दुमका : आचार्य ज्योतींद्र प्र0 झा ’’पंकज’’ के जन्मशती काव्य संध्या का आयोजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 9 जून 2019

दुमका : आचार्य ज्योतींद्र प्र0 झा ’’पंकज’’ के जन्मशती काव्य संध्या का आयोजन

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) पंकज गोष्ठी न्यास समिति के तत्वावधान में दिन रविवार की शाम शिव पहाड़, दुमका स्थित पंकज भवन में आचार्य ज्योतींद्र प्र0 झा ’’पंकज’’ जन्मशती समारोह की आंचलिक चर्चा /गोष्ठी सह काव्य संध्या का आयोजन किया गया। एस पी महाविद्यालय, दुमका के सेवानिवृत्त वि़द्वान शिक्षक, हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य हस्ताक्षर, कवि व सुकंठ गीतकार डाॅ0 रामवरण चैधरी की अध्यक्षता मंे संपन्न हुई इस आंचलिक चर्चा/ गोष्ठी सह काव्य संध्या मंे प्रबुद्ध पाठक व श्रोता तथा कई-कई भाषाओं के विद्वान डॉ. चतुर्भुज नारायण मिश्र (सेवानिवृत्त सरकारी पदाधिकारी) डॉ नंदकिशोर झा, डॉ विश्वनाथ झा, डॉ अमरनाथ झा, कुणाल पंकज, श्रीमती अन्नपूर्णा झा, सुकंठ गीतकार व पूर्व विधायक कमलाकांत प्रसाद सिन्हा, राष्ट्रीय स्तर पर हालिया प्रकाशित कविता संग्रह ’’कई कई बार होता है प्रेम’’के चर्चित हस्ताक्षर अशोक सिंह, कवि, लेखक, साहित्यकार, अधिवक्ता व पत्रकार अमरेंद्र सुमन, दुमका की एकमात्र साहित्यिक संस्था सतीश स्मृति मंच के संरक्षक/ सचिव विद्यापति झा, उत्तम कुमार दे, रोहित अम्बष्ट, सौरभ कुमार सिन्हा, ऋतु राज कश्यप, अभिषेक दुबे, दुर्गेश चैधरी, नवीन कुमार गुप्ता, नवीन चंद्र ठाकुर, विश्वजीत राहा, केशव कुमार सिन्हा इत्यादि इस अवसर अपनी-अपनी रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुगध कर दिया। जहाँ एक ओर कई उत्कृष्ट गीत प्रस्तुत किये गए वहीं दूसरी ओर गजल, कविता व अन्य विद्याओं में भी रचनाओं का सस्वर गायन व पाठ हुआ। एक से बढ़कर  झारखण्ड-बिहार के चर्चित कवि, नाटककार, समीक्षक एवं प्राध्यापक आचार्य ज्योतींद्र प्रसाद झा पंकज का जन्म 30 जून 1919 को तत्कालीन संताल परगना जिले के सारठ प्रखंड के खैरबनी ग्राम में हुआ था। तीन दशक (1940 से लेकर 1970) तक स्व0 पंकज  बिहार-झारखण्ड में साहित्यिक आंदोलनों के माध्यम से राष्ट्रीयता की लौ जगाते रहे। सन् 1955 में दुमका में गठित साहित्यिक संस्था पंकज गोष्ठी उनके देहावसान (सितंबर 1977) तक बिहार-झारखण्ड की मूर्धन्य साहित्यिक संस्था बनी रही। इस गोष्ठी में रचना प्रस्तुत कर पाने का अवसर मिल पाना ही रचनाकार को स्थापित करने के लिए पर्याप्त हुआ करता था। 30 जून 2019 को उनकी जन्मशती पूरी हो रही है। पंकज गोष्ठी न्यास द्वारा वर्ष 2018-19 को आचार्य की जन्मशती वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इस शताब्दी वर्ष समारोह के बीज वपन के रूप में नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर की एक चर्चा गोष्ठी सह काव्य संध्या का आयोजन किया जा चुका है जिसमें राष्ट्रीय स्तर के 30 कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की हैं। दिन रविवार की शाम को आयोजित साहित्यिक चर्चा सह कवि गोष्ठी आयोजित गोष्ठी में दुमका की साहित्यिक विरासत के अनुरूप वरिष्ठ से लेकर उदीयमान तक 30 कवियों ने काव्य पाठ किया। पंकज गोष्ठी न्यास की ओर से अध्यक्ष डॉ विश्वनाथ झा द्वारा  यह भी घोषणा की गई कि जन्मशती वर्ष के उपलक्ष्य में आचार्य पंकज की स्मृति में प्रतिवर्ष दो साहित्यिक पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे, एक राष्ट्रीय पुरस्कार और एक आंचलिक पुरस्कार। आंचलिक पुरस्कार के लिए संताल परगना से ही रिसी साहित्यकार का चयन किया जाएगा। इस हेतु साहित्यकारों से प्रविष्टि मांगी गई जबकि  राष्ट्रीय स्तर पर संपूर्ण भारत वर्ष से प्रविष्टियां मंगवाई जा रही हैं। 30 जून 2019 को दुमका- देवघर में एक भव्य समारोह में ये पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।

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