ज्यादा कन्हैया-कन्हैया नहीं कहिये नही तो मोदी-मोदी सुनाई पड़ने लगेगा : कन्हैया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 2 मई 2016

ज्यादा कन्हैया-कन्हैया नहीं कहिये नही तो मोदी-मोदी सुनाई पड़ने लगेगा : कन्हैया

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पटना, 02 मई। अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष व ए.आई.एस.एफ. के नेता कन्हैया कुमार ने खचाखच भरे पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हाॅल में सभा को संबोधित किया।ए.आई.एस.एफ. और ए.आई.वाई.एफ. द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ज्यादा कन्हैया-कन्हैया नहीं कहिये नही ंतो मोदी-मोदी सुनाई पड़ने लगेगा। उन्होंने कहा कि आज सुबह अखबार पढ़ते हुए नजर पड़ी कि लालू जी पैर छूने पर भी खबर बन गयी है जो लोग संस्कृति की ठेकेदारी की बात करते हैं वे पैर छूने पर क्यों ऐतराज कर रहे हैं। हमारी संस्कृति में बड़ों बुर्जुगों का सम्मान की बात कही गयी है। जे.एन.यू. अध्यक्ष ने कहा कि काम किजीयेगा तो जनता आंखों पर बिठाएगी अन्यथा जनता किनारे फेंक देगी। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की तस्वीर रखने के पीछे की असलियत भी जनता को समझेगी। 
जे.एन.यू. एस.यूू.अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा कि जो लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि गरीब के बेटे को हवाई जहाज से चलने का किराया कौन दे रहा है। उनको आज की तस्वीर खीचकर भेज देनी चाहिए कि जब आप जनता की बात करते हैं तो जनता भी आपको सहयोग समर्थन के लिए तैयार रहती है। दूसरी बात कि मुंबई के मजदूरों ने संदेष भिजवाया कि वे दस हजार रूपये फाइन भरने के लिए चंदा इकट्ठा किए हुए है जब मैंने कहा कि फाइन मुझे नहीं भरने हैं तो उन्होंने कहा कि वे लीगल लड़ाई लड़ने के लिए खर्चा देंगे। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति को मात्र एक वोट से जोड़कर देखना नहीं चाहिए बिहार में सामंतवाद को कड़ी चुनौती दिया है। इसी बिहार की धरती पर सांप्रदायिकता का रथ रूका था और मोदी का भी रथ यहां फंस गया है। बिहार में रणवीर सेना के खिलाफ लोग संघर्ष किया है। धनकुबेरों के घर पैसा बरसता है। अमीर और अमीर बन जाता है जबकि गरीब गरीब ही बना रहता हैं आई.ए.एस. का बेटा आई.ए.एस. बनना चाहता है लेकिन किसान का बेटा किसान नहीं बनना चाहता है क्योंकि खेती घाटे का सौदा है।  मोदी जी ने चुनाव से पूर्व 15 लाख रूपये देने का वादा किया था अगले चुनाव तक 15 लाख नहीं आया तो अपनी नहीं आएंगें मोदीजी। केन्द्र सरकार गाढ़ी कमाई के पैसे आम लोगों के हितों में नहीं खर्च कर चंद उद्योगपतियों की खर्च लगी हुई है। 

