एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक अनीश भाई ने कहा कि गांधीयन कलेक्टिव के द्वारा 5 जुन से शुरु किये गये इस उपवास अभियान का 70वाँ दिन है, यह उपवास शृँखला 2 अक्तूबर तक चलेगी.....
भोपाल,12 अगस्त। गरीब, किसान, मजूदर और पर्यावरणीय हितों की संरक्षा के लिए एकता परिषद द्वारा ‘गांधीयन कलेक्टिव’ आंदोलन के अंतर्गत देश भर में 13 अगस्त को एक दिवसीय उपवास किया जायेगा। इस उपवास का नेतृत्व एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रनसिंह परमार करेंगे,जिनके समर्थन में सैकड़ो कार्यकर्ता मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उड़ीसा, बिहार, झारखंड, आसाम और मणिपुर में एक दिवसीय उपवास करेंगे। एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रनसिंह परमार ने कहा कि गांधी जी के बीज मंत्र ‘अंतिम व्यक्ति का हित’ लोकतांत्रिक शासकों को हमेशा अनुसरण योग्य मार्ग दिखाता है, किंतु सरकारों द्वारा इसकी अनदेखी की जा रही है। उन्होनें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी पर्यावरण प्रभाव आकलन 2020 के मसौदे को आडे हाथों लेते हुए कहा कि इसमें उद्योगों को वर्गीकृत करके पर्यावरणीय मंजूरी की आवष्यक्ता से कुछ उद्योगों को मुक्त किया गया है और सार्वजनिक जनसुनवाई करने से छूट तथा पर्यावरणीय उल्लंघन की रिपोर्ट करने का अधिकार को सीमित कर दिया गया है जिसमें इससे पीड़ित समुदाय रिपोर्ट नहीं कर सकता। इस प्रकार की कार्यवाही लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। जनसुनवाई से छूट देने वाली परियोजनाएं अक्सर कमजोर समुदायों विषेषकर आदिवासियों और पीड़ितों की आजीविका, संस्कृति और स्वास्थ्य को प्रभावित करती है जिसके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठा सकता। उन्होनें कहा कि इस सत्याग्रह का आयोजन सरकार के समक्ष मांगों की सूची के साथ नहीं बल्कि अंतिम व्यक्ति के लिए एक नई राजनीति के पक्ष में जनमत और विवेक को बढ़ाने वाला यज्ञ है जो पीड़ित जनता के हित के लिए है। सत्तारूढ़ और विपक्षी राजनीतिक दलों पर जनता के दबाव द्वारा उन्हें जन-विरोधी और पर्यावरण-विरोधी नीतियों और राजनीति से दूर करना भी इसका मकसद है। एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक अनीश भाई ने कहा कि गांधीयन कलेक्टिव के द्वारा 5 जुन से शुरु किये गये इस उपवास अभियान का 70वाँ दिन है, यह उपवास श्रृंखला 2 अक्तूबर तक चलेगी।
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