थित सराय दुर्गा मंदिर में भी दीक्षांत सह धर्म सभा का आयोजन किया और हिन्दू धर्म की रक्षा व राम मंदिर निर्माण पर चर्चा की गई।

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