- महापंचायत में किसान-मजदूरों का सैलाब, 26 मार्च के भारत बंद को ऐतिहासिक बनाने की अपील
- बिहार के किसानों के साथ भाजपा-जदयू ने किया है सबसे बड़ा विश्वासघात: दीपंकर भट्टाचार्य
- काॅरपोरेटों के हाथों खेती को जाने से बचायें. सबको भोजन मिल सके, इसकी लड़ाई हम लड़ रहे: गुरनाम सिंह भक्खी
- महागठबंधन के दल भी महापंचायत में हुए शामिल, केवल चुनाव भर का नहीं है महागठबंधन.
पटना 18 मार्च, तीनों कृषि काूननों को रद्द करने, बिहार विधानसभा से उसके खिलाफ प्रस्ताव पारित करने, एमएसपी को कानूनी दर्जा देने, एपीएमसी ऐक्ट की पुनर्बहाली और भूमिहीन व बटाईदार किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना का लाभ प्रदान करने सहित अन्य मांगों पर आज पटना के गेट पब्लिक लाइब्रेरी में भाकपा-माले, अखिल भारतीय किसान महासभा व खेग्रामस के संयुक्त बैनर से आयोजित किसान-मजदूरों की महापंचायत में हजारों किसान-मजदूरों ने भागीदारी निभाई. महापंचायत में मुख्य वक्ता माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार के किसानों के साथ भाजपा-जदयू ने सबसे बड़ा धोखा किया है. 2006 में ही एपीएमसी ऐक्ट को खत्म करके भाजपा-जदयू सरकार ने यहां के किसानों को दुर्दशा के चक्र में धकेल दिया था. कहा कि एमएसपी का सवाल केवल बड़े किसानों का नहीं है, बल्कि इसका खामियाजा छोटे किसानों को भुगतना होगा. यहां के किसानों को सबसे कम कीमत मिलती है. देश के हरेक हिस्से में किसानों को एमएसपी मिलनी चाहिए. भाजपा के लोग पंजाब और बिहार को एक दूसरे के विरोध में खड़ा करना चाहते हैं, लेकिन आज इस महापंचायत ने साफ संदेश दिया है कि बिहार के किसान भी आज मजबूती से खड़े हो चुके हैं. संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 26 मार्च के भारत बंद को उन्होंने बिहार में एक ऐतिहासिक बंद में तब्दील कर देने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों में होेने वाले चुनावों में किसानों का ही मुद्दा प्रधान मुद्दा होगा. एक-एक वोट भाजपा के खिलाफ देने और उसे हराने की अपील की.
पंजाब से आए किसान नेता गुरनाम सिंह भक्खी ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लगाए गए तमाम बंदिशों को ध्वस्त करते हुए हम 26-27 नवंबर से दिल्ली के बाॅर्डरों पर जमे हुए हैं. हम आपसे कहने आए हैं कि तीन कृषि कानून के खिलाफ लड़ाई केवल पंजाब-हरियाणा के किसानों की नहीं है. यदि हमारी खेती व हमारी जमीन काॅरपोरेटों के हवाले हो जाएगी, तो फिर हम खायेंगे क्या? ये कानून पूरे देश में खाद्यान्न संकट पैदा करेंगे और गरीबों के मुंह से रोटी छीन जाएगी. इसलिए हमारे लिए यह जीने-मरने की लड़ाई है. आज वक्त है कि देश के सभी किसान एकजुट हो जायें. हम एमएसपी लेकर रहेंगे. दिल्ली बाॅर्डर पर किसान आंदोलन की रिपोर्टिंग करने वाली पत्रिका ट्राॅली टाइम्स की संपादक व युवा महिला नेता नवरिकण नत्थ ने कहा कि खेती में हम महिलाओं का प्रतिशत 50 के आसपास है. लेकिन जमीन में भागीदारी मात्र 2 प्रतिशत है. यह लड़ाई हम सबकी है, पेट भरने की है. पेट का कोई धर्म नहीं होता. जिस प्रकार से जीने के लिए रोज-रोज खेती करना है, उसी प्रकार अब हर दिन आंदोलन भी करना है. उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही दिल्ली के बाॅर्डरों पर बिहार से किसानों का जत्था पहुंचेगा. महापंचायत को राष्ट्रीय जनता दल के नेता व बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष श्री उदयनारायण चैधरी, प्रख्यात साहित्यकार प्रेम कुमार मणि, सीपीआईएम के राज्य सचिव मंडल के सदस्य गणेश शंकर सिंह, किसान सभा-अजय भवन के नेता अशोक कुमार, पूर्व विधायक मंजू प्रकाश, भाकपा-माले के विधायक व खेग्रामस के सम्मानित बिहार राज्य अध्यक्ष सत्यदेव राम, विधायक व खेग्रामस नेता वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, तरारी से विधायक व अखिल भारतीय किसान महासभा के नेता सुदामा प्रसाद आदि नेताओं ने भी संबोधित किया. मंच का संचालन अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव, पूर्व विधायक व अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बिहार-झारखंड के प्रभारी काॅ. राजाराम सिंह ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन बिहार के जाने-माने किसान नेता काॅ. केडी यादव ने दिया. मंच पर माले के वरिष्ठ नेता काॅ. स्वदेश भट्टाचार्य, राज्य सचिव कुणाल, खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, शशि यादव, किसान महासभा के बिहार राज्य अध्यक्ष विशेश्वर प्र. यादव व सचिव रामाधार सिंह, विधायक दल के नेता महबूब आलम, संदीप सौरभ, मनोज मंजिल, महानंद सिंह सहित अन्य कई नेता उपस्थित थे. कार्यक्रम की शुरूआत में किसान आंदोलन के तमाम शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई. हिरावल की टीम ने शहीद गान को प्रस्तुत किया. इसके पहले बिहार में संगठित किसान आंदोलन के नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके उन्हें श्रद्धांजलि दी गई.
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