जम्मू-कश्मीर में भाजपा न सिर्फ सरकार बनाने की तैयारी में है, बल्कि अपना मुख्यमंत्री भी चाहती है। भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में इसके लिए पीडीपी और नेशनल कांफ्रेस के साथ समझौते का विकल्प खुला रखा है।
नई सरकार बनाने की जिम्मेदारी वित्तमंत्री अरुण जेटली और वरिष्ठ नेता अरुण सिंह को सौंपी गई है। इसके साथ ही झारखंड में मुख्यमंत्री के चुनाव के लिए स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और विनय सहस्त्रबुद्धे को पर्यवेक्षक बनाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में हुई संसदीय बोर्ड की बैठक में जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के सभी विकल्पों पर विस्तार से चर्चा हुई। बैठक में सभी नेताओं की स्पष्ट राय थी कि पहली बार दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी भाजपा को न सिर्फ सरकार बनाना चाहिए बल्कि मुख्यमंत्री की दावेदारी भी करनी चाहिए।
इसके लिए भाजपा को अपने खाते में कुल 31 विधायक होने का दावा करना चाहिए। इनमें भाजपा के 25 विधायकों के साथ-साथ सज्जाद लोन की पार्टी के तीन और बाकी तीन स्वतंत्र विधायकों को भी अपने खाते में मान रही है। जाहिर है 31 सीटों के साथ भाजपा आसानी से मुख्यमंत्री का दावा कर सकती है। संसदीय बोर्ड ने सरकार बनाने के लिए पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के साथ गठबंधन का विकल्प खुला रखा है। जो भी पार्टी भाजपा के मुख्यमंत्री को स्वीकार करेगी, उसके साथ सरकार बनाया जाएगा। यहां तक कि भाजपा तीन-तीन साल के लिए मुख्यमंत्री बनाने के फार्मूले के लिए भी तैयार है। लेकिन शर्त यह होगी कि पहले तीन साल के लिए भाजपा का मुख्यमंत्री होगा। इसके लिए उत्तरप्रदेश में मायावती और कर्नाटक में कुमारस्वामी के साथ कड़वे अनुभव की दलील दी गई। जिनमें तीन साल पूरा होने के बाद भाजपा को मुख्यमंत्री पद देने से इनकार कर दिया गया था। माना जा रहा है कि जल्द ही अरुण जेटली और अरुण सिंह पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के नेताओं के साथ विचार-विमर्श शुरू करेंगे।
झारखंड में स्पष्ट बहुमत को देखते हुए राज्य में सरकार गठन पर संसदीय बोर्ड में ज्यादा चर्चा नहीं हुई। वैसे तो बैठक में मुख्यमंत्री के लिए किसी नेता के नाम पर चर्चा नहीं हुई, लेकिन रघुवर दास को इसमें सबसे आगे माना जा रहा है। शुक्रवार को जेपी नड्डा और विनय सहस्त्रबुद्धे रांची जा सकते हैं, जहां विधायक दल की बैठक में रघुवर दास के नेता चुनने पर मुहर लग सकती है।

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