केन्द्र सरकार यह आरोप लगा रही है कि जवाहर लाल नेहरू वि.वि. प्रतिष्ठित संस्थानों में पी0एच0डी0 के लिए दी जानेवाली फेलोषिप जनता के टैक्स की बर्बादी है। यह एक अजीव तर्क है कि जहां गरीब और हाषिए पर खड़े छात्र-छात्राओं को उच्चतर की डिग्री के लिए दिए जानेवाली फंलोषिप को सरकार पैसे की बर्बादी बता रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि टैक्स की बर्बादी तो वह कर रहे है जो लाखों रूपये का सूट पहनकर पूरी दुनिया का सैर करते हैं। उन्होंने कहा कि किंगफिषर का मालिक विजय माल्या जनता की गाढ़ी कमाई के हजारों करोड़ लेकर विदेष चले जाते हैं। विजय माल्या और उन जैसे ऐसे कई उद्योगपति जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे डकार जाते हैं। और सरकार कुछ नहीं कर पाती । उन्होंने कहा कि खेत-खलिहान में काम करने वाले मजदूर भले ही भोजपुरी या मगही बोलते हैं और कुछ गंदा कपड़ा पहनते हैं लेकिन फैक्ट्री और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले मजदूरों का पोषाक अलग होता है वे पैंट, शर्ट और टाईंमें दिखते हैं तथा अंग्रेजी भी बोलते हैं लेकिन उनकी हालत भी मजदूर जैसी ही हैं वह इन दोनों श्रेणियों के मजदूरों की हालत में सुधार की मांग करते हुए केन्द्र सरकार को बड़ी-बड़ी बातों के करने की बजाए आम लोगों की समस्याओं का हल खोजना चाहिए। 
उन्होंने कहा कि ब्राह्वणवाद और ब्राह्नण में फर्क है। ऊँच नीच का भेदभाव करने वालों को ब्राह््नणवादी कहा जाता है अगर निचली जाति के लोग भी यदि जातिवाद को बढ़ावा देते हैं। तो वो भी ब्राह्नणवादी है। उन्होंने कहा कि जो लोग अंग्रेजों की चापलूसी करते थे और देष के सपूतों की मुखबिरी करते थे वे आज देषभक्त बनते घूम रहे हैं। जबकि जिन लोगों ने आजादी के आंदोलन में हिस्सा लिया उन्हें देषद्रोही करार दें दी है। वे ए.आई.एस.एफ. के सदस्य हैं जिसने आजादी के आंदोलन में हिस्सा लिया था। ए.आई.एस.एफ. नारा है कि ‘‘राष्ट्रपति हो या चपरासी की हो संतान सब को षिक्षा  एक समान’’ इस नारे का मतलब साफ है कि सबाके एक समान षिक्षा मिलनी चाहिए। शनिवार को जब वे बिहार के मुख्यमंत्री से मिल रहे थे तब उनसे मांग किया कि समान स्कूल प्रणाली सूबे में लागू किया जाए तभी कोई कायाकल्प हो सकता है। जहां से आप आएं है उसी पाठषाला को बंद कर दिए । इसलिए छात्र संघ चुनाव नियमित तौर पर है। इससे पूर्व सभा को संबोधित करते हुए ए.आई.एस.एफ. के राष्ट्रीय महासचिव विष्वजीत कुमार ने कहा कि आपकी परिस्थिति में छात्र-युवाओं को मतभेद किनारे कर एक साथ आना होगा और देष के अंदर फासीवादी हुकूमत के अपने हितों की रक्षा के लिए झकझोरना होगा। जे.एन.यू. सबके न्याय की बात करता है इसलिए जे.एन.यू. संघ परिवार को चिढ़ है। कन्हैया के गाईड प्रो॰ एस.एन. मालाकार ने कहा कि स्टार्ट अप इण्डिया और स्टैण्ड अप इण्डिया पूंजीवादी चालाकी है। लाभ का निजीकरण और हानि के सामाजीकरण के षडयंत्र को समझना होगा। 

उन्होंने कहा कि कन्हैया जैसे विद्यार्थी ने उनका मान बढ़ाया हैं कन्हैया के प्रारंभिक दिनों में माक्र्सवाद की षिक्षा देनेवाले षिवषंकर शर्मा ने कहा कि ए.आई.एस.एफ. संघर्ष के राह पर है । रोहित बेमुला की हत्या के बाद देष में दो खेमा बन गया एक न्याय और दूसरे अन्याय का रोहित के हत्यारों स्मृति ईरानी और छात्र संघ की बात करनी चाहिए । देषद्रोही कौन है और देषभक्त कौन है इस सवाल को उठाने के पहले देखना होगा कि कौन आजादी के आंदोलन में था और कौन नहीं। ए.आई.एस.एफ. के राज्य सचिव सुषील कुमार ने आज से पूर्व और बाद ने आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि छात्रों की ताकत विखंडित होने से सत्ता मनमानापन बढ़ा है। कन्हैया काॅलेज आॅफ काॅमर्स में पढ़ते हुए दो वार संगठन काॅलेज इकाई  के अध्यक्ष से आज वे जे.एन.यू. के छात्र संघ के अध्यक्ष हैं। सभा की अध्यक्षता ए.आई.एस.एफ. के राज्य अध्यक्ष परवेज आलम एवं ए.आई.वाई.एफ. के राज्य कार्यकारी अध्यक्ष विजय कुमार मिश्र ने संयुक्त रूप से किया कार्यक्रम की शुरू भगत सिंह सांस्कृतिक ग्रुप के छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं नाट्क प्रस्तुत किया ।

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