बिहार : सत्र के 18वें दिन की शुरआत हंगामे से - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 18 मार्च 2021

बिहार : सत्र के 18वें दिन की शुरआत हंगामे से

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पटना : बिहार विधानमंडल बजट सत्र के 18वें दिन की शुरआत हंगामे से हुई है। विधानसभा में विपक्षी दल के विधायक जमकर हंगामा किए। राजद विधायकों द्वारा पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामों को लेकर विरोध किया गया। इसके साथ ही राजद विधायक द्वारा संतोष मिश्रा के भतीजे की हत्या पर अभी तक नहीं हुई गिरफ्तारी को लेकर भी हंगामा किया गया। वहीं इसके अलावा भाजपा विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि राज में वृद्ध, विधवा और दिव्यांगों के लिए मात्र ₹400 की सहायता राशि दी जाती है जो बेहद कम है। देश के अन्य राज्यों में 3000 से 4000 रुपए दिए जाते हैं। ऐसे में बिहार सरकार को भी इसकी राशि में बढ़ोतरी करनी चाहिए। इसके जवाब में सरकार के मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार 95 लाख लोगों को सहायता राशि देती है अन्य राज्यों की तुलना में बिहार सरकार पैसा नहीं दे सकती है। बिहार सरकार अकेले 70% वहन करती है। इसके बाद मंत्री के इस जवाब पर मंत्री ने आपत्ति जताते हुए कहा कि हसुआ के ब्याह में खुरपी के गीत जैसी बात है , मुझे शर्म आती है ऐसी बातें कहने में , साथ ही उन्होंने कहा कि सैंया भए कोतवाल अब डर काहे का इसके अलावा उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को कहा की हुजूर अब तो यही कहना पड़ेगा की का करूं सिंगार जब पिया मोरा आंधर। वहीं संविदा कर्मियों के स्थाई नियुक्ति को लेकर सवाल का जवाब देते हुए सरकार के मंत्री रामसूरत राय ने कहा कि अमीनों की बहाली प्रक्रिया में संविदा पर काम करने वाले कर्मियों को 5 साल तक सेवा पर वेटेज दिया जा रहा है लेकिन उनकी सेवा नियमित करने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास नहीं है। इसके साथ ही बिहार में जमीन की दाखिल खारिज में हो रही गड़बड़ी का मामला भी आज बिहार विधानसभा में उठा। विधानसभा के प्रश्नोत्तर काल में विधायक अफाक आलम ने इस मामले को उठाते हुए सरकार से जानना चाहा कि एक ही जमीन का दो बार दाखिल खारिज यानी म्यूटेशन कैसे हो जा रहा। इस सवाल का जवाब देते हुए सरकार के मंत्री रामसूरत राय ने कहा कि दाखिल खारिज के लंबित मामलों को निपटाने में विभाग काम कर रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि जो भी कर्मी दाखिल खारिज के मामले में शिथिलता बरत रहे हैं उनके ऊपर एक्शन भी लिया गया है। फिर भी अगर किसी जमीन का दो बार म्यूटेशन होता है तो यह पूरी तरह से गलत है ऐसे मामलों में दोषी कर्मियों के खिलाफ विभाग एक्शन लेगा।







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