- इंसेफलाटिस के बारे में केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चैबे ने कहा कि 7 सदस्यीय टीम आ रही है
शुगर हमारे शरीर के लिए मुख्य ईंधन की तरह काम करता है और हमारा दिमाग भी इस पर पूरी तरह निर्भर है। जब आपका ब्लड शुगर लेवल कम होता है तो दिमाग के काम करने की क्षमता पर भी इसका असर पड़ता है। हाइपोग्लाइसीमिया से निपटने के लिए शरीर की अंदरूनी कार्यप्रणाली इंसुलिन के स्त्राव को कम करती है और ग्लूकागॉन का स्राव बढ़ा देती है।
पटना,11 जून। बिहार में ‘चमकी बुखार‘ को लेकर खींचतान जारी है। यह सिलसिला 2005से जारी है। इस बार ‘चमकी बुखार‘ होने का ठीकरा लोकसभा का चुनाव पर फोड़ा जा रहा है। तो क्या वास्तव में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी 17 वीं लोकसभा के चुनाव में व्यस्त होने से दायित्व निभाना भूल गए ? ‘हां‘ इस सवाल का जवाब कम से कम डबल इंजिन की सरकार के मंत्री दे रहे हैं। खुद सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चैबे का कहना है कि चुनाव के कारण ही राज्य में जागरूकता अभियान नहीं चल सका। इसका असर 40 से अधिक मां-बहनों की गोद सूनी करके पूरी की गयी। प्रभावित परिवार को मुआवजा देने की मांग की जा रही है।
इसका उल्टा असर मुजफ्फरपुर में पड़ा
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने 10 जून को कहा है कि ‘चमकी बुखार‘ से उत्पन्न मौत हाइपोग्लाइसीमिया के कारण हो गयी है। शरीर में शूगर की कमी हो जाने से बीमार और मौत हो जाती है। मंत्री जी के अनुसार के 11 बच्चों की मौत होने को स्वीकार करते हैं। उसी दिन एसकेएमएससी के अधीक्षक डाक्टर एस.के.शाही ने कहा कि 19 बच्चों की मौत हो गयी है। वहीं मलेरिया कार्यालय के रिपोर्ट के अनुसार मुजफ्फरपुर में ही केवल एईएस से 23 बच्चों की मौत हो गयी है। केवल एसकेएमसीएच में 18 बच्चे मर गए। बिहार में 28 से अधिक बच्चों की मौत होने की सूचना है। 80 से अधिक बीमार हैं। एसकेएमएससी में आईसीयू में जगह नहीं है। 4 आईसीयू खोल दिया गया है। एक बेड पर एक-दो बच्चों को रखकर इलाज किया जा रहा है। राहत की बात है कि मौसम सुहावना होने से ‘चमकी‘ के मरीज कम आने लगे हैं। मंत्री स्तरीय और अधिकारियों के द्वारा घोषित संख्याओं में काफी अन्तर है।
इस ‘चमकी बुखार‘ की जांच करने के केन्द्र से हाईलेवल के 7 सदस्य टीम आ रही है जो बीमारी का नाम और जागरूकता में उलझे लोगों को समुचित जानकारी देंगे। जापानी इंसेफलाटिस,एईएस और हाइपोग्लाइसीमिया के शिकार होकर 40 से अधिक बच्चों की मौत होने वाले परिवारों को मुआवजा देने की मांग होने लगी है।
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