झारखंड में मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुये पिताशपुत्र ने विधानसभा चुनाव हारने का अनूठा रिकार्ड बनाया है । झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो और तत्कालीन मुख्यमंत्री शिबू सोरेन वर्ष 2009 के जनवरी में तमाड़ विधानसभा सीट से चुनाव हार गये थे 1 श्री सोरेन को छह माह के अंदर विधानसभा का सदस्य बनना था और इसके लिये उन्होंने तमाड़ विधानसभा का उपचुनाव लड़ा था लेकिन राजा पीटर के हाथो वह तमाड़ में पराजित हो गये और उन्हें मुख्यमंत्री के पद से त्याग पत्र देना पड़ा. श्री सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन भी इसबार मुख्यमंत्री रहते हुये अपनी पुरानी सीट दुमका से चुनाव हार गये। भारतीय जनता पार्टी की लुईस मरांडी ने हेमंत सोरेन को दुमका में पराजित कर दिया और इसके बाद श्री हेमंत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया. हालांकि श्री हेमंत दुमका के अलावा बरहेट विधानसभा क्षेत्र से भी चुनाव लड़े थे और वहां से उन्हें जीत मिली है ।
श्री शिबू सोरेन राज्य में तीन बार मुख्यमंत्री बने लेकिन कभी वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये. श्री शिबू सोरेन पहली बार दो मार्च 2005 से 12 मार्च 2005 तक दस दिनों के लिये मुख्यमंत्री बने थे. उसके बाद श्री शिबू सोरेन 27 अगस्त 2008 से 18 जनवरी 2009 तक 140 दिनों के लिये मुख्यमंत्री बने. श्री शिबू सोरेन तीसरी बार 30 दिसंबर 2009 से 31 मई 2010 तक 152 दिनों के लिये मुख्यमंत्री बने थे. श्री हेमंत सोरेन 13 जुलाई 2013 को पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने और उन्होंने 23 दिसंबर 2014 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया. राज्यपाल ने उनका इस्तीफा तत्काल मंजूर करते हुये उन्हें कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने को कहा. श्री हेमंत सोरेन 2009 में पहली बार राज्य सभा के सदस्य बने थे और उसके बाद वर्ष 2009 के दिसंबर में ही उन्हें झारखंड विधानसभा का सदस्य चुना गया. श्री हेमंत सोरेन दिसंबर 2009 से लेकर अब तक राजनीतिक सीढि़या चढते हुये पहले अर्जुन मुंडा सरकार में उप मुख्यमंत्री बने और फिर राज्य के मुख्यमंत्री बन गये। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इस बार 19 विधानसभा सीटोंपर जीत र्दज की है और हेमंत सोरेन का नेता प्रतिपक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा है ।

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