बिहार : "हिन्दुस्तान की डायरी" का विमोचन एवं विचार गोष्ठी का आयोजन सम्पन्न - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 9 जून 2019

बिहार : "हिन्दुस्तान की डायरी" का विमोचन एवं विचार गोष्ठी का आयोजन सम्पन्न

पूर्णियाँ प्रमण्डल के जाने-माने रचनाकार श्री दीर्घ नारायण जी की नवीनतम रचना 
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अरुण कुमार (आर्यावर्त) पूर्णिया प्रमंडल के जाने-माने रचनाकार, राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित कथाकार श्री दीर्घ नारायण के ताजा तरीन कथा संग्रह,'हिन्दुस्तान की डायरी' का स्थानीय विमोचन एवं विचार गोष्ठी का आयोजन, पूर्णिया की साहित्यिक संस्था 'समर्पण'के तत्वावधान में सुधांशु सभागार,कला भवन, पूर्णिया में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का संयोजन साहित्य विभाग,कला भवन ने किया। आरंभ में मंचासीन अतिथियों, वरिष्ठ कथाकार श्री महेश दर्पण (नयी दिल्ली), श्रीमती रजनी गुप्त (लखनऊ),श्री चंद्रकिशोर जायसवाल, डॉ प्रभात नारायण झा (आकाशवाणी, भागलपुर),श्री मांगने मिश्र मार्तंड, प्रोफेसर डॉ कमाल, प्राचार्य,एम एल आर्य कालेज कस्बा,निरुपमा राय,को पुष्प गुच्छ,और चादर लेकर सम्मानित किया गया। वरिष्ठ कथाकार , निरुपमा राय ने। अतिथियों का स्वागत करते हुए श्री दीर्घ नारायण जी की कहानियों पर अपनी टिप्पणी करते हुए कहा कि इनकी कहानियों सामाजिक समरसता का यथार्थ चित्रण करती हैं।आप तो ऐसे न थे पापा,मौसी की पथरी,सिंघवा उवाच जैसी कहानियां जीवन के प्रति रचनाकार की दृष्टि को दर्शाती हैं। कथाकार श्री शंकर पूर्वोत्तरी ने लेखक की कहानियों पर केन्द्रित अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मौसी की पथरी को पढ़ते हुए प्रेमचंद की कहानी'कफन'की याद आ गई। आप तो ऐसे न थे पापा,के माध्यम से लेखक लिंग भेद, आधुनिक विचारधारा और पिता पुत्री के द्वंद्व को दर्शाता है।कला पत्रिका के संपादक,श्री कलाधर ने कहानीकार के रचना प्रक्रिया पर टिप्पणी की और कहा कि लेखक के पास अपनी पहचान का संकट है।उनकी भाषा अभी बनी नहीं है। हर कहानी में अलग भाषा बुनावट है।पहली बार बिहार आई लखनऊ निवासी कथाकार रजनी गुप्त ने कथा संग्रह'हिन्दुस्तान की डायरी'को उत्कृष्ट कहानियों का संग्रह बताया और कहा कि दीर्घ नारायण रेणु माटी के रचनाकार होकर भी भिन्न भाव भूमि और यथार्थ बोध की कहानियां लिखते हैं। वरिष्ठ कथाकार श्री महेश दर्पण ने कहानीकार के मिजाज की चर्चा करते हुए कहा कि दीर्घ नारायण की कहानियों में काफी विविधता है। देश-काल की समकालीन चुनौती को लेखक स्वीकार करता है और भारत की कहानी पात्रों की जुबानी रचता है। डॉ प्रभात नारायण झा आकाशवाणी भागलपुर ने कहा कि जब तक हम पाश्चात्य विचारकों के मानदंड पर भारतीय कहानी को परखेंगे तब तक उसकी सही विचार विंबों को नहीं समझ पाएंगे। कथाकार श्री चंद्रकांत राय ने बताया कि हिंन्दुस्तान की डायरी एक ऐसा कहानी संग्रह है जिसमें जीवन के यथार्थ बोध को देखते हैं। कहानियां जीवन की सच्चाई से हमें रूबरू कराती है। मांगन मिश्र मार्तंड ने दीर्घ नारायण को रेणु की परंपरा का संवाहक बताया वहीं डॉ कमाल ने रचनाओं को प्रगतिशील और विचारणीय बताया। कार्यक्रम के अध्यक्ष, वरिष्ठ कथाकार श्री चंद्रकिशोर जायसवाल ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में दीर्घ नारायण जी को रेणु की परंपरा का एक समर्थ रचनाकार बताया और कहा कि उनकी कहानियों में भविष्य का संकेत नजर आता है। कार्यक्रम का मंच संचालन किया वरिष्ठ रंगकर्मी कवि श्री उमेश आदित्य ने और धन्यवाद ज्ञापन किया श्री संजय सनातन,सचिव समर्पण ने।इस अवसर पर श्री विजय नंदन प्रसाद, शंभू कुशाग्र, महेश विद्रोही, मंजुला उपाध्याय, सामाजिक कार्यकर्ता श्री सुमित प्रकाश, गिरिजा नंदन झा,अंजू दास,निशा प्रकाश,बाबा वैद्यनाथ झा, डॉ के के चौधरी,उत्तिमा केसरी, ज्योत्स्ना कुमारी, सुरेन्द्र मिश्रा, रंजीत तिवारी, अनंत भारती, दिनकर दीवाना, अतुल मल्लिक अंजान,एस एम झा, संजीव सिंह, शंभू सिंह, इत्यादि सहित बड़ी संख्या में साहित्य कार मौजूद थे।

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