बिहार : मरीजो की संख्या में कमी ज़रूर आई पर परिस्थिति अभी भी गम्भीर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 24 जून 2019

बिहार : मरीजो की संख्या में कमी ज़रूर आई पर परिस्थिति अभी भी गम्भीर

मुजफ्फरपुर में बच्चों की मरने का वजह कुछ और है, सरकार छुपा रही है नाकामी
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मुजफ्फरपुर। आज मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों को देखने एसकेएमसीएच पहुंचे कांग्रेस के नेताओं को लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा है। रविवार को भीड़ के साथ कांगेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा और वीरेंद्र सिंह राठौर अस्पताल पहुंचे। इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया। करीब 15 वाहनों का काफिला लेकर आए थे, इसके कारण मरीजों को लेकर एम्बुलेंस का आवाजाही ठप पड़ गया था। इसको लेकर विरोध शुरू कर दिये। आज फिर एक बार मुज़फ़्फ़रपुर जा कर बच्चों और उनके परिवार वालों से मुलाक़ात की। पहले के तुलना से परिस्थिति थोड़ी ठीक हुई है पर आज भी लोग दवा ना मिलने को ले परेशान दिखे।मरीजो की संख्या में कमी ज़रूर आई पर परिस्थिति अभी भी गम्भीर है और सरकार को इस दिशा में बहुत कुछ करने की ज़रूरत है एक अन्य समाचार के अनुसार राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान पटना की सात सदस्यीय टीम ने कल मुजफ्फरपुर और हाजीपुर वैशाली की लगभग सात अलग अलग- गांवों में जाकर पीड़ित परिवार के सदस्यों से मिला। उनके साथ उनसे कुछ जानने की कोशिश की है जो चैकाने वाली है। बताते चले कि इस पूरे मामले में राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार ने बच्चों की मौत को लीची में समेटने की कोशिश की है लेकिन जैसे- जैसे अलग अलग टीम जाकर इस मामले का खुलासा की है वो नाकाफी है जबकि असल बात कुछ और है। बता दें कि एनसीडीएचआर की टीम ने इस मामले में पूरी तरह से राज्य सरकार और केंद्र सरकार की नाकामी बताई है। यह कुपोषण का मामला है, लीची तो एक बहाना है। टीम ने कई ऐसे बच्चों के माता पिता से मिले उनके बच्चे की मौत सिर्फ पैसे नहीं रहने के वजह से हुई है । और इसमें बहुत ज्यादा मौतें ैज्ञडब्भ् के उन मेडिकल छात्रों के वजह से हुई हैं। जो बहुत ही चिंतनीय है क्योंकि एक अदना सा बुखार एक बड़ी बहाना बनी और सैकड़ो बच्चों की जान ले ली। टीम के लोगों ने सरकार से सभी गाँव में सर्वे करने की माँग की है। सामाजिक कार्यकर्ता प्रतिमा पासवान ने कहा कि आज भी उन बच्चों के लिए पर्याप्त पानी की व्यवस्था नहीं है। वो भी एक वजह है,कुपोषण का जिसे छुपाने की पूरी कोशिश की जा रही है । महिला अधिकार मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनामिका ने कहा कि जिस प्रकार से बच्चों की मौत हुई है वो आंकड़ा ज्यादा है लेकिन मेडिकल रिकॉर्ड के अनुसार सिर्फ 132 मौतें क्यों दिखाई जा रही है। इलाज करने वाले के पास किसी भी प्रकार की एडमिशन स्लिप नहीं हैं, आखिर यह खेल क्या खेला जा रहा है। क्या अब ये मामला बच्चों के लाश के बाद उसके मुआवजे की स्कैमिंग का खेल शुरू होगा।

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