- पूरब में सुरक्षा दीवार और पश्चिम में नहर बीच में 'सैंडविच' के रूप में रहने को बाध्य विस्थापित भूमिहीन
दीघा से एम्स तक नहर पर एलिवेटेड पुल बना है जो चालू नहीं हो सका है. पिलर बनने से लोगों की झोपड़ी सिमट गयी है. पाटलिपुत्र स्टेशन का रेलखंड होने के कारण सुरक्षा दीवार खड़ी कर दी गयी है.ऐसा कर देने से पहाड़ की तरह दुख आ गयी है.ऐसा इस लिए तंग किया रहा है कि लोग भाग जाएं. पेश है आलोक कुमार रिपोर्ट.
दानापुर,13 जुलाई। यह हाल अंचल कार्यालय, दानापुर के कार्यक्षेत्र में स्थित टेशलाल वर्मा नगर का है. यहां के लोग गांधी, विनोबा और जयप्रकाश के मार्ग पर चलकर अंहिसात्मक आंदोलन किए.दानापुर अंचल कार्यालय परिसर में नौ माह तक धरना सत्याग्रह किए. अंचल कार्यालय के अंचल पदाधिकारी मूर्कदर्शक बन गए.वहीं दानापुर अनुमंडल पदाधिकारी शक्तिशाली बनकर धरना सत्याग्रह से संबंधित सामाजिक कार्यकर्ताओं पर धारा 107 लगा दिया.इतना जोर जुल्म सहने के बाद भी पूर्व मध्य रेलवे परियोजना से विस्थापितों को पुनर्वास नहीं किया गया. बताते चले कि केन्द्र व राज्य सरकार के द्वारा धरती पर आने और चले जाने के बाद भी कल्याण व विकास की योजना संचालित है. आपदा और पुनर्वास करने की योजना है.आवासीय भूमिहीनों को खरीदकर जमीन देने का प्रावधान है. मगर पद से चिपके अधिकारी-पदाधिकारी काम करते ही नहीं है. इसके आलोक में 275 से अधिक सैंडविच की तरह वाले 2007 में जनादेश, 2012 में जन सत्याग्रह और 2018 में जनांदोलन में शामिल होकर सत्याग्रह पदयात्रा में शामिल हुए. इसका भी सरकार पर प्रभाव नहीं पड़ा. सामाजिक कार्यकर्ता सुनील कुमार ने कहा कि चंदा करके माननीय पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गयी. माननीय उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को चार माह में मसला को सलटाने का आदेश दिया.निर्धारित अवधि में भी पदाधिकारी टस से मस नहीं हुए. इनके सकारात्मक रवैया नहीं होने से माननीय न्यायालय में अवमानना दायर किया गया है. जो विचाराधीन है. मॉनसून की बारिश होने से दीघा नहर में भी बहाव तेज है. इसी नहर के किनारे शौचक्रिया करने को बाध्य हैं. कारण कि शौचालय नहीं बनाया गया है. यहां तक सैंडविच की तरह रहने वालों को शुद्ध पेयजल नहीं नहीं मिल रहा है. पेयजल की किल्लत है.आवाजाही करने में दिक्कत है. नहर पर नीचे चचरी पुल बह गया. हर दिन चचरी पुल को ऊंचा किया रहा है.
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