देश के 74वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने दिल पर हाथ रखकर खुद से पूछिएगा, आखिरी बार आप ने किस शहीद को याद किया था? मैं शासन-प्रशासन से भी यही सवाल पूछ रही हूँ...
दिल्ली। एक शहीद की बहन है श्रुति सूद। वह कहती हैं कि काश हम भारतवासी जानते कि हमारी आज़ादी कितनी कीमती है, मैंने तो ये बात अपने भाई को खोकर जानी! मेरा भाई, मेजर अनुज सूद भारत की रक्षा के लिए शहीद हुआ। कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ते हुए उसने अपने सीने पर गोलियां खाईं। ये पत्र देश के लिए कुर्बान होने वाले ऐसे हर भाई के सम्मान की खातिर लिख रही हूँ। आए दिन हमारा कोई न कोई भाई सरहद पर शहीद होता है। हम सरहद पर जाकर उनकी रखवाली तो नहीं सकते पर इतना तो कर सकते हैं कि उनका बलिदान हमेशा जीवित रहे। वो कहावतों में नहीं, बल्कि सच में अमर रहें! श्रुति सूद ने कहा कि मैंने तो खुद देखा है कि शहीदों को कैसे भुला दिया जाता है। उनके सम्मान के लिए बहुत कम लोग आवाज़ उठाते हैं। लेकिन मैं उठाऊँगी।ताकि शहीदों के परिवार को प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति कार्यालय से आधिकारिक पत्र मिले जो उनके बलिदान को सम्मानित करे। ये पत्र/मेमेंटो शहीदों के परिवार के लिए आश्वासन होगा कि देश उनके साथ है। सुधि पाठक देश के 74वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने दिल पर हाथ रखकर खुद से पूछिएगा, आखिरी बार आप ने किस शहीद को याद किया था? मैं शासन-प्रशासन से भी यही सवाल पूछ रही हूँ।हमारे परिवार बहुत ही दुख की घड़ी में शुरू की थी लेकिन आज 2 लाख से भी ज़्यादा भारतीयों के समर्थन से हमारी उम्मीद बन चुकी है।आप भी हमारे अभियान का हिस्सा बनें। अभियान शुरू करने के बाद हिमाचल प्रदेश से सांसद किशन कपूर जी ने इसे राष्ट्रपति कार्यालय को भेजा और उचित कार्रवाई की मांग की है। राष्ट्रपति कार्यालय से जवाब मिला है कि इस मुद्दे को रक्षा सचिव के पास भेज दिया गया है। 130 करोड़ की आबादी वाले देश में बस 2 लाख लोगों ने आवाज़ उठाई तो शहीदों की बात राष्ट्रपति कार्यालय तक पहुँच गई। यदि ये संख्या 5 लाख हो गई तो ना सिर्फ़ हमारी बात पहुँचेगी बल्कि उसपर तुरंत कदम भी उठाया जाएगा। हम अपने घरों में चैन से इसलिए सोते हैं क्योंकि सारी रात सरहद पर कोई जागता रहता है। आइये इस स्वतंत्रता दिवस पर मेरे साथ मिलकर कहें कि हम भी भारत के शहीदों के लिए जागते रहेंगे, उनके सम्मान के लिए बोलते रहेंगे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें