21वीं सदी ‘ज्ञान की सदी’ है: नरेन्द्र माेदी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 2 जनवरी 2016

21वीं सदी ‘ज्ञान की सदी’ है: नरेन्द्र माेदी

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मैसुरू, 02 जनवरी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि 21वीं सदी ‘ज्ञान की सदी’ है हालांकि देशों का महत्व उनके धन-बल के आधार पर होता आया है लेकिन भारत का ज्ञान का पक्ष हमेशा मजबूत रहा है और आगे भी ऐसा ही रहेगा। श्री मोदी ने यहां महाराजा कॉलेज मैदान पर संत शिवरात्रि राजेंद्र स्वामी के शताब्दी वर्ष समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में ज्ञान अाधारित सामाज बनाने में यहां के संतो की महत्वपूर्ण भूमिका रही है और वे ज्ञान के दम पर देश को मजबूत बनाने के लिए हमेशा प्रयासरत रहे। उन्होंने कहा, “हाल के वर्षों में देशों को उनके धन बल के आधार पर महत्व दिया जाता है लेकिन भारत हमेशा ज्ञानशील देश रहा है और आगे भी रहेगा।” 

श्री मोदी ने कहा कि पहले किसी देश को उसकी सेना और धन की शक्ति के आधार पर आंका जाता था लेकिन अब ज्ञान शक्ति का समय है और इसीलिए भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा। उन्होंने कहा, “अब ज्ञान शक्ति किसी देश की किस्मत तय करती है और भारत उच्च कौशल प्राप्त युवाओं के हाथ में सुरक्षित है और आने वाली कई पीढ़ियों तक सुरक्षित रहेगा।” उन्होंने कहा कि धार्मिक नेता हमेशा विद्या में विश्वास रखते है और इसी कारण भारतीय समाज सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे धार्मिक गुरुओं ने जेएसएस महाद्यपीठ जैसे कई शैक्षणिक संस्थान स्थापित किए और यह बेहतरीन उदाहरण है जिसका अन्य लोग अनुसरण कर सकते है। 

कई शताब्दियों से देश के विकास में साधू संतों के योगदान की प्रशंसा करते हुए श्री मोदी ने कहा कि इन व्यक्तियों ने देश के स्वतंत्रता संग्राम को बल दिया। उन्होंने कहा, “साधू संत और मठाधीश एक साथ आगे आए और उन्होंने देश में स्वतंत्रता संग्राम की अलख जगाई और आखिरकार 1947 में देश को आजादी मिली।” प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भी देश में संकट पैदा हुआ तो साधू संतों ने उसे हल करने में अहम भूमिका अदा की और लोगों को परेशानियों से बाहर निकाला। उन्होंने कहा, “शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न मठों का योगदान बेजोड़ है और यहां तक कि सरकार भी ऐसी प्रगति हासिल नहीं कर सकती जैसा कि उन्होंने की।” प्रधानमंत्री बनने के बाद यह श्री मोदी का पहला मैसुरू दौरा है। श्री मोदी ने कन्नड़ भाषा में अपना भाषण शुरु किया, जिसकी यहां मौजूद लोगों ने प्रशंसा की। 

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