कृष्ण से जुडे प्राचीन जलाशयों के पुर्नजीवित करने का कार्य शुरू - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 1 मई 2016

कृष्ण से जुडे प्राचीन जलाशयों के पुर्नजीवित करने का कार्य शुरू

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नयी दिल्ली, 01 मई, पवित्र नगरी वृन्दावन में भगवान कृष्ण की पौराणिक कथाओं से जुड़े जलाशयों के पुर्ननिर्माण तथा पुर्नजीवन का कार्य बड़े पैमाने पर कार्य शुरू किया गया है जिससे न केवल यहां पर्यटन को बढावा मिल सकेगा बल्कि जल संरक्षण भी किया जा सकेगा । पौराणिक समय में ब्रज क्षेत्र में लगभग 1000 कुण्ड तथा सरोवर विद्यमान थे जिनमें से अधिकांश 5000 साल पुराने हैं तथा इनका वर्णन पौराणिक ग्रन्थों तथा धार्मिक पुस्तकों में मिलता है । उन जलाशयों के किनारे भगवान कृष्ण गोपियों संग रास लीला करते थे। पौराणिक समय में यही जलाशय पेयजल आपूर्ति के मुख्य स्त्रोत थे। वर्तमान में इनमें से लगभग 800 कुण्ड और सरोवर पिछले 200 वर्षो के दौरान तेजी से बढ़ते शहरीकरण , उचित देखरेख के अभाव , उपेक्षा तथा अवैध कब्जों की वजह में लुप्त होने के कगार पर पहुंच गये है । इनके पानी में क्षारीय तत्व पैदा हो गए है। पर्यावरण तथा सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और नवीकरण के लिए ब्रज फाउंडेशन ने वर्ष 2005 में इन पवित्र जलाशयों की मरम्मत , पुर्ननिर्माण तथा पुर्नजीवन पर कार्य शुरू किया। शुरू में उसे भू-माफिया तथा निहित स्वार्थो तत्वों का जबरदस्त विरोध सहना पडा। इस संगठन ने अब तक 46 कुण्डों को सफलतापूर्वक रीचार्ज करके क्षेत्र में पांच लाख क्यूबिक मीटर जल धारण क्षमता का सृजन किया है। इस कार्य के लिए फाउंडेशन को मुम्बई के प्रसिद्ध उद्योगपति कमल मोरारका का सक्रिय सहयोग मिला । इस सराहनीय कार्य के लिए फाउंडेशन को देश का सर्वश्रेष्ठ गैर सरकारी संगठन होने के नाते चार यूनेस्को पुरस्कार प्रदान किए गए। फांउडेशन इस समय क्षेत्र के 800 जलाश्यों, 137 पवित्र वनों, धरोहर भवनों के पुर्ननिर्माण तथा पुर्नजीवन पर कार्य कर रही है। 

फाउंडेशन के अध्यक्ष विनीत नारायण ने कहा कि ऐतिहासिक ब्रज कुण्ड (वृन्दावन) तथा रूद्रकुण्ड (गोवर्धन) उन मुख्य कुण्डों में से है जिन्हें पिछले वर्षो के दौरान पूरी तरह पूर्नजीवित तथा सौदर्यीकरण किया गया । श्री नारायण ने बताया कि वृन्दावन का आध्यात्मिक केन्द्र माने जाने वाले पवित्र व्रह्मकुण्ड तथा ब्रह्मस्थल के रूप में माने जाने वाले पवित्र स्थल को मुम्बई के उद्योगपति अजय पीरामल के आर्थिक सहयोग से रिकार्ड 30 महीने में पुर्नजीवित किया गया। यह श्री कृष्ण लीला से जुड़े आठ पावन स्थलों में से एक है। इस जलाश्य से गाद हटाने के वाद प्राकृतिक पानी का बहाव शुरू हो गया जो कि अब ताजे मीठे पानी से भरा रहता है। फाउंडेशन रामताल, संकर्षण ताल, बलभद्र ताल, आदि प्रमुख जलाशयों के पुर्ननिर्माण तथा पुर्नजीवन पर कार्य कर रहा है । फाउंडेशन के सचिव रजनीश कपूर ने बताया कि प्रत्येक कुण्ड के आकार तथा वर्तमान स्थिति के अनुरूप इसके पुर्नजीवन तथा पुर्ननिर्माण पर 50 लाख रुपये से तीन करोड़ रुपए तक लागत आती है । इन जलाशयों के पुर्ननिर्माण के लिए जमनालाल बजाज फाउंडेशन ने अब तक कुल 1.50 करोड रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की। संस्था ने कृष्ण सरोवर, जयकुण्ड, चन्द्रा सरोवर तथा गरुड़ गोविन्द कुण्ड पर वर्ष 2007 से अब तक काफी कार्य किया है। इन कुण्डों के पुर्नजीवन के लिए केन्द्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को धनराशि जारी की है तथा उन पर कार्य ब्रज फाउंडेशन के तकनीकी मार्गदर्शन में किया जाएगा । सौंदर्यीकरण के बाद ये स्थल पर्यटकों के आकर्षण के केन्द्र होंगे। 

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