बिहार : लकी डाॅ से वेतन भुगतान न सुना होगा और न देखा ही होगा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 20 जून 2019

बिहार : लकी डाॅ से वेतन भुगतान न सुना होगा और न देखा ही होगा

वित्तीय वर्ष 2018-2019 में भुगतान नहीं किया गया। एक साल से वेतन ही भुगतान नहीं हो रहा था। अब पुनः पुरानी रोग शुरू हो गया है। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को ध्यान देने की जरूरत है। ऐसी व्यवस्था हो कि प्रत्येक माह वेतन भुगतान होते रहे। यह स्वास्थ्य विभाग पर क्लंक लग गया कि लकी डाॅ निकालकर वेतन भुगतान किया गया।
doctors-payment-bihar
पटना,11 जून। यह आप न देखा होगा और न ही सुना होगा। बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के द्वारा असैनिक शल्य चिकित्सा सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी के खजाने में पर्याप्त राशि आवटित नहीं किए। जो राशि मिली, उसी को विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में बंटवारा कर दी गयी। इस बंटवारे में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र,धनरूआ को 4 लाख रू. प्राप्त हुआ। 18 पुराने ए.एन.एम. के बीच में साढ़े दस लाख रू. की जरूरत पड़ती है। तब प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने जुगाड़ व्यवस्था का सहारा लिया। 18 ए.एन.एम. का नाम पर्ची पर लिखा गया। इन पर्चों को मिला दिया गया। इसके बाद पीछे से किसी कर्मचारी को बुलाकर 7 पर्चा उठाने को कहा गया। इस तरह लकी डाॅ से 7 ए.एन.एम.को एक माह का वेतन मिला। बताते चले कि बिहार में करीब 17855 ए.एन.एम. हैं? इन ए.एन.एम. को दो श्रेणी में विभक्त कर दिया गया है। एक श्रेणी में नए बहाल ए.एन.एम. को रखा गया है। दूसरी श्रेणी में पुराने ए.एन.एम. हैं। इन दोनों श्रेणियों का अलग-अलग खाता खोला गया है। बता दें कि नए बहाल ए.एन.एम. को बिहार सरकार की ओर से राशि भुगतान की जाती है। इसके कारण इनको कमोबेश वेतन भुगतान होते रहता है। योजना पर आधारित कार्यरत हैं पुराने ए.एन.एम.। इसके कारण केन्द्रीयांश और राज्यांश से प्राप्त राशि से ही इनका वेतनादि मिलता है। इसके कारण इनको बेवक्त वेतनादि मिलता है। इसको लेकर आक्रोश व्याप्त है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग का प्रयास चल रहा था कि सभी ए.एन.एम. को वित्तीय वर्ष 2019-20 अप्रैल माह से मासिक वेतनादि देने का प्रस्ताव था। जो सफल नहीं हो सका। इसके कारण मार्च, अप्रैल और मई माह का वेतन मिलना बंद हो गया। इस बीच असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, पटना के खजाने में कुछ राशि आंवटित कर दी गयी। इस अल्प राशि को विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में बंटवारा कर दिया गया। इस तरह की बन्दरबांट से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, धनरूआ को मात्रः 4 लाख रू. प्राप्त हुआ। यहां पर 18 पुराने ए.एन.एम. है। एक माह के वेतन भुगतान करने में साढ़े दस लाख रू. की जरूरत पड़ती है। काफी दिमागी कसरत करने के बाद प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी,धनरूआ को जुगाड़ सुझा। उन्होंने सभी ए.एन.एम. से लकी डाॅ निकलवाने पर सहमति प्राप्त कर लिया। पर्ची में सभी ए.एन.एम. का नाम लिखा गया। इसके बाद पर्ची को मिला दिया गया। पीछे से किसी कर्मी को बुलाकर 7 पर्ची निकालने को कहा गया। इस तरह 7 ए.एन.एम. को एक माह का वेतन भुगतान किया गया। 11 ए.एन.एम. को मार्च, अप्रैल और मई माह का वेतन नहीं मिला है। 7 ए.एन.एम. को अप्रैल और मई माह का वेतन भुगतान नहीं किया गया है। बता दें कि वित्तीय वर्ष 2018-2019 में भुगतान नहीं किया गया। एक साल से वेतन ही भुगतान नहीं हो रहा था। अब पुनः पुरानी रोग शुरू हो गया है। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को ध्यान देने की जरूरत है। ऐसी व्यवस्था हो कि प्रत्येक माह वेतन भुगतान होते रहे। यह स्वास्थ्य विभाग पर क्लंक लग गया कि लकी डाॅ निकालकर वेतन भुगतान किया गया।

कोई टिप्पणी नहीं: