- आधुनिक एसी पैसेंजर रेल इंजन का भी किया लोकार्पण
वाराणसी। काशी की विरासत व गरिमा को बचाएं रखना आज की जरुरत बन गयी है। इसमें काशी के स्कूलों की भूमिका बड़ी हो सकती है। इसलिए काशी की पहचान, विरासत व गरिमा बनाएं रखने के लिए स्कूलों को आगे आना होगा। यह बातें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीएचयू में इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर टीचर्स एजुकेशन की आधारशिला रखने के बाद मौजूद शिक्षकों को संबोधित करते हुए कही।
मोदी ने कहा, 21वीं सदी ज्ञान की सदी है। इसमें भारत को विश्व गुरू की भूमिका निभानी है। भारत की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हर कोई बच्चे की अच्छी शिक्षा की कामना करता है। धनी से धनी परिवार को भी एक अच्छे शिक्षक की जरूरत होती है। अच्छी शिक्षा के लिए अच्छे शिक्षकों का कैसे निर्माण हो इस पर सोचने की जरूरत है। जिसे पता है उसे शिक्षक बनना है वो परीक्षा में सिर्फ पास होने के लिये नहीं पढ़ता, बल्कि शिक्षक बनने के लिए वह बेहतर ट्रेनिंग लेता है। व्यापारी सिर्फ डॉलर या पाउंड लाता है लेकिन शिक्षक पूरी पीढ़ी लाता है। इस धरती से संस्कार की गंगा बही है इसलिए विज्ञान, गणित जो भी शिक्षक हो उसे परंपराओं के बारे में पता होना चाहिए। मोदी ने कहा, भारत के नवजागरण में साहित्यकार, कलाकार भूमिका निभाएं, माहौल बनाएं। सामाजिक मुद्दों स्वच्छता, बेटी बचाओ, कुपोषण आदि पर नाटक, मंचीय प्रस्तुति हो ताकि लोग जागरूक हों। बनारस की विरासत बचाने के लिए स्कूलों को आगे आने का आह्वान किया। पर्यटक तो स्वतः आएगा लेकिन उन्हें यहां रोकने का इंतजाम हमें करना है। स्कूल एक-एक विरासत में विशेषज्ञता लें और उसके अनुरूप कार्यक्रम तैयार करें। कोई विद्यालय कबीर तो कोई तुलसी पर खास कार्यक्रम तैयार करे। मंचीय प्रस्तुतियों रोज शाम एक घंटा के लिए हो। इसमें पर्यटकों को बुलाया जाय। अंत में उन्होंने देर से पहुंचने के लिए क्षमा मांगते हुए कहा, मौसम की मुसीबत की वजह से मेरा जहाज देर से उड़ान भर सका। आप सभी को थोड़ा इंतजार करना पड़ा इसका हमें खेद है। हालांकि पीएम की इस विनम्रता पर स्वतंत्रता भवन सभागर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजायमान हो गया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने डीएलडब्ल्यू के पास एसी पैसेंजर रेल इंजन का लोकार्पण भी किया। इसका इंजन 4500 अश्वशक्ति का है, जो कोहरे में भी आसानी से परिचालन हो सकेगा। इस दौरान वह इंजन में ड्राइवर सीट पर बैठे और ड्राइवर से हाथ मिलाया।

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