नेहरू की सरकार ने 1950 में आर्टिकल 341 से धार्मिक प्रतिबंध हटाया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 12 अगस्त 2020

नेहरू की सरकार ने 1950 में आर्टिकल 341 से धार्मिक प्रतिबंध हटाया

  • वर्तमान प्रधानमंत्री से धारा 341 से धार्मिक प्रतिबंध हटाकर दलित मुसलमान और ईसाईयों के आरक्षण के संवैधानिक अधिकार को बहाल करके सबका साथ, सबका विकास के वायदे को पूरा किए जाने की मांग की....
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पटना (आलोक कुमार)  देश के अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय का झुकाव कांग्रेस से रहा है.मगर कांग्रेस ईसाई समुदाय की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरी है.कांग्रेस की सरकार द्वारा धारा 341 में संशोधन कर धार्मिक प्रतिबंध लगाकर मुस्लिम, ईसाई दलित और अति पिछड़ों का आरक्षण छीन ली है. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सरकार ने वर्ष 1950 में आर्टिकल 341 से धार्मिक प्रतिबंद लगाने का काम किया. जिसके कारण अल्पसंख्यक दलित अपने अधिकारों से वंचित है.आज उनकी हालत बद से बदतर होती जा रही है. अब सबका साथ,सबका विकास और सब पर विश्वास करने वाली मोदी सरकार से उम्मीद करने लगे है  जिस प्रकार सरकार ने धारा 370 को समाप्त किया है उसी प्रकार से आर्टिकल 341 से धार्मिक प्रतिबंद हटा ले.जिससे हर समुदाय लोगों को अनुसूचित जाति का लाभ मिल सके.

मालूम रहे कि आजादी का पहला उद्देश्य देश के सभी वर्गों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक विकास के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना था.धर्म, जाति, वर्ग, नस्ल, लिंग, भाषा के भेदभाव के बिना सभी वर्गों के पिछड़ेपन को दूर करने और उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए आरक्षण की सुविधा दी गई. लेकिन स्वतंत्र भारत की कांग्रेस की पहली सरकार ने समाज के विभिन्न दलित ओर अति पिछड़े वर्गों के साथ भेद भाव करते हुए आरक्षण से संबंधित धारा 341 में संशोधन कर धार्मिक प्रतिबंध लगा दिया.इस प्रकार 1936 से मिल रहे दलित और अन्य पिछड़े वर्ग के आरक्षण को छीन लेने का काम किया. जो भारतीय संविधान के खिलाफ था. इस धारा 341 में किया गया संशोधन में यह स्पष्ट है कि सिर्फ हिंदू धर्म के दलित को छोड़कर किसी अन्य धर्म के दलित को आरक्षण न दिया जाए.जब कि मुसलमानों में धोबी, मेहतर, मोची, नट, हलालखोर, नट भी दलित की श्रेणी में आते है.जबकि ईसाई समुदाय के नेतृत्व करने वाले मिशनरी एक बार नहीं अनेक बार सत्ता में रहने वाले प्रधानमंत्री से धर्मान्तरित दलित ईसाइयों को आरक्षण देने की मांग करते रहे हैं. अब वर्तमान प्रधानमंत्री से धारा 341 से धार्मिक प्रतिबंध हटाकर दलित मुसलमान और ईसाईयों के आरक्षण के संवैधानिक अधिकार को बहाल करके सबका साथ, सबका विकास के वायदे को पूरा किए जाने की मांग की. 

जनहित में बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजन क्लेमेंट साह ने कहा है कि जबतक  संविधान की धारा 341 से धार्मिक प्रतिबंध नहीं हटाया जाता है, तब तक दलित मुसलमानों को आरक्षण नहीं मिल सकता. जबकि मुसलमानों की बड़ी आबादी दलितों से जुड़े पेशों में शामिल है. मंगलवार को जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि संविधान की धारा 341 पर धार्मिक प्रतिबंध की वजह से दलित मुस्लिम और दलित ईसाई अनुसूचित जाति के आरक्षण से बाहर हैं. उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने 1936 में दिया था. इस पर किसी प्रकार का धार्मिक प्रतिबंध नहीं था. इस तरह से सभी धर्म के दलितों को अनुसूचित जाति का आरक्षण मिल रहा था, मगर 10 अगस्त 1950 को तत्कालीन नेहरू सरकार ने अध्यादेश 1950 के जरिये धार्मिक प्रतिबंध लगाकर हिन्दुओं को छोड़कर अन्य धर्म के दलितों को अनुसूचित जाति से बाहर कर दिया. सिखों को 1956 में और बौद्धों को 1990 में दोबारा इस श्रेणी में शामिल किया गया. दलित मुस्लिम और ईसाई आज भी अनुसूचित जाति के आरक्षण से बाहर हैं.गरीब सवर्ण आरक्षण में मुसलमान भी शामिल :उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने हाल ही में गरीब सवर्णों को 10 फीसदी जो आरक्षण दिया है, उसमें इस श्रेणी के मुसलमान भी शामिल हैं.इसी तरह से ओबीसी आरक्षण में भी किसी तरह का धार्मिक प्रतिबंध नहीं है. अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में भी किसी तरह का धार्मिक प्रतिबंध नहीं है. गरीब सवर्णों, ओबीसी और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में मुस्लिम समाज को भी भागीदारी मिलती है लेकिन संविधान की धारा 341 पर धार्मिक प्रतिबंध की वजह से दलित मुसलमान और दलित ईसाई अनुसूचित जाति के आरक्षण से बाहर हैं.

एक रिटायर पुलिसकर्मी ने कहा कि  यही जात पात तो देश को खंडित कर रहा है .अभी देश का ये ज्वलंत मुद्दा नही , जो मुद्दा है बेरोजगारी, अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हो रहे कार्य ,साजिश, कला धन , महंगाई, की, किसानों की समस्या, उनकी आत्महत्या,फसल का उचित मूल्य, देश की आर्थिक स्तिथि की सुधार,इत्यादि , देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने से रोकना, NRC का ज्वलंत मुद्दा और आप भाजपा का समर्थन करने लगे ? अभी ये सब सोचने का समय नही है , कोई दल शुद्ध नही , मगर कांग्रेस के साथ सदा ईसाई रहे हैं और रहेगा , ये फोड़ने का काम बंद करे , कुछ भी हो कांग्रेस हमेशा, अल्पसंख्यकों की हिमायती रही है . 70 साल से ऐसे ही देश चला कर उच्च शिखर पर नही पहुंचा दिया .उसी के हर चीज पर आज ये भाजपाई राज भोग रहे हैं और कहते है 70 साल में कांग्रेस ने क्या किया.अरे सालो तुम बताओ तुम7 साल में क्या किये सिवा हिन्दू मुस्लिम , हिंदुस्तान पाकिस्तान, जवानों की हत्या के .हम ईसाइयों को किसी तरह इनके झांसे में नही आना है अन्यथा हम कहीं के नही रहेंगे .और इन्हें जड़ से उखाड़ फेंकना है अगर ये अगले 5 साल और रहे तो देश तो पूरा बिक ही जायेगा और हम अल्पसंख्यक को दूसरी नागरिकता में रखेंगे, जहां न वोट देने का अधिकार होगा न कोई संवैधानिक मान मर्यादा, अधिकार ही प्राप्त होगी .संभल जाइए .उनका ढोल पीटना बंद करें. इस संदर्भ में जानकार लोगों का कहना कि न ही कांग्रेस न ही बीजेपी पाक साफ है.कांग्रेस की नीति पढ़ लिये हैं.बीजेपी ने एंग्लो इंडियन समुदाय का संवैधानिक अधिकार लोक सभा,राज्य सभा और विधानसभा में मनोयन का छीन लिया है. ईसाई समुदाय को देखा जाता है कि लिखने वाले पत्रकारों को घेरने लगते है.जो मुद्धा है उसको छूने से कतराते हैं.पटना में दलित आरक्षण को लेकर आंदोलन हुआ.मगर कभी न बताया कि किस दल व नेता ने धर्म के आधार पर आरक्षण छीन लिया है.वह धारा के बारे में नहीं बताया.

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