बिहार : शनिवार को अस्पताल में पोस्टमॉर्टम हाउस के पीछे झाड़ियों में एक शव भी मिला - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 23 जून 2019

बिहार : शनिवार को अस्पताल में पोस्टमॉर्टम हाउस के पीछे झाड़ियों में एक शव भी मिला

  • मस्तिष्क ज्वर के चलते बिहार में शनिवार सुबह तक 173 बच्चों की मौत हो चुकी, 2010 से 2019 तक 471 बच्चों की मौत हो गयी है

गंगा बचाओं अभियान ट्रस्ट के संस्थापक विकास चन्द्र उर्फ गुड्डू बाबा ने कहा कि बिहार अस्पताल के कैंपस मे ये किसकी लाशें और कैसी लाशें सैकड़ों के तादात मे जलाई गई है। यहाँ इधर उधर मानव कंकाल पड़े हुए हैं। इसका जिम्मेवार कौन है अस्पताल प्रशासन और जिला प्रशासन दोनों ये जांच का विषय है।
dead-body-found-bihar
पटना, 22 जून। गंगा बचाओं अभियान ट्रस्ट के संस्थापक है विकास चन्द्र उर्फ गुड्डू बाबा। दीघा थानान्तर्गत बालूपर मोहल्ला में रहते हैं। यहां से चलकर मुजफ्फरपुर स्थित श्रीकृण मेडिकल एंड हाॅस्पिटल (एसकेएमसीएच) पहुंचे। वहां पर जाकर सीधे बगीचा में जा पहुंचे। वहां पर जाकर गुड्डू बाबा ने साबित कर दिया कि वास्तव में एक समाज सेवी हैं। हाॅस्पिटल के द्वारा अमानवीय कृत्यों को पर्दाफाश कर दिया।  बताते चले कि आज एक चैनल के खोजी रिपोर्टर ने सनसनीखेज उद्भेदन किया कि हाॅस्पिटल में मर जाने वाले लोगों का शव को बिना अंतिम संस्कार किये ही बगीचा रूपी जंगल में फेंके  दिया जाता है। इसके कारण यहां मानव कंकालों का अम्बार हो गया था। यहां पर मुख्यमंत्री आने वाले थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आगमन के पूर्व इधर उधर फेंके गए शवों को उठा कर सामूहिक दाह संस्कार किया गया। बेहतर ढंग से कार्य नहीं करने के कारण अनेक नर कंकाल जंगल में पड़ा ही रह गया था। डायनामिक इंडिया ग्रुप के सचिव के.के. सिंह कहा है कि आजतक सरकार और जिला प्रशासन एवं मीडिया क्यों नहीं पहुंचा। क्योंकि सभी अपने पॉकेट भरने के लिए ही ज्यादा काम करते हैं। समाज के लिए नहीं, मानवता को शर्मसार करने वाले इस घटना का जवाब कौन देगा? एक नजर में सिर्फ और सिर्फ सरकार इसके लिए जिम्मेदार हैं, क्योंकि एक- दो कंकाल भी मिलना संदेह के घेरे में है, क्या हॉस्पिटल के आड़ में कहीं न कहीं कोई जीवन और मृत्यु का खेल तो नहीं खेला जा रहा है, क्या खूनी खेल तो नहीं खेला जा रहा था, इतने कंकाल का होना कहीं न कहीं किडनैप और लापता बच्चों की ओर इशारा कर रहा है। उन्होंने कहा कि कहीं अमीरों के लिए इतने मासूम के कोई अंगों को लेकर उनके बॉडी को फेंक तो नहीं दिया गया है? ये रूटिंग में मरने वाले कंकाल नहीं लग रहे हैं, ये साजिश के तहत मारे गए मानव का कंकाल है। जाँच जल्द से जल्द करने का आदेश दिया जाना चाहिए। ऐसे समाज सेवी को दिल से धन्यवाद देता हूं ऐसे समाज सेवी ही देश का दशा और दिशा बदल सकते हैं, सरकार तो कैसे कुर्सी बचे यही सोचने में पूरा पाँच साल बीता देते हैं। इस बीच बिहार के मुजफ्फरपुर में स्थित सरकारी अस्पताल श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) के पीछे शनिवार को मानव कंकाल मिले हैं। यह अस्पताल बिहार में फैले एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) की वजह से चर्चा में है। इस अस्पताल में अब तक 108 बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं,बिहार में शनिवार सुबह तक 173 बच्चे इस बीमारी के चलते जान गंवा चुके हैं। हॉस्पिटल में पोस्टमॉर्टम हाउस के पीछे नर कंकालों के टुकड़े और हड्डियां मिलीं। झाड़ी में एक शव भी मिला। हॉस्पिटल प्रशासन ने इस मामले में जांच कराने की बात कही है। बताया जा रहा है कि अस्पताल कर्मी इन झाड़ियों में लावारिस लाशों को फेंक देते हैं। इस संबंध में एसकेएमसीएच अधीक्षक डॉ.एसके शाही ने बताया कि पोस्टमॉर्टम विभाग प्रिंसिपलके अधिकार क्षेत्र में है। शव के साथ मानवीय व्यवहार होना चाहिए। मैं इस संबंध में प्रिंसिपल से बात करूंगा और उनसे इस मामले की जांच के लिए कमेटी बनाने के लिए कहूंगा। 

130 से ज्यादा बच्चे अभी भी यहां भर्ती
एसकेएमसी हॉस्पिटल के सुपरिंटेंडेंट डॉ. सुनील कुमार शाही ने बताया कि मस्तिष्क ज्वर से पीड़ित 68 बच्चे अभी आईसीयू में एडमिट हैं और 65 बच्चों का इलाज सामान्य वार्ड में चल रहा है। हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस अस्पताल का दौरा किया था। 

2012 में हुई थी 120 बच्चों की मौत
एसकेएमसीएच हॉस्पिटल से मिले आकड़ों के मुताबिक, हुई थी। 2010 में 59 भर्ती हुए और 24 की मौत हुई। 2011 में 121 भर्ती हुए और एक भी मौत नहीं हुई। 2012 में 336 भर्ती और 120 की मौत हुई। 2013 में 124 भर्ती और 39 की मौत हुई। 2014 में 701 भर्ती और 90 की मौत हुई। 2015 में 75 भर्ती और 11 मौत हुई। 2016 में 31 भर्ती और 04 मौत हुई। 2017 में 17 भर्ती और 11 मौत हुई। 2018 में 14 भर्ती और 7 मौत हुई। एईएस से अब तक 165 जानें गईं, नहीं थम रही परिजनों की चीख-पुकार जारी है।

कोई टिप्पणी नहीं